Friday, 6 December 2019

Remembering Gandhi


साल 2013 की बात होगी। तब गाँधीजी को बिल्कुल भी नहीं पढ़ा था, गाँधीजी के बारे में उतनी ही जानकारी थी जितनी कि आजकल ये यूट्यूब व्हाट्से्पप से ज्ञानार्जन करने वाले और नौसिखिए प्रतियोगी परीक्षा की किताबें चाटने वालों को‌ होती है जैसे कि गाँधीजी ने भगतसिंह को‌ फाँसी पर झूलने से जानबूझकर नहीं बचाया, नेहरू को प्रधानमंत्री बना दिए, देश के दो टुकड़े कर दिए आदि आदि।
एक दिन एक भैया मिले थे, वो उस समय 2013 में मेरी ये सब भक्तई सुन मुझे बड़े सौम्य तरीके से बस इतना ही कह गये थे कि कभी उनको पढ़ना यार, अच्छा काम किए हैं। एकदम सरल लहजे में कह गये थे। यकीनन, उस वक्त मेरी बातें सुनकर गाँधी को लेकर उनके मन में कितने असंख्य भाव रहे होंगे। लेकिन उन्होंने शायद गाँधीजी का सम्मान करते हुए " कभी उनको पढ़ना यार" बस इतना ही कहा। आज महसूस होता है कि इतने में ही वे कितना कुछ कह गये थे।
जब भी गाँधी को पढ़ता हूं, भैया की वो छोटी सी बात बार-बार याद आती है।

2 comments:

  1. Har kisi ko aaj bhi Gandhi ke bare me utna hi pta h jitna aapko 2013 me pta tha...

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    1. सही पकड़े हैं। लेकिन इंसान को अपने चक्षु हमेशा खुले रखने चाहिए ताकि नयी चीजें जुड़ती रहे।

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