वे दलित से ईसाई तो बन गये, लेकिन दो दिन से जब भी वे मेरे पास मिलने आते थे, तो होटल के नीचे चप्पल उतारकर ऊपर पहले माले तक आते थे। पहला एक दिन तो मैं समझ नहीं पाया कि वे ऐसा क्यों करते हैं। मैं यह भूल गया था कि उनका लंबे समय तक शोषण हुआ है, भूल गया था कि इतिहास में उनके साथ जानवरों से भी बदतर बर्ताव हुआ है। शोषण जब हजारों वर्षों से होता रहे तो डीएनए में आ जाता है। ऐसे में दलितों को कोई विदेशी संस्था आके ईसाई बना दे, कोई मौलवी उन्हें मुसलमान बना दे या फिर कोई हिन्दू जनेऊ पहनाकर ब्राम्हण बना दे। लेकिन रूप परिवर्तन के ये तरीके समस्या का समाधान बिल्कुल भी नहीं करते हैं।
कई बार होता यह है कि इन सब में हम मात्रा देखकर अमुक धर्म पर सवाल खड़े करने लगते हैं, अब भई जिसकी जितनी पहुंच है, जिसकी जितनी शक्ति है, वह उस स्तर पर प्रयास करेगा ही करेगा।
मैंने लगभग हर धर्म में परिवर्तित हुए दलितों से मुलाकात की है, एक चीज जो सभी में देखने को मिली वह यह है कि भले ही आज की तारीख में वे किसी भी धर्म के अनुयायी हों, लेकिन आज भी गर्व से खुद को दलित, आदिवासी मानते हैं। हमारे लिए वाकई ये सोचने वाली बात है।
याद रहे कि वह आज भी तुमसे मिलने आएंगे तो दूर कहीं चप्पल उतार कर आएंगे, खाना खाकर अपनी थाली खुद ही धोने लग जाएंगे, बिना बोले ही आपके ही घर में साफ सफाई करने लग जाएंगे ऐसा ही बहुत कुछ होगा। आपके धर्म परिवर्तन से, आपके क्रास टोपी और जनेऊ पहना देने से आप उनके भीतर आत्मविश्वास पैदा नहीं कर सकते हैं, संभव ही नहीं है। हजारों सालों से किया जा रहा शोषण जो आज भी विद्यमान है वह इन लुभावने तरीकों से छुप नहीं सकता है, उल्टे निखर कर सामने आता है।
कई बार होता यह है कि इन सब में हम मात्रा देखकर अमुक धर्म पर सवाल खड़े करने लगते हैं, अब भई जिसकी जितनी पहुंच है, जिसकी जितनी शक्ति है, वह उस स्तर पर प्रयास करेगा ही करेगा।
मैंने लगभग हर धर्म में परिवर्तित हुए दलितों से मुलाकात की है, एक चीज जो सभी में देखने को मिली वह यह है कि भले ही आज की तारीख में वे किसी भी धर्म के अनुयायी हों, लेकिन आज भी गर्व से खुद को दलित, आदिवासी मानते हैं। हमारे लिए वाकई ये सोचने वाली बात है।
याद रहे कि वह आज भी तुमसे मिलने आएंगे तो दूर कहीं चप्पल उतार कर आएंगे, खाना खाकर अपनी थाली खुद ही धोने लग जाएंगे, बिना बोले ही आपके ही घर में साफ सफाई करने लग जाएंगे ऐसा ही बहुत कुछ होगा। आपके धर्म परिवर्तन से, आपके क्रास टोपी और जनेऊ पहना देने से आप उनके भीतर आत्मविश्वास पैदा नहीं कर सकते हैं, संभव ही नहीं है। हजारों सालों से किया जा रहा शोषण जो आज भी विद्यमान है वह इन लुभावने तरीकों से छुप नहीं सकता है, उल्टे निखर कर सामने आता है।
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