Wednesday, 30 May 2018

Day - 5 with Prince

Last Day

आज पूरे पंद्रह दिन बाद मैं प्रिंस से मिला। निजी व्यस्तताओं के कारण मैं उससे मिल नहीं पा रहा था। बीच में एक दिन समय मिला भी था तो यही सोच के टाल दिया कि दो घंटे तो मेरे ऐसे ही चले जाएंगे। तो आज हुआ यूं कि प्रिंस मुझे देखते ही मुझसे लिपट गया वो भी 40'c की इस भीषण गर्मी में। कहने लगा - कहां थे भैया, नहीं आते हो, फिर वो मेरा हाथ पकड़कर मुझे खींचते हुए अपने किसी डांस क्लास वाली मैडम से मिलवाने ले गया। उसके बाद वह झूला झूलने में मस्त हो गया। प्रिंस की‌ मम्मी यानि दीदी ने बताया कि इस बीच जब मैं गार्डन नहीं आता था तो प्रिंस रोज कुछ समय तक गार्डन में खेलकर वापस चला जाता और जब मम्मी घर वापस आती तो हर रोज मम्मी से यह पूछता कि आज भैया गार्डन आए थे कि नहीं। दीदी ने और बताया कि एक दिन तो ऐसा हुआ कि एक कोई भैया उसे बड़े प्रेमभाव खेलने के लिए अपने पास बुला रहे थे, प्रिंस ठहरा अपनी मर्जी का‌ मालिक, कहां किसी के पास जाने वाला ठहरा, नहीं गया।

मैं - प्रिंस मैं कल जा रहा उत्तराखण्ड। अब और नहीं आऊंगा गार्डन।
प्रिंस - झूठ बोलते हो भैया।
मैं - सच कह रहा हूं।
प्रिंस - फिर मुझे भी ले चलो।
मैं - अगली बार ले चलूंगा फिर।
प्रिंस - नहीं। छुपा के ले जाओ चलो मुझे।
मैं - अभी नहीं अगली बार।

रात के 9 बज चुके थे। गार्डन बंद होने वाला था, अब वह हमेशा की तरह गार्डन से मुझे अपने घर को ले गया। प्रिंस की‌ मम्मी और मैं बैठकर यही चर्चा कर रहे थे कि प्रिंस को आखिर मुझसे इतना लगाव कैसे हो गया। अब जब धीरे-धीरे उस चार साल के बच्चे प्रिंस को ये अहसास होने लगा कि मैं सच में जा रहा हूं, और अब मैं उससे मिलने नहीं आ पाऊंगा तो उसने मेरा हाथ जोर से पकड़ लिया, और फिर छोड़ने का नाम नहीं। वह अकेला नीचे तक मुझे छोड़ने आ गया। मैंने कहा चलो मैं चलता हूं अब मुझे जाने दो। वो बार बार नहीं नहीं नहीं, बस यही बोलता रहा। कभी धीरे बोलता कभी जोर से चिल्लाता, लेकिन मेरा हाथ न‌ छोड़ता। फिर जब मैंने उससे अपना हाथ छुड़ाया, और अपनी बाइक के पास गया, बाइक आॅन कर जब मैं जाने लगा तो वो वह दौड़कर मेरे पास आ गया और बाइक में चढ़ने लग गया। लेकिन मैंने उसे ऐसा करने से रोक लिया तब वो मेरे पास आकर बड़े भोलेपन से कहने लगा, चलो न भैया हम दोनों साथ में कुछ खाएंगे। मैं उसकी बात सुनकर सोचने में मजबूर हो गया। 9:30 बज चुके थे, मैंने कहा, चलो मैं चलता हूं, फिए आऊंगा ठीक है। पता नहीं वो क्या सोच रहा था। एकदम भरी हुई आवाज में उसने मुझसे कहा - "अब आप आओगे तो भी मैं नहीं मिलूंगा देखना" ऐसा कुछ कुछ कहने लगा और फिर फूट-फूटकर रोने लग गया। इतने बुरी तरीके से रोया कि उसकी जुल्फें उसके चेहरे पर चिपकने लगी थी। लगभग 15-20 मिनट तक उसने आंसू बहाया होगा, मैं आराध्या उसकी मम्मी उसे मनाने लग गये, लेकिन उसका रोना बंद ही नहीं हो रहा था, मुझे लगा कि इसका रोना अगर कोई शांत करा सकता है तो वो मैं ही करा सकता हूं, तो जैसे ही मैंने इस जिम्मेदारी को समझा, मुझे एक बढ़िया तरकीब सूझी और उसके बाद वह मान गया और उसका रोना शांत हो गया। और उसने हंसते हुए मुझसे वादा किया कि वह और नहीं रोएगा।

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