Friday, 11 May 2018

Day -2 with prince



                                इसके घर का नाम प्रिंस है। ये आज फिर खींच के मुझे अपने घर ले जा रहा था। मैंने मना कर दिया। आज गार्डन में इसकी दादी नहीं आई थी लेकिन इसकी बड़ी बहन आराध्या साथ आई थी। आराध्या अभी 5th क्लास में है, बहुत ही तेज है। वो बोली कि भैया आपके बारे में न दादी मुझे बताई। जिस दिन आप दादी से, प्रिंस से, मम्मी से सब से मिले थे न उसी दिन घर में बात हुई। मैंने कहा अच्छा क्या बताई। दादी ने बताया कि एक भैया हैं कोई, यहाँ अभी कुछ दिन के लिए ही हैं, फिर चले जाएंगे। और आप अभी जहाँ रहते हो, पता नहीं क्या नाम बताई वहाँ गर्मी में भी कंबल ओढ़ना पड़ता है, बहुत ठंडा ठंडा होता है। और दादी बताई कि प्रिंस आपको अचानक ही देखकर आपके साथ खेलने लग गया था, और भी बहुत कुछ बता रही थी कि एक अच्छे अच्छे वाले ही भैया हुए आप, दादी वैसा ही कुछ कह रही थी पता नहीं, अभी आप मिले तो लग रहा जैसा दादी ने बताया बिल्कुल वैसे ही हो आप। आराध्या हंसते मुस्कुराते हुए एक कहानीकार की तरह ये बातें मेरे सामने मुझसे कह रही थी। मुझे ये जानकर बड़ा ताज्जुब हुआ कि उस दस साल की लड़की को दादी ने जो भी बताया होगा मेरे बारे में, वो सब कुछ उसे मुंह जुबानी याद था, मुझे देखते ही वो लगातार बोलने लग गई।

गार्डन में आधा घंटा खेलने के बाद जब हम लौटे तो फिर से प्रिंस गार्डन से अपने घर के गेट तक मुझे खींचते ले गया। फिर वही रट लगाने लगा, घर चलो, घर चलो।
मैंने उससे आज कहा - क्यों। वजह बताओ।
उसने बड़े सरल भाव से कहा - ऐसी बैठना थोड़ी देर हम लोग के साथ।
मैंने कहा - लेट हो रहा है, कल आता हूं।
प्रिंस ने कहा - पानी ही पी लेना साथ में एक गिलास।
मैंने कहा - चलो कल आता हूं, दो गिलास एक साथ पी लूंगा, ठीक है।
इसके बाद वो मान गया।
मैं गार्डन के पास अपनी गाड़ी लेने गया, तब तक वे ऊपर अपने घर को जा चुके थे। बाइक आॅन करके जब मैं उनके घर से गुजरा तो आराध्या प्रिंस और उनकी मम्मी तीनों बाल्कनी में खड़े होकर हाथ हिलाकर अलविदा कर रहे थे, हां चिल्ला कर बाॅय बोलने वाला एक ही था; "प्रिंस"।

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