Saturday, 12 May 2018

Day- 3 with Prince



मैं - चलता हूं, पानी का क्या है, कभी भी पी लूंगा।
प्रिंस - आप कल भी ऐसे ही बोले थे‌ और चले गये थे, आज तो चलो।
मैं - अच्छा मैं यहीं नीचे हूं, जाओ ऊपर से मेरे लिए पानी लेकर आओ।
प्रिंस - गिलास यहाँ नहीं आएगा चलकर, उसके लिए ऊपर जाना पड़ेगा।
ठीक कुछ ऐसा ही उसने कहा और फिर मैं और उसकी मम्मी हंसने लग गये। दीदी ने भी कहा कि चलो आओ पानी पी लेना फिर जाना। और इसके बाद प्रिंस मेरे पेंट की जेब पकड़ कर मुझे खींचते हुए अपने घर ले गया। और उनके घर के बाहर बालकनी में जैसे ही मैं बैठा, वो अपनी मम्मी को चिल्लाकर आॅर्डर देने लगा कि भैया के लिए पानी लाओ। अब वो मेरी दी हुई डेरी मिल्क चाकलेट जो गर्मी की वजह से पिघल चुकी थी, उसे वह उतने ही समय खाने लग गया। ऊंगलियों में सानकर, चेहरे में यहाँ-वहां लेपते हुए वह बुरी तरीके से चाकलेट खाने लगा। मैं, आराध्या और उसकी मम्मी हम सबने मिलकर बारी बारी से उसका खूब मजाक बनाया कि अभी गार्डन से आया है तू, हाथ नहीं धोया है गंदे, रेत का फ्लेवर खा रहा, घास का फ्लेवर खा रहा, धूल मिट्टी का फ्लेवर खा रहा आदि आदि। प्रिंस हंसने लग जाता, और बेफिक्र होकर फिर से ऊंगली चाट चाटकर खाने लग जाता। चाकलेट खाने के बाद जब वो घर के अंदर हाथ धोने गया तो उसने अपनी मम्मी को कहा- मम्मी मैं अभी आया, भैया का ख्याल रखना। जाना मत भैया, अभी आया। ये सब सुनकर आराध्या ने झुंझलाते हुए कहा - भैया, ये मुझसे इतना प्यार क्यों नहीं करता, मेरे से तो बस लड़ता रहता है हमेशा।
फिर मैंने आज प्रिंस को कहा - मैं कुछ दिन बाद चला जाऊंगा, मेरी ट्रेन है, तुम फिर कैसे करोगे।
प्रिंस - मैं भी आपके साथ उस ट्रेन में जाऊंगा।
मैं - उस ट्रेन में बच्चों को नहीं ले जाते।
प्रिंस - फिर मैं मम्मी पापा को साथ ले जाऊंगा न।
मैं - इसकी हाजिरजवाबी देखकर तो मैं पहले दिन से ही हैरान हूं। फिर मैंने उसे कहा कि ये जो तुम्हारे लंबे घुंघरालु बाल हैं ना, इसके कारण तुम्हें नहीं जाने देंगे।
प्रिंस - सच में नहीं जाने देंगे।
मैं - हां सच में‌।
प्रिंस - तो फिर मैं बाल कटवा लूंगा।
ऐसा बोलते ही वो खिलखिलाकर हंसने लग गया। 

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