ट्रेन छूटने ही वाली थी..हम दोनों जल्दी से स्टेशन पहुंचे..वहां से हम दोनों साथ में चले पड़े और आगे फिर एक जगह ट्रेन रूकी वहां हम दोनों उतर गये..
पता नहीं वो कैसी जगह थी..अलग अलग तरह के लोग..अलग ही सौन्दर्य था उस जगह का..शायद सपने में ऐसी जगह मैं इसलिए देख रहा था..क्योंकि वो सिर्फ एक सपना ही था..
और फिर हम जहां जहां गये वहां वहां वो मेरे साथ चलते गयी मेरा हाथ थामे हुए....
वहां किसी रेस्तरां में भी जाते..वहां के अलग अलग तौर तरीके ..वहां के गार्डन्स की खूबसूरती..समझ नहीं आ रहा मैं सब कुछ कैसे बयां करूं ..ऐसा लग रहा है जैसे अभी की बात है और वो मेरा हाथ थामे हुए है पकड़ थोड़ी ढीली पड़ने पर फिर जोर से पकड़ लेती थी..अब हुआ यूं कि उस जगह को छोड़कर हमें कहीं और जाना था..इतने देर से याद कर कर के लिख रहा हूं लेकिन एक भी जगह का नाम याद नहीं कर पा रहा हूं..अब कुछ देर के लिए हम थोड़े अलग हुए..वो कहीं बैठी थी..मैं कुछ काम से इधर-उधर हुआ..और जब मैं काम निपटा के वापस लौटा तो कुछ लड़के आसपास आ ही रहे थे..शायद उस जगह पर कोई नहीं था..इसलिए वो आराम से उसकी ओर बढ़ रहे थे..वो दौड़ के मेरे पास आई और मुझे गले लगा लिया..ये सफर भी मेरे लिए पहला था और उसका गले मिलना भी मैंने भी आंख बंद कर गले लगा लिया..फिर हम दोनों और कहीं चले गये...और रास्ते में हम लोग चलते-चलते रूक गये..उसने मेरी ओर सर उठाकर कहा कि "पता है आप न खास हो".और उसने अपनी नजरें झुका ली और हम आगे बढ़ने लगे।
पता नहीं वो कैसी जगह थी..अलग अलग तरह के लोग..अलग ही सौन्दर्य था उस जगह का..शायद सपने में ऐसी जगह मैं इसलिए देख रहा था..क्योंकि वो सिर्फ एक सपना ही था..
और फिर हम जहां जहां गये वहां वहां वो मेरे साथ चलते गयी मेरा हाथ थामे हुए....
वहां किसी रेस्तरां में भी जाते..वहां के अलग अलग तौर तरीके ..वहां के गार्डन्स की खूबसूरती..समझ नहीं आ रहा मैं सब कुछ कैसे बयां करूं ..ऐसा लग रहा है जैसे अभी की बात है और वो मेरा हाथ थामे हुए है पकड़ थोड़ी ढीली पड़ने पर फिर जोर से पकड़ लेती थी..अब हुआ यूं कि उस जगह को छोड़कर हमें कहीं और जाना था..इतने देर से याद कर कर के लिख रहा हूं लेकिन एक भी जगह का नाम याद नहीं कर पा रहा हूं..अब कुछ देर के लिए हम थोड़े अलग हुए..वो कहीं बैठी थी..मैं कुछ काम से इधर-उधर हुआ..और जब मैं काम निपटा के वापस लौटा तो कुछ लड़के आसपास आ ही रहे थे..शायद उस जगह पर कोई नहीं था..इसलिए वो आराम से उसकी ओर बढ़ रहे थे..वो दौड़ के मेरे पास आई और मुझे गले लगा लिया..ये सफर भी मेरे लिए पहला था और उसका गले मिलना भी मैंने भी आंख बंद कर गले लगा लिया..फिर हम दोनों और कहीं चले गये...और रास्ते में हम लोग चलते-चलते रूक गये..उसने मेरी ओर सर उठाकर कहा कि "पता है आप न खास हो".और उसने अपनी नजरें झुका ली और हम आगे बढ़ने लगे।
हम दोनों एक-दूसरे को कैसे जानते हैं कब मिले कैसे मिले कैसे एक साथ सफर पे आये..कहां जा रहे क्यों जा रहे..सब एक रहस्य ही रह गया सपने के साथ क्योंकि इसके अलावा और कुछ याद नहीं आ रहा।
लेकिन मजे की बात ये है कि जिसे मैंने सपने में देखा..उसे मैं हकीकत में जानता हूं और ये बात मुझे इस सपने के साथ दफन करनी पड़ेगी और मैं वही करूंगा.
अभी सोके उठा हूं और बिना देरी किए लिख रहा हूं बेहोश की तरह..चूंकि सपना देखने के तुरंत बाद हम भूलते जाते हैं इसलिए लिखते लिखते भूल भी रहा हू इसलिए लिखना छोड़के आडियो रिकार्डिंग कर रहा हूं और बस बोले जा रहा हूं पीछे जाकर जितना हो सके याद करने की कोशिश कर रहा हूं चूंकि सपना ज्यादा याद नहीं आ पा रहा है और होता भी यही है कि
सपने की शुरूआत को हम याद नहीं रख पाते।
अभी तक लाइट भी आन नहीं किया हूं बस इस उम्मीद के साथ कि ये अंधेरा फिर से मुझे सपने में ढकेल दे.इस बीच ये भी भूल गया कि मुझे अपने फोन को फ्लाइट मोड में डाल देना था लेकिन मैं तो बेहोश की तरह लगा हुआ था रिकार्डिंग और टाइपिंग में इससे एक नुकसान ये हुआ कि एक दो फोन आ गया. मैं जो थोड़ा बहुत और याद कर सकता था वो अब गया।
मैं अभी क्या महसूस कर रहा हूं अगर ये लिखने लगा तो पता नहीं ये पोस्ट कितनी लंबी हो जायेगी इसलिए ये सब नहीं लिखूंगा।
सुबह नाश्ता करने के बाद अभी तक कुछ खाया भी नहीं है मैं कुछ देर के लिए भूल जाना चाहता हूं कि मुझे बाहर जाके मुझे भरपेट नाश्ता करना है हां सच में मेरी भूख मिट चुकी है हां मैं अभी भी उस सपने मैं हूं।
मेरी अपनी ही आवाज मुझे रुलाने पे तुली है पता नहीं मेरी आवाज में इतना भारीपन कैसे आ गया.अच्छा तो यही होगा कि मैं अब इस रिकार्डिंग को डिलिट कर दूं क्योंकि मेरा दिल और दिमाग अब एक-दूसरे से लड़ने पर उतारू हो चुके हैं दिल कहता है कि कुछ देर और ठहर जा इस ख्याल में थोड़ा और जी ले,और दूसरी ओर दिमाग कह रहा है कि उठ जा सात बज गये.अब तुझे कुछ खा लेना चाहिए।
और मैं दिमाग की सुनके उठ चुका हूं।
आखिरकार एक शहर का नाम याद आ गया..सपने में हमने इंदौर से ट्रेन पकड़ी थी..लेकिन क्यों..मैं तो यहां कभी गया भी नहीं था..।अब उसके बाद हम लोग कहां निकल गये..नहीं पता।और हम इंदौर कैसे पहुंचे ये भी नहीं पता।
लेकिन हम लोग जहां भी गये वैसी जगह मैंने कभी कहीं नहीं देखी..।क्या अद्भुत खिंचाव था उन सारी जगहों में जहां होते हुए हम जा रहे थे।मैं उसे चाह के भी भुला नहीं पा रहा हूं सपने वाली लड़की को जिसे मैं हकीकत में भी करीब से जानता हूं आज इस एक सपने ने उसके लिए मेरा पूरा नजरिया ही बदल दिय...ा है।
कितना कुछ घट रहा है..सच में।मैंने सपने में उसकी खूबसूरती देखी है..उसके लहराते होंठ जो मेरे से कह रहे थे कि "पता है,पता है आप न खास हो"
उसने सपने में आकर मुझे कितना खास बना दिया..मुझे कितना हल्का कर दिया..उसने सपने में मुझे एक ऐसी दुनिया में ढकेला..जहां हकीकत मुझे खोखला लगने लगा था।
शायद मैं उसका नाम लिख पाने की हिम्मत जुटा पाता...
सब कुछ कितना अधूरा सा लग रहा है..
दीवार में सर फोड़ने का मन कर रहा है..
सपना छूट रहा है...
आंखे फिर से बंद होना चाहती है किसी लड़की को याद करने के लिए नहीं बल्कि उस सपने में लौटने के लिए।
क्योंकि मुझे पता है कि वो सपना पूरा नहीं हो सकता इसलिए इस सपने में लौट जाना चाहता हूं।
कोशिश कर रहा हूं कि अभी रात को सोने के पहले तक सिर्फ ये सपना दिलों दिमाग में बना रहे..ताकी रात को फिर से इसी सपने में वापस जा सकूं।
और हां आज भूख नहीं लग रही है,रीति में जो रम गया हूं।
लेकिन मजे की बात ये है कि जिसे मैंने सपने में देखा..उसे मैं हकीकत में जानता हूं और ये बात मुझे इस सपने के साथ दफन करनी पड़ेगी और मैं वही करूंगा.
अभी सोके उठा हूं और बिना देरी किए लिख रहा हूं बेहोश की तरह..चूंकि सपना देखने के तुरंत बाद हम भूलते जाते हैं इसलिए लिखते लिखते भूल भी रहा हू इसलिए लिखना छोड़के आडियो रिकार्डिंग कर रहा हूं और बस बोले जा रहा हूं पीछे जाकर जितना हो सके याद करने की कोशिश कर रहा हूं चूंकि सपना ज्यादा याद नहीं आ पा रहा है और होता भी यही है कि
सपने की शुरूआत को हम याद नहीं रख पाते।
अभी तक लाइट भी आन नहीं किया हूं बस इस उम्मीद के साथ कि ये अंधेरा फिर से मुझे सपने में ढकेल दे.इस बीच ये भी भूल गया कि मुझे अपने फोन को फ्लाइट मोड में डाल देना था लेकिन मैं तो बेहोश की तरह लगा हुआ था रिकार्डिंग और टाइपिंग में इससे एक नुकसान ये हुआ कि एक दो फोन आ गया. मैं जो थोड़ा बहुत और याद कर सकता था वो अब गया।
मैं अभी क्या महसूस कर रहा हूं अगर ये लिखने लगा तो पता नहीं ये पोस्ट कितनी लंबी हो जायेगी इसलिए ये सब नहीं लिखूंगा।
सुबह नाश्ता करने के बाद अभी तक कुछ खाया भी नहीं है मैं कुछ देर के लिए भूल जाना चाहता हूं कि मुझे बाहर जाके मुझे भरपेट नाश्ता करना है हां सच में मेरी भूख मिट चुकी है हां मैं अभी भी उस सपने मैं हूं।
मेरी अपनी ही आवाज मुझे रुलाने पे तुली है पता नहीं मेरी आवाज में इतना भारीपन कैसे आ गया.अच्छा तो यही होगा कि मैं अब इस रिकार्डिंग को डिलिट कर दूं क्योंकि मेरा दिल और दिमाग अब एक-दूसरे से लड़ने पर उतारू हो चुके हैं दिल कहता है कि कुछ देर और ठहर जा इस ख्याल में थोड़ा और जी ले,और दूसरी ओर दिमाग कह रहा है कि उठ जा सात बज गये.अब तुझे कुछ खा लेना चाहिए।
और मैं दिमाग की सुनके उठ चुका हूं।
आखिरकार एक शहर का नाम याद आ गया..सपने में हमने इंदौर से ट्रेन पकड़ी थी..लेकिन क्यों..मैं तो यहां कभी गया भी नहीं था..।अब उसके बाद हम लोग कहां निकल गये..नहीं पता।और हम इंदौर कैसे पहुंचे ये भी नहीं पता।
लेकिन हम लोग जहां भी गये वैसी जगह मैंने कभी कहीं नहीं देखी..।क्या अद्भुत खिंचाव था उन सारी जगहों में जहां होते हुए हम जा रहे थे।मैं उसे चाह के भी भुला नहीं पा रहा हूं सपने वाली लड़की को जिसे मैं हकीकत में भी करीब से जानता हूं आज इस एक सपने ने उसके लिए मेरा पूरा नजरिया ही बदल दिय...ा है।
कितना कुछ घट रहा है..सच में।मैंने सपने में उसकी खूबसूरती देखी है..उसके लहराते होंठ जो मेरे से कह रहे थे कि "पता है,पता है आप न खास हो"
उसने सपने में आकर मुझे कितना खास बना दिया..मुझे कितना हल्का कर दिया..उसने सपने में मुझे एक ऐसी दुनिया में ढकेला..जहां हकीकत मुझे खोखला लगने लगा था।
शायद मैं उसका नाम लिख पाने की हिम्मत जुटा पाता...
सब कुछ कितना अधूरा सा लग रहा है..
दीवार में सर फोड़ने का मन कर रहा है..
सपना छूट रहा है...
आंखे फिर से बंद होना चाहती है किसी लड़की को याद करने के लिए नहीं बल्कि उस सपने में लौटने के लिए।
क्योंकि मुझे पता है कि वो सपना पूरा नहीं हो सकता इसलिए इस सपने में लौट जाना चाहता हूं।
कोशिश कर रहा हूं कि अभी रात को सोने के पहले तक सिर्फ ये सपना दिलों दिमाग में बना रहे..ताकी रात को फिर से इसी सपने में वापस जा सकूं।
और हां आज भूख नहीं लग रही है,रीति में जो रम गया हूं।
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