मैं बिना टिकट स्लीपर कोच में चढ़ गया था..
टीटीई को पैसे देकर स्लीपर की टिकट बनवा ली।मैंने कहा कोई सीट है उसने हाथ खड़े कर दिए.कहा कि आज रात तो टिकट मिलना मुश्किल है सुबह मिलेगी सीट, स्लीपर एसी सब फुल चल रहा है भाई खाली होगी तो न दूं।
मैं सोचा आज तो तपस्या है एक तो 22 घंटे का लंबा सफर।
रात के दस बज चुके थे.बाथरूम के पास वाली जगह में भी लोग सो गये थे।
अब बोगी में आने-जाने वाले रास्ते के अलावा और कोई जगह नहीं थी जहां मैं सो सकूं।
मैं चादर बिछा के वहीं सो गया।
साइड लोवर बर्थ में एक यंग कपल थे.शायद कहीं से घूम के आ रहे थे या कहीं जा रहे थे।
वो रात भर बात करते रहे.एक सीट में शायद उन्हें भी नींद नहीं आ रही थी।
और मेरी झपकी जैसे ही लगती..कोई न कोई रास्ते से गुजरने वाले पैर मार देते।
नींद पूरी मर चुकी थी.अब मैं उनकी बात ध्यान से सुनने लगा।
क्योंकि उनकी बातें दिलचस्प लग रही थी,बड़े प्यार से बहस कर रहे थे।
उनकी बातें सुनके लगा कि नया नया रिश्ता होगा।
लड़की - तुम सच में मेरे लिए स्पेशल हो पता है क्यों?
लड़का - क्यों
लड़की - तुमने कभी रिश्ते में रहते हुए मुझे जान,शोना चांदी ऐसा कुछ नहीं कहा..कसम से जिंदगी भर तुम्हारी आभारी रहूंगी हेहे।
लड़का- हाहाहा..थैंक्यू।
ऐसे कुछ देर वो हंसी मजाक करते रहे फिर कुछ सीरियस बातें होने लगी।
लड़का बार-बार कह रहा था मैं हमेशा तुम्हारे नजरों के सामने नहीं रह सकता।
प्लीज तुम नाराज मत होना न मैं जहां भी जाता हूं तुमसे बात तो करता ही हूं।मुझे सच में यहां अब ऊबाउपन सा लगने लगा है।तुम तो जानती हो मुझे एक जगह रहना नहीं पसंद।
लड़की टोकते हुए- अच्छा बच्चू क्या पसंद है तुम्हें?
लड़का- मुझे पहाड़ पसंद है..मुझे मैदान अब अच्छे नहीं लगते।हां मुझे पहाड़ों में चढ़ना पसंद है वहां रहना पसंद है।
लड़की - जाओ भागो, बस जाओ हिमालय में।
लड़का - नहीं न बबा "तुममें तो हिमालय से भी ज्यादा खिंचाव है।"
लड़की - तो फिर इतनी रात को ऐसी बहकी-बहकी-बहकी बातें मत बनाओ..देखो बच्चे तुम्हारी नियत कुछ ठीक नहीं लग रही मुझे..वहां जाके संत टाइप मत हो जाना।
लड़का -अरे नहीं ना मैं ठंड होते ही वापस आ जाऊंगा वादा।
लड़की -ओये! ये मौसमी रिश्ता नहीं चलेगा.प्लीज क्यों तंग करते हो ये सब बोलके,तुम्हें नहीं पता मैं कितना परेशान हो जाती हूं।
बस ये बात चल ही रही थी एक मोटी आंटी ने मानों मेरे हाथ को कुचल ही दिया था।लेकिन मैं सब गुस्सा भूल के कपल की बातें सुनने लगा।
अब उतनी रात को क्या गुस्सा करता,हाथ में तो बुलडोजर चल चुका था अब क्या फायदा।
हां तो फिर लड़की कहती है कि यार पता है ये जो तुम इधर-उधर जाने की बात करते हो इसी से तुम मेरे और पास आ जाते हो।
तुम मेरे से कहीं दूर जाने की बात करो,आखिर मैं इसमें कैसे खुश होऊं बताओ ना।
लड़का - तुम्हें तो पता है न मेरा सपना क्या है?
लड़की झुंझलाते हुए- प्लीज मुझे नहीं जानना।
लड़का उसे प्यार से समझाते हुए कहता है -
देखो मैं चाहता हूं कि गर्मियों में पहाड़ों में रहूं वहां के उन बंद पड़े स्कूलों में जान फूंक कर आऊं।फिर ठंड के कुछ महीने यहां तुम्हारे शहर में आ जाऊंगा..यहां कुछ काम कर लूंगा।
लड़की - तुम ठंड में भी मेरे शहर मत आना कहीं और चले जाना.तुम्हें तो वैसे मेरे से मतलब है नहीं। क्या मिलेगा तुम्हें ये सब से.तुम्हारा ये फलसफा मुझे फौज की नौकरी से भी बेकार लग रहा।कभी सोचा है कि तुम्हारे इस खयाल में मेरी जगह है भी कि नहीं।अगर मैं तुम्हारे इस पागलपन में शामिल हो भी जाऊं तो कैसे रखोगे मुझे।कल जाके मेरी शादी हो गई तो कैसे करोगे.करते रहना फिर पहाड़ मैदान.तड़पते रहना फिर।जबरन पागल प्रेमी क्यों बनना चाहते हो।तुम्हें कैसे समझाऊं कि पैसा कितना जरूरी है जीने के लिए,खुद ही देखो न महंगाई कितनी है।
तुम हो कि बस अपने सपने की बात करके चुप करा देते हो।
बताओ न कैसे करूंगी मैं ?
और इस बीच तुम्हें कुछ हो गया तो..मैं तो देख भी नहीं पाउंगी।
लड़का इतना सब सुनके भावविभोर हो उठता है।
वो कहता है - मुझे कुछ नहीं होगा,इस पागलपन के साथ मेरे अनुभव हैं अब जो कुछ भी होगा मेरा चाहा हुआ ही होगा।
तुम्हारी दुआ तो है न,भला कैसे कोई अनहोनी होगी मेरे साथ।
लड़की - मुझे नहीं समझना ..तुम मेरे बिना रह सकते हो मुझे पता है।हटाओ अब मुझे दुखी नहीं होना इतनी रात को।बहुत गंदे हो तुम तुम्हारे सपने में कहीं भी मैं नहीं हूं।
लड़का- ऐसा नहीं है प्लीज।
लड़की - क्या प्लीज मुझे रख लो न साथ तुम्हें अधूरा भी नहीं लगेगा..चलो न एक प्लान करते हैं कायदे से भाग चलते हैं वहीं जहां तुम जाने की बात करते हो।बाद में धीरे से सब ठीक हो जायेगा।शुरूआती दिनों के लिए दोनों का बैंक बैलेंस तो है ही।
इससे पहले कि लड़का कुछ कहता जोर से हार्न बजा..गाड़ी किसी स्टेशन पे रूकी थी।
टीटीई को पैसे देकर स्लीपर की टिकट बनवा ली।मैंने कहा कोई सीट है उसने हाथ खड़े कर दिए.कहा कि आज रात तो टिकट मिलना मुश्किल है सुबह मिलेगी सीट, स्लीपर एसी सब फुल चल रहा है भाई खाली होगी तो न दूं।
मैं सोचा आज तो तपस्या है एक तो 22 घंटे का लंबा सफर।
रात के दस बज चुके थे.बाथरूम के पास वाली जगह में भी लोग सो गये थे।
अब बोगी में आने-जाने वाले रास्ते के अलावा और कोई जगह नहीं थी जहां मैं सो सकूं।
मैं चादर बिछा के वहीं सो गया।
साइड लोवर बर्थ में एक यंग कपल थे.शायद कहीं से घूम के आ रहे थे या कहीं जा रहे थे।
वो रात भर बात करते रहे.एक सीट में शायद उन्हें भी नींद नहीं आ रही थी।
और मेरी झपकी जैसे ही लगती..कोई न कोई रास्ते से गुजरने वाले पैर मार देते।
नींद पूरी मर चुकी थी.अब मैं उनकी बात ध्यान से सुनने लगा।
क्योंकि उनकी बातें दिलचस्प लग रही थी,बड़े प्यार से बहस कर रहे थे।
उनकी बातें सुनके लगा कि नया नया रिश्ता होगा।
लड़की - तुम सच में मेरे लिए स्पेशल हो पता है क्यों?
लड़का - क्यों
लड़की - तुमने कभी रिश्ते में रहते हुए मुझे जान,शोना चांदी ऐसा कुछ नहीं कहा..कसम से जिंदगी भर तुम्हारी आभारी रहूंगी हेहे।
लड़का- हाहाहा..थैंक्यू।
ऐसे कुछ देर वो हंसी मजाक करते रहे फिर कुछ सीरियस बातें होने लगी।
लड़का बार-बार कह रहा था मैं हमेशा तुम्हारे नजरों के सामने नहीं रह सकता।
प्लीज तुम नाराज मत होना न मैं जहां भी जाता हूं तुमसे बात तो करता ही हूं।मुझे सच में यहां अब ऊबाउपन सा लगने लगा है।तुम तो जानती हो मुझे एक जगह रहना नहीं पसंद।
लड़की टोकते हुए- अच्छा बच्चू क्या पसंद है तुम्हें?
लड़का- मुझे पहाड़ पसंद है..मुझे मैदान अब अच्छे नहीं लगते।हां मुझे पहाड़ों में चढ़ना पसंद है वहां रहना पसंद है।
लड़की - जाओ भागो, बस जाओ हिमालय में।
लड़का - नहीं न बबा "तुममें तो हिमालय से भी ज्यादा खिंचाव है।"
लड़की - तो फिर इतनी रात को ऐसी बहकी-बहकी-बहकी बातें मत बनाओ..देखो बच्चे तुम्हारी नियत कुछ ठीक नहीं लग रही मुझे..वहां जाके संत टाइप मत हो जाना।
लड़का -अरे नहीं ना मैं ठंड होते ही वापस आ जाऊंगा वादा।
लड़की -ओये! ये मौसमी रिश्ता नहीं चलेगा.प्लीज क्यों तंग करते हो ये सब बोलके,तुम्हें नहीं पता मैं कितना परेशान हो जाती हूं।
बस ये बात चल ही रही थी एक मोटी आंटी ने मानों मेरे हाथ को कुचल ही दिया था।लेकिन मैं सब गुस्सा भूल के कपल की बातें सुनने लगा।
अब उतनी रात को क्या गुस्सा करता,हाथ में तो बुलडोजर चल चुका था अब क्या फायदा।
हां तो फिर लड़की कहती है कि यार पता है ये जो तुम इधर-उधर जाने की बात करते हो इसी से तुम मेरे और पास आ जाते हो।
तुम मेरे से कहीं दूर जाने की बात करो,आखिर मैं इसमें कैसे खुश होऊं बताओ ना।
लड़का - तुम्हें तो पता है न मेरा सपना क्या है?
लड़की झुंझलाते हुए- प्लीज मुझे नहीं जानना।
लड़का उसे प्यार से समझाते हुए कहता है -
देखो मैं चाहता हूं कि गर्मियों में पहाड़ों में रहूं वहां के उन बंद पड़े स्कूलों में जान फूंक कर आऊं।फिर ठंड के कुछ महीने यहां तुम्हारे शहर में आ जाऊंगा..यहां कुछ काम कर लूंगा।
लड़की - तुम ठंड में भी मेरे शहर मत आना कहीं और चले जाना.तुम्हें तो वैसे मेरे से मतलब है नहीं। क्या मिलेगा तुम्हें ये सब से.तुम्हारा ये फलसफा मुझे फौज की नौकरी से भी बेकार लग रहा।कभी सोचा है कि तुम्हारे इस खयाल में मेरी जगह है भी कि नहीं।अगर मैं तुम्हारे इस पागलपन में शामिल हो भी जाऊं तो कैसे रखोगे मुझे।कल जाके मेरी शादी हो गई तो कैसे करोगे.करते रहना फिर पहाड़ मैदान.तड़पते रहना फिर।जबरन पागल प्रेमी क्यों बनना चाहते हो।तुम्हें कैसे समझाऊं कि पैसा कितना जरूरी है जीने के लिए,खुद ही देखो न महंगाई कितनी है।
तुम हो कि बस अपने सपने की बात करके चुप करा देते हो।
बताओ न कैसे करूंगी मैं ?
और इस बीच तुम्हें कुछ हो गया तो..मैं तो देख भी नहीं पाउंगी।
लड़का इतना सब सुनके भावविभोर हो उठता है।
वो कहता है - मुझे कुछ नहीं होगा,इस पागलपन के साथ मेरे अनुभव हैं अब जो कुछ भी होगा मेरा चाहा हुआ ही होगा।
तुम्हारी दुआ तो है न,भला कैसे कोई अनहोनी होगी मेरे साथ।
लड़की - मुझे नहीं समझना ..तुम मेरे बिना रह सकते हो मुझे पता है।हटाओ अब मुझे दुखी नहीं होना इतनी रात को।बहुत गंदे हो तुम तुम्हारे सपने में कहीं भी मैं नहीं हूं।
लड़का- ऐसा नहीं है प्लीज।
लड़की - क्या प्लीज मुझे रख लो न साथ तुम्हें अधूरा भी नहीं लगेगा..चलो न एक प्लान करते हैं कायदे से भाग चलते हैं वहीं जहां तुम जाने की बात करते हो।बाद में धीरे से सब ठीक हो जायेगा।शुरूआती दिनों के लिए दोनों का बैंक बैलेंस तो है ही।
इससे पहले कि लड़का कुछ कहता जोर से हार्न बजा..गाड़ी किसी स्टेशन पे रूकी थी।
Khichav to bHot h apko pahadiyon s....R apke post m b islie khichav h bhot... Loved it
ReplyDeletethanku dear toshu
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