Wednesday, 3 March 2021

Day 124 of all india ride

कल एक लड़की मिली थी, अकेले भारत के कोने-कोने में घूम रही है, घूम क्या रही है मतलब जाकर रह रही है, ऐसा करते हुए उसे तीन महीने से अधिक हो चुके हैं। कल सुबह हमारी एक घंटे तक बहुत अच्छे से बात हुई, इस पर बाद में विस्तार से लिखूंगा, अभी के लिए यही कि वह भी मेरी ही तरह घूमने में विश्वास करती है। लेकिन मैं मानता हूं कि वो मेरे से बहुत आगे है। साउथ इंडियन है, योगा टीचर है, आनलाइन क्लासेस लेती है, पेटिंग भी सीखाती है, और अलग-अलग जगहों पर लंबे समय तक रहती है। योगा करती है तो छरहरी काया है, सुंदरता के भारतीय मानकों के हिसाब से सुंदर भी है। यह सब लिखना नहीं चाहिए लेकिन इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि जिस तरीके से वह घूम रही है इसमें खूबसूरती के ये पैमाने जम्बूद्वीप की सीमा में कहीं न कहीं बाधा बनते ही हैं और इस बात को जब मैंने उससे कहा तो इसमें उसकी स्वीकारोक्ति भी मिली।

कल हमारे एक मित्र कह रहे थे कि आपके पास पैसा है इसलिए आप मजे से घूम रहे हैं। घूमने वालों के लिए अधिकतर लोगों के मन में यही धारणा बैठी हुई है जबकि घूमने का पैसों से बहुत अधिक संबंध नहीं है। घूमना बहुत अधिक सस्ता है और इसका एक उदाहरण मैं आपको दे रहा हूं। कल जो लड़की मिली थी वह भारत के एक महंगे जगह में एक महीने फ्री में रहकर आई, खाने का भी बहुत अधिक खर्च नहीं था, फ्री में रहने के बदले वह जिनके घर में थी, उनके यहाँ अस्तबल में घोड़ों की देखभाल करती थी, घोड़ों को खाना देना, उनका मल साफ करना, नहलाना आदि। यह सब काम करने के लिए अपने ईगो को दफन करना होता है तभी ऐसा संभव होता है। इन सब चीजों को वे लोग कभी नहीं समझ सकते हैं जो मुद्रा से बाहर की दुनिया देखे नहीं है, अपने कुएँ से बाहर निकले नहीं हैं।

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