Saturday, 6 March 2021

Day 2 of All India Solo Winter Ride - Memories

भारत भ्रमण में बहुत अलग-अलग लोगों से मिलना हुआ। बहुत से लोगों के घर गया, कहीं कहीं रूका। 

एक बार एक मित्र के घर में था, मित्र से पहली बार मिलना हुआ, उनके गाँव में, उनके घर में रहना हुआ। मित्र ने तो जो मेहमान नवाजी की सो ठीक, उनके घरवालों ने एक मिनट के लिए मुझे अकेला नहीं छोड़ा, एक तो मैं इतना लंबा सफर करके पहुंचा था, चैन से एक मिनट बैठने‌ का सोचूं तो भी पास आकर बैठे हुए थे। और कहने लगते कि लेट जाओ, अब लेटो तो साथ में दूसरे खाट में लेटकर और बताओ, और सुनाओ। इतना चलता है, इतने से समस्या नहीं होनी चाहिए। उस दिन एक दो दोस्तों के फोन भी आ रहे थे, मैंने कहा कि भाई आज तो फोन क्या चैट भी न कर पाऊंगा, तुम तो आज बख्श ही दो। और फिर उन दोस्तों से दो दिन बाद बात हुई। तो जो सबसे मजेदार चीज हुई वह बता रहा हूं, अगले दिन सुबह साढ़े पाँच बजे बाथरूम गया। मित्र की माताजी ने पूरे घरवालों को नींद से उठा दिया कि अरे भैयाजी कहाँ चले गये, कमरा में नहीं है, देखो देखो, और सारा घर छान मारा, मैं इधर टायलेट में इंतजार कर रहा हूं कि कब मामला शांत होगा, सुबह सुबह तो कम से कम थोड़ा अकेले छोड़ देते, सोचा आवाज ही लगा देता हूं कि इधर हूं। फिर क्या हुआ कि मित्र की माताजी आकर बाथरूम का दरवाजा खटखटाई और कहा - भैया अंदर हो। मैंने कहा - हाँ। फिर बोली - पानी वगैरह ठीक है न सब। मैंने कहा - हाँ जी, सब ठीक है।

फिर उन्होंने घरवालों को कहा - देखो हम कह रहे थे, भैयाजी इधर अंदर बइठे हैं पाखाना में। 


किसी विकसित देश में होता तो यह समस्या न होती, अब समझ आ रहा है कि विकसित देशों में टायलेट बाथरूम में दरवाजे क्यों नहीं होते हैं। हमें ऐसा समाज बनने की ओर बढ़ने में पता नहीं कितना समय लग जाएगा।

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