मेरे भाई,
मैं तो कहता हूं अगर तुम्हें सचमुच कुछ नया सीखना है,
जानना है, जीवन में कुछ करना है,
अगर सच में जमीनी हकीकत समझनी है,
तो भूल से भी किसी की शरण में मत जाना,
इसके बदले अपना झोला पकड़ निकल जाना किसी अनजान रास्ते में।
अपनी पहचान, अपना इगो घर में छोड़कर निकल पड़ना किसी एक अनजान गाँव में,
महीनों उन्हीं की तरह रखना, खाना और जीने की कोशिश करना,
और उनके बीच तुम ऐसे रहना कि वे तुम्हें अपने जैसा ही मानने लग जाएं,
तब जाकर वे तुमसे सच्चे मन से अपनी बात कहेंगे,
वहाँ तुम्हें लाइफ का कुछ अनुभव जैसा मिलेगा,
तुम सचमुच खुद से कहोगे कि तुमने अपने दम पर कुछ नया सीखा है।
तब तुम्हें किसी संस्थान की जरूरत महसूस होगी,
आहिस्ते से तुम खुद ही एक चलती फिरती संस्थान बन जाओगे।
क्योंकि किसी और के लिए 8 घंटे काम करने से लाख गुना बेहतर है कि अपने लिए 16 घंटे काम किया जाए।
मैं तो कहता हूं अगर तुम्हें सचमुच कुछ नया सीखना है,
जानना है, जीवन में कुछ करना है,
अगर सच में जमीनी हकीकत समझनी है,
तो भूल से भी किसी की शरण में मत जाना,
इसके बदले अपना झोला पकड़ निकल जाना किसी अनजान रास्ते में।
अपनी पहचान, अपना इगो घर में छोड़कर निकल पड़ना किसी एक अनजान गाँव में,
महीनों उन्हीं की तरह रखना, खाना और जीने की कोशिश करना,
और उनके बीच तुम ऐसे रहना कि वे तुम्हें अपने जैसा ही मानने लग जाएं,
तब जाकर वे तुमसे सच्चे मन से अपनी बात कहेंगे,
वहाँ तुम्हें लाइफ का कुछ अनुभव जैसा मिलेगा,
तुम सचमुच खुद से कहोगे कि तुमने अपने दम पर कुछ नया सीखा है।
तब तुम्हें किसी संस्थान की जरूरत महसूस होगी,
आहिस्ते से तुम खुद ही एक चलती फिरती संस्थान बन जाओगे।
क्योंकि किसी और के लिए 8 घंटे काम करने से लाख गुना बेहतर है कि अपने लिए 16 घंटे काम किया जाए।
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