मैं जब छोटा था, तब अपने गली मोहल्ले के सारे बच्चों के साथ मारपीट किया करता था, लड़का लड़की कोई भी हो, अपने से छोटा-बड़ा सबको जमकर धोया, मेरी भी धुलाई हुई। लेकिन मैं अपनी चीजों के लिए लड़ जाता था। जैसे कोई अगर मुझसे मार खाने से बच भी जाता तो उसे याद करके जबरदस्ती ही एक थप्पड़ मार देता, बाल नोच लेता, क्योंकि वो मेरे हाथ से मार नहीं खाया है। डर खौफ चीज क्या होती है मुझे पता ही नहीं था। सबको तंग कर लेता था।
मुझे लगता है किसी न किसी रूप में मेरा बचपन आज भी मुझमें कहीं बचा हुआ है। बस लोगों को तंग करने का तरीका बदल गया है।
अब मैंने मारपीट करना छोड़ दिया है, अब ये सब काम मेरे लिखे हुए शब्द करते हैं।
मुझे लगता है किसी न किसी रूप में मेरा बचपन आज भी मुझमें कहीं बचा हुआ है। बस लोगों को तंग करने का तरीका बदल गया है।
अब मैंने मारपीट करना छोड़ दिया है, अब ये सब काम मेरे लिखे हुए शब्द करते हैं।
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