रावण जले उन हुक्मरानों का भी जो बात तो देश समाज को बचाने की करते हैं और बातें करते करते ही मोटा माल खाने वाले पक्के शोहदे व्यवसायी बन जाते हैं।
रावण जले उन लोगों का भी जिन्हें कायदे से तो सलाखों के पीछे होना चाहिए लेकिन वे समाज के लिए मोटिवेशनल स्पीकर बन कर घूम रहे हैं या फिर प्रवचन बाबा का रूप धारण किए हुए हैं।
रावण जले उन लोगों का भी जो नदियों को, गांवों को, पर्यावरण को बचाने की बात सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि ऐसा करते हुए वे अरबपति बन जाते हैं।
रावण जले उन लोगों का भी जो मानवता की सेवा करने का ढोंग रचाते हैं, और ऐसा करते हुए मानवता को इस हद तक शर्मसार कर देते हैं कि मानवता इनके सामने आकर खुद ही भीख मांगने पर मजबूर हो जाती है।
रावण जले उन राम स्वरूप ढोंगी देव पुरूषों का भी जो अपने लिए हमेशा एक रावण प्रायोजित कर तैयार रखते हैं ताकि लगातार खुद को राम( दूध का धुला) घोषित करते रहें।
No comments:
Post a Comment