जैसा कि ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ में हरेली के दिन जादू टोने की मान्यता है।
साल 1994,
ठीक आज ही के दिन रायपुर के अंबेडकर अस्पताल के एक डाक्टर जिनका बंगला मैग्नेटो माल से आगे था, हरेली के दिन देर रात वो इलाज के बाद अस्पताल से अपने घर को गये। डाक्टर साहब अपनी बेटी के साथ रहते थे। डाक्टर की पत्नी का देहांत पहले ही हो चुका था। डाक्टर का जहां बंगला है वहां पास में छोटा सा गांव भी है,उस रात कोई महिला उनके दरवाजे पर आई कुछ दर्द या समस्या के निवारण हेतु तो डाक्टर ने अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए दरवाजा खोला और बैठा के पूछा कि क्या हुआ है,इसी बीच वो मौका पाते ही उल्टी या पेटदर्द का बहाना करके बाथरूम चली गयी। वो महिला घंटों तक बाथरूम से बाहर नहीं आई,आखिर में डाक्टर ने दरवाजा तोड़ा तो वहां कोई नहीं था। अब डाक्टर और उनकी बेटी घबराहट में उस महिला को इधर-उधर ढूंढने लगे।अचानक डाक्टर एक कमरे में गये वहां का दरवाजा अचानक बंद हो गया। कुछ देर में उनकी बेटी ने उस कमरे की ओर देखा तो खिड़की में डाक्टर का मृत शरीर लटका हुआ था। लड़की ने पुलिस को फोन किया और इधर-उधर भागने लगी। लड़की ने शायद कहीं से सरसों हाथ में रखने के बारे में सुना था कि इससे बुरी ताकतें नुकसान नहीं पहुंचाती। उस रात हुआ यूं कि एक पुलिसवाले की भी रहस्यमय ढंग से तो मौत हो गयी और लड़की सुरक्षित बच गयी। लड़की बाहर अपने रिश्तेदारों के यहां रहने लगी है। अभी भी वो बंगला खाली पड़ा हुआ है। लड़की ने टीवी वालों को इसके बारे में बताया तो fear files का एक एपिसोड भी इस घटना पर बना हुआ है। पता नहीं इसमें कितना सच और कितना झूठ है वो तो आज लाल बंगला जाकर ही पता लगेगा।
~lal bangla visit~
लाल बंगले से अभी वापसी हुई है। जब उस रास्ते मुड़े वहां ढेर सारी बैलें। दूर दूर तक कोई इंसान नहीं था। वहां की हवा में एक अलग सा भारीपन था जो दूर से ही महसूस हो रहा था। हवा की वो सिहरन किसी के होने का साफ संकेत दे रही थी ये सब कुछ मेरे लिए एकदम नया सा था। मैंने अपने दोस्त से कहा कि पता नहीं क्यों पर अब आगे जाना कुछ ठीक नहीं लग रहा लेकिन हिम्मत करके आगे निकल गये। अब हम लोगों ने लाल बंगले के पास पचास मीटर की दूरी पर अपनी बाइक रोकी। कुछ मिनट वहां खड़े रहे। फिर अचानक एक हल्की सी खांसने की आवाज आई। आवाज हल्की सी थी मानो कोई बुढ़ा रोने के बाद खांस रहा हो। उस समय रात के 1:40 का समय होगा। मेरे एक साथी दोस्त ने कुत्ते की आवाज है ऐसा कहकर माहौल लाइट करने की कोशिश की। सबको समझ आ गया था कि इतनी रात गए वहां वैसी जगह पर कोई कुत्ता तो नहीं था। न ही वहां पर कोई आदमी हो सकता है। कुछ मिनट बाद थोड़ी लम्बी खांसी आई। अलग ही तरह की, मानो कोई जान बूझ के हमें सुनाना चाह रहा हो,आगाह करना चाह रहा हो। तब हम लोगों को लगा कि अब यहां से निकलना ही सही रहेगा और हम लोग वापस आ गए। पता नहीं वहां कौन था लेकिन कोई दिखाई तो नहीं दिया। मैं तो यही सोच के गया था कि कुछ न मिलेगा सब बनी बनायी बाते हैं ,लेकिन मेरी ये धारणा कुछ हद तक टूटी ,वहां कुछ तो जरूर था।
एक परिदृश्य के रूप में अगर कल की घटना को देखा जाए तो सच में एक हलचल थी उस हवा में,एक सिहरन जो मानो किसी के होने का एहसास देती हो..
अब वो कोई छुपा हुआ तांत्रिक/व्यक्ति,कोई अदृश्य शक्ति या कुछ भी हो सकता है।
क्या है पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
बस एक सबूत ये कि दो बार खांसने की आवाज आई थी।
बस इस मुद्दे में और इससे ज्यादा जानने,सोचने और समझने को कोई बात नहीं रह गई है।
इतने में ये संपूर्ण है।
अब सच बोलूं तो मेरे लिए आज भी सबसे बड़ा भूत,सबसे बड़ी डायन महंगाई,गरीबी,अशिक्षा और कुपोषण है जहां बात इन सब समस्याओं की आती है तो ये सारा जादू टोना,तंत्र-मंत्र सब एक कोरी बकवास के अलावा और कुछ भी नहीं लगता।
अगर ये जादू टोने होते भी हैं तो इस पर विमर्श करने लग जाना खुद को सदियों पीछे ले जाने जैसा है।
अतीत में बुद्ध धर्म को इसी एक धारणा ने अपार क्षति पहुंचाई और कालांतर में भूत संबंधी विषयों में लोगों की विशेष दिलचस्पी इस बात का साफ संकेत है कि मूल कर्तव्यों में जो Scientific temper की बात कही गयी है उसकी समझ से लोग काफी दूर हैं।
साल 1994,
ठीक आज ही के दिन रायपुर के अंबेडकर अस्पताल के एक डाक्टर जिनका बंगला मैग्नेटो माल से आगे था, हरेली के दिन देर रात वो इलाज के बाद अस्पताल से अपने घर को गये। डाक्टर साहब अपनी बेटी के साथ रहते थे। डाक्टर की पत्नी का देहांत पहले ही हो चुका था। डाक्टर का जहां बंगला है वहां पास में छोटा सा गांव भी है,उस रात कोई महिला उनके दरवाजे पर आई कुछ दर्द या समस्या के निवारण हेतु तो डाक्टर ने अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए दरवाजा खोला और बैठा के पूछा कि क्या हुआ है,इसी बीच वो मौका पाते ही उल्टी या पेटदर्द का बहाना करके बाथरूम चली गयी। वो महिला घंटों तक बाथरूम से बाहर नहीं आई,आखिर में डाक्टर ने दरवाजा तोड़ा तो वहां कोई नहीं था। अब डाक्टर और उनकी बेटी घबराहट में उस महिला को इधर-उधर ढूंढने लगे।अचानक डाक्टर एक कमरे में गये वहां का दरवाजा अचानक बंद हो गया। कुछ देर में उनकी बेटी ने उस कमरे की ओर देखा तो खिड़की में डाक्टर का मृत शरीर लटका हुआ था। लड़की ने पुलिस को फोन किया और इधर-उधर भागने लगी। लड़की ने शायद कहीं से सरसों हाथ में रखने के बारे में सुना था कि इससे बुरी ताकतें नुकसान नहीं पहुंचाती। उस रात हुआ यूं कि एक पुलिसवाले की भी रहस्यमय ढंग से तो मौत हो गयी और लड़की सुरक्षित बच गयी। लड़की बाहर अपने रिश्तेदारों के यहां रहने लगी है। अभी भी वो बंगला खाली पड़ा हुआ है। लड़की ने टीवी वालों को इसके बारे में बताया तो fear files का एक एपिसोड भी इस घटना पर बना हुआ है। पता नहीं इसमें कितना सच और कितना झूठ है वो तो आज लाल बंगला जाकर ही पता लगेगा।
~lal bangla visit~
लाल बंगले से अभी वापसी हुई है। जब उस रास्ते मुड़े वहां ढेर सारी बैलें। दूर दूर तक कोई इंसान नहीं था। वहां की हवा में एक अलग सा भारीपन था जो दूर से ही महसूस हो रहा था। हवा की वो सिहरन किसी के होने का साफ संकेत दे रही थी ये सब कुछ मेरे लिए एकदम नया सा था। मैंने अपने दोस्त से कहा कि पता नहीं क्यों पर अब आगे जाना कुछ ठीक नहीं लग रहा लेकिन हिम्मत करके आगे निकल गये। अब हम लोगों ने लाल बंगले के पास पचास मीटर की दूरी पर अपनी बाइक रोकी। कुछ मिनट वहां खड़े रहे। फिर अचानक एक हल्की सी खांसने की आवाज आई। आवाज हल्की सी थी मानो कोई बुढ़ा रोने के बाद खांस रहा हो। उस समय रात के 1:40 का समय होगा। मेरे एक साथी दोस्त ने कुत्ते की आवाज है ऐसा कहकर माहौल लाइट करने की कोशिश की। सबको समझ आ गया था कि इतनी रात गए वहां वैसी जगह पर कोई कुत्ता तो नहीं था। न ही वहां पर कोई आदमी हो सकता है। कुछ मिनट बाद थोड़ी लम्बी खांसी आई। अलग ही तरह की, मानो कोई जान बूझ के हमें सुनाना चाह रहा हो,आगाह करना चाह रहा हो। तब हम लोगों को लगा कि अब यहां से निकलना ही सही रहेगा और हम लोग वापस आ गए। पता नहीं वहां कौन था लेकिन कोई दिखाई तो नहीं दिया। मैं तो यही सोच के गया था कि कुछ न मिलेगा सब बनी बनायी बाते हैं ,लेकिन मेरी ये धारणा कुछ हद तक टूटी ,वहां कुछ तो जरूर था।
एक परिदृश्य के रूप में अगर कल की घटना को देखा जाए तो सच में एक हलचल थी उस हवा में,एक सिहरन जो मानो किसी के होने का एहसास देती हो..
अब वो कोई छुपा हुआ तांत्रिक/व्यक्ति,कोई अदृश्य शक्ति या कुछ भी हो सकता है।
क्या है पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
बस एक सबूत ये कि दो बार खांसने की आवाज आई थी।
बस इस मुद्दे में और इससे ज्यादा जानने,सोचने और समझने को कोई बात नहीं रह गई है।
इतने में ये संपूर्ण है।
अब सच बोलूं तो मेरे लिए आज भी सबसे बड़ा भूत,सबसे बड़ी डायन महंगाई,गरीबी,अशिक्षा और कुपोषण है जहां बात इन सब समस्याओं की आती है तो ये सारा जादू टोना,तंत्र-मंत्र सब एक कोरी बकवास के अलावा और कुछ भी नहीं लगता।
अगर ये जादू टोने होते भी हैं तो इस पर विमर्श करने लग जाना खुद को सदियों पीछे ले जाने जैसा है।
अतीत में बुद्ध धर्म को इसी एक धारणा ने अपार क्षति पहुंचाई और कालांतर में भूत संबंधी विषयों में लोगों की विशेष दिलचस्पी इस बात का साफ संकेत है कि मूल कर्तव्यों में जो Scientific temper की बात कही गयी है उसकी समझ से लोग काफी दूर हैं।
No comments:
Post a Comment