शराब अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है। भारत के बहुत से ऐसे राज्य हैं जहाँ सरकारें अपने राज्य के आम लोगों के सेहत के साथ बहुत अधिक खिलवाड़ नहीं करती है। शराब हर राज्य में बिकती है, लेकिन जिन राज्यों में शराब पर सरकार पूरी तरह से आश्रित नहीं है या जहाँ शराब को लेकर बहुत अधिक कायदे कानून न लगाकर सरकारों ने लचीलेपन से काम लिया है, वहाँ अपेक्षाकृत प्रति व्यक्ति शराब की खपत बहुत कम है।
जैसे उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य ओड़िशा को ही ले लीजिए। इस राज्य में शराब की खपत तुलनात्मक रूप से बहुत कम होती जा रही है। सन 2000 से पहले की बात है। तब छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में नहीं आया था। ओड़िशा गरीब राज्य की श्रेणी में आता था, लानतें भेजी जाती थी कि गरीबहा राज्य है, लोग लीचड़ होते हैं, शराब के नशे में धुत्त रहते हैं आदि आदि। आज की स्थिति ऐसी है कि कोई कह के दिखा दे कि गरीब और शराबी राज्य है। इसके बहुत से कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है गुड गर्वनेंस। सरकार आम लोगों को राहत दे दे, उनको तनावमुक्त रखे, उनका सामाजिक आर्थिक शोषण न हो पाए, उनको मान-सम्मान मिल जाए। इससे ज्यादा उन्हें कुछ नहीं चाहिए होता है, इस न्यूनतम प्रबंधन को पाकर आम लोग खुश रहते हैं। सरकारें पता नहीं क्यों इतनी मामूली सी बात आखिर कैसे नहीं समझ पाती है। क्योंकि इस एक समझ के विकसित हो जाने से काम का दिखावा नहीं करना पड़ता है। ओड़िशा की सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था चलाने के लिए शराब के अलावा दूसरे तरीकों से मैनेजमेंट कर लेती है लेकिन लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं करती है।
दूसरा एक राज्य है कर्नाटक। यहाँ सच्चे मायनों में शराब को लेकर लोकतंत्र कायम है। राजधानी बैंगलोर में आपको जगह-जगह छोटे-छोटे ग्राॅसरी स्टोर की तर्ज पर शराब की दुकानें मिल जाएंगी। ऐसा लगेगा कि शापिंग माॅल है। बकायदा टोकरी लेकर अपनी पसंद की शराब की खरीददारी करते हैं, क्या महिला क्या पुरूष सब खुलकर खरीददारी करते हैं, कोई किसी को जज नहीं करता है। कोई धक्का मुक्की नहीं, कोई जल्दबाजी नहीं। बैंगलोर के आसपास वाइन की बहुत सी रिफाइनरी है। बैंगलोर का मौसम वैसे भी वाइन रिफाइनरी के हिसाब से उपयुक्त माना जाता है। ऊपर से यहाँ के जितने पब क्लब रेस्तराँ हैं, वहाँ वे खुद अपना क्राफ्ट बियर बेचते हैं जिसमें वे दुनिया जहाँ के फ्लेवर परोसते हैं, इस मामले में ये शहर भारत के सभी शहरों से आगे है। शराब की गुणवत्ता के मामले में बैंगलोर देश में अव्वल नंबर पर है। अब सवाल यह कि यह राज्य जब नकली शराब नहीं बेच रहा, तीन तिकड़म नहीं कर रहा है तो अर्थव्यवस्था चलाने के लिए बाकी मैनेजमेंट कैसे कर रहा है तो इसका जवाब यह है कि बैंगलोर शहर पूरे देश में करप्शन में नंबर वन है। रोड टैक्स यहाँ सबसे ज्यादा है। और आफिस लेवल पर जो भ्रष्टाचार होता है, वह अलग ही लेवल पर चलता है। सेमी लीगल तरीके से एक बढ़िया व्यवस्था बनी हुई है। पैसे का मजबूत प्रवाह बना रहता है।
देवभूमि नाम से विख्यात राज्य हिमाचल और उत्तराखण्ड की बात करें तो वहाँ भी शराब में ठीक-ठाक मिलावट होती है लेकिन उतनी नहीं होती है जितनी भारत के अन्य राज्यों में होती है। भले देवभूमि कहा जाता है लेकिन वहाँ होने वाली पूजा में देवताओं को भी तो शराब चढ़ाया जाता है, और भगवान तो कण-कण में विद्यमान हैं, उस कण में मनुष्य भी आता है और मनुष्य तो आदिकाल से सोमरस का पान कर रहा है। तो वहाँ के लोगों का भी शराब के प्रति अटूट प्रेम है। अच्छी खासी खपत होती है, राज्य को ठीक-ठाक राजस्व मिल जाता है। बाकी नैसर्गिक सुंदरता से परिपूर्ण होने की वजह से वहाँ का टूरिज्म अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर ही देता है।
अब उस राज्य पर आते हैं जहाँ बकायदा लोग या तो शराब पीने जाते हैं या फिर वहाँ से शराब की बोतलें लेकर आते हैं। तो इस राज्य का नाम है गोवा। गोवा को वैसे तो राज्य कहना ही अपने आप में बेमानी है क्योंकि 451 साल तक पुर्तगालियों के आधिपत्य में रहा और अभी 62 साल पहले ही हमारे हिस्से आया है तो वहाँ की आबोहवा थोड़ी अलग है। गोवा का आम आदमी शराब छूता तक नहीं है वाली स्थिति है। काजू से बनने वाली शराब भी अधिकतर पर्यटकों के हिस्से ही आती है, वही इसे उदरस्थ करते हैं। बाकी स्थानीय लोगों में शराब का मोह उतना नहीं है। लेकिन गोवा जाने वाले पर्यटकों में शराब के प्रति अजीब तरह का मोह है, चूंकि शराब और पेट्रोल दोनों वहाँ टैक्स फ्री है तो लोग जमकर मौज काटते हैं। और हम भारतीयों की आदत है ही कि थोड़ा भी कुछ सस्ता मिले तो सारी नैतिकता वहीं ताक पर। कोई चीज अगर हमें सस्ती मिल जाए तो "इतना कम कर दोगे तो दो किलो खरीद लूंगा" इसी तर्ज पर अपनी क्षमता से अधिक खरीददारी करते हैं। इसी साइकोलाॅजी से गोवा की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
कोरोना जब चल रहा था तो शराब को लेकर गजब की आपाधापी मची हुई थी। हर जगह से वीडियो वायरल हो रहे थे जिसमें लोग कतारबध्द दिखाई दे रहे थे। आज भी आपको इंटरनेट में वीडियो मिल जाएंगे। उसमें भी आपको सर्वाधिक मारामारी और भीड़ वाली वीडियो में अव्वल नंबर पर छत्तीसगढ़ ही दिखाई देगा। ऐसा क्यों है इसके पीछे के कारणों पर कभी और चर्चा की जाएगी। अभी के लिए बस इतना ही कि सारी गलती नामुराद टेथिस सागर की है और ये हमारा दुर्भाग्य है कि हमारा क्षेत्र गोण्वाना लैण्ड में पड़ता है।
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