एक लड़का है। कच्ची उम्र का है, लाखों की तनख्वाह वाली नौकरी है, इसके अलावा आवास, भोजन, परिवहन संबंधी अन्य सुविधाएं प्राप्त हैं। पारिवारिक माहौल, कंडिशनिंग या संगत जो भी कह लें, इन सबकी वजह से उसका व्यक्तित्व कुछ ऐसा तैयार हुआ कि बहुत ही अधिक नफरती और क्रिमिनल माइंडसेट का हो गया। चूंकि उम्र में बहुत छोटा है, तो एक बड़े भाई का दायित्व निभाते हुए अभी कुछ समय पहले मेरी उससे मुलाकात हुई। ये मैं पहली बार उससे मिल रहा था, इससे पहले सोशल मीडिया में ही जान पहचान थी। मैं हाव-भाव से ही समझ गया कि इंसान बहुत ही अधिक बीमार है, सोशल मीडिया से इतर सामने मिलना इसलिए भी जरूरी होता है, बहुत कुछ समझ आता है। हाव-भाव से बहुत ही शांत, सहज, गंभीर, एक आम व्यक्ति भले थाह नहीं पाएगा लेकिन इतनी कम उम्र के व्यक्ति में ऐसी गंभीरता मुझे तो असहज ही करती है। उसमें भी गंभीरता ऐसी जो सिर्फ और सिर्फ आपराधिक प्रवृति के लोगों में ही पाई जाती है। कोर इंजीनियरिंग का छात्र होने के नाते और अलग-अलग राज्यों में रहते हुए मैंने तरह-तरह के हिंसक लोग देखे हैं लेकिन उन सबके भीतर भी अंश मात्र ही सही प्रेम और संवेदना की झलक देखने को मिल गई, लेकिन ये ऐसा पहला व्यक्ति मिला जिसके भीतर इंच मात्र मानवीय संवेदना देखने को नहीं मिली। ऐसे समझिए कि व्यक्ति के भीतर किसी वायरस की तरह पूरे मन मस्तिष्क में नफरत का प्रवेशन हो चुका हो। ऐसे लोग अमूमन भयानक पुरुषवादी मानसिकता के होते हैं और महिलाओं के प्रति बहुत अधिक नफरत का भाव रखते हैं, घोर असंवेदनशील होते हैं, आप शायद वहाँ तक सोच भी न पाएं। मैं समझ सकता हूं कि ऐसा व्यक्ति कैसी जीवन यात्रा से होकर आया होगा। खैर..
ऐसे लोग जहाँ कहीं भी होते हैं, नफरत को ही पोषित करते हैं, ये भी वही कर रहा है। पूरा भरोसा है कि आगे भी आजीवन यही करता रहेगा। ये लोग अपराध भी करते हैं तो बच के निकलने के सारे साधन तैयार रखते हैं, आप कितने भी तेजतर्रार हों, इन्हें आप नहीं पकड़ पाएंगे। एक संवेदनशील व्यक्ति के लिए एक संवेदनहीन व्यक्ति की थाह पाना इतना आसान नहीं होता है। और आप ऐसे लोगों से उम्मीद नहीं कर सकते कि वे आपकी बात सुन लें। वैचारिक रूप से अडिग ये लोग पूरी दुनिया को अपनी हिंसा और नफरत से ही संचालित करने में विश्वास रखते हैं। इस तरह के लोगों को एक मनोवैज्ञानिक की सबसे अधिक जरूरत होती है।
एक बार कार सीखने की बात निकली थी तो उस लड़के ने बताया था कि एक कोई उसके रिश्तेदार हैं जो इलीगल सप्लाई का काम करते रहे हैं और गाड़ी चलाने में उन्हें महारत हासिल है। उसने बताया कि उसे कार चलाना उन्होंने ही सिखाया। वह कहता कि पूरे देश में उनके बराबर का कोई ड्राइवर नहीं होगा। आगे उसने बताया कि उसके रिश्तेदार ने एक बार टोल नाके में पुलिस वालों को अपनी गाड़ी से रौंद दिया। और इस घटना के बाद वे कई साल के लिए गायब हो गये। उसने बताया कि इस तरह के बहुत से अपराध उन्होंने अपने समय में किए, लेकिन कभी वे कानून के हाथ नहीं लगे। उसने बताया कि पहले वे ये सब करते थे, अब नहीं करते हैं। यह सब बताते हुए उसके चेहरे के भाव कुछ उसी तरह के थे जैसे भाव एक शिष्य के चेहरे पर होते हैं जब वह अपने गुरू की प्रशंसा करता है।
एक बार कुत्तों को लेकर चर्चा हुई। उसने बताया कि कुत्तों में एक पिटबुल डॉग प्रजाति होती है जो कि बहुत ही अधिक खतरनाक होती है। उसका एक बाइट इतना पीएसआई जनरेट करता है कि सामने वाले की जान चली जाती है। अमेरिका और कुछ कुछ देशों में इसके इसी स्वभाव के कारण इसे बैन कर दिया गया है लेकिन भारत में बैन नहीं है। पिटबुल डॉग इतना हमलवार प्रकृति का होता है कि यह सीधे सामने वाले को जान से मार देता है। इस डाॅग के हमले से बहुत लोगों की जान जा चुकी है। पालतू कुत्ते बकरियां गाय थोक के भाव शिकार होती रहती हैं। उसने अंत में बताया कि भारत में अधिकांशत: महिलाओं को ही पिटबुल डॉग पसंद होता है, ऐसा कहते हुए वह महिलाओं को पुरूषों से अधिक हिंसक प्रायोजित कर रहा था, खैर उसकी इस पुरुषवादी सोच से मैं बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं। मेरे जानने में बहुत से ऐसे डाॅग लवर दोस्त यार हैं, उनसे कुत्तों की ब्रिड को लेकर लंबी चर्चाएं चली होंगी लेकिन उन्होंने कभी ऐसे हाईलाइट करके कुत्तों के इस हमलावर ब्रीड के बारे में इतने विस्तार से जिक्र नहीं किया। फ्राइड सही कह गये हैं कि इंसान जो कहता है, जिस तरह से कहता है, वही उसके बारे में बहुत कुछ बता देता है।
एक और वाकया इसने बताया कि कैसे उसे वर्कप्लेस में अपने अधीनस्थों से जूते उठवाने या सामान उठाने के लिए आदेश देकर मजा आता है, कैसे वह अपने से नीचे के लोगों के भीतर की नकारात्मताओं को आड़े हाथों लेकर उन्हें घंटों इंतजार करवाकर सुकून पाता है, कैसे वह अपने हिस्से की सुविधा और सुरक्षा पा लेने के लिए पूरे सिस्टम को आड़े हाथों लेता है, ऐसा ही बहुत कुछ अटरम शरटम करता है और इस पूरी प्रक्रिया में असीम आनंद से अनुभूत हो लेता है। खैर, ये अपने से छोटों का शोषण कर आनंद भोगने वाले बहुतेरे देखे हैं लेकिन उसमें भी आपराधिक प्रवृति वाला ये पहला रहा।
ऐसे विचित्र लोगों के लिए मेरा अंदाजा बहुत कम ही गलत निकलता है, खासकर अनुभवजन्य बातें सही ही साबित होती है, पूरी उम्मीद है कि यह व्यक्ति अपने आने वाले समय में बहुत साफ्ट तरीके से और अधिक मात्रा में अलग-अलग प्रकार के आपराधिक कृत्यों को पूरी क्रूरता से अंजाम तक पहुंचाएगा, और लोगों को इस व्यक्ति का परपीड़ा सुख समझ नहीं आएगा, क्योंकि यह खामोश, गुमसुम, भीरू स्वभाव का हिंसक व्यक्ति है। इस लड़के से मिलना मेरे लिए बहुत अलग तरह का अनुभव था। कैसे धीरे-धीरे एक पूरी प्रक्रिया के तहत एक आपराधिक प्रवृति का व्यक्ति तैयार होता है, यह देखना अपने आप में अभी तक के अनुभवों में से सबसे अलग अनुभव रहा।
मानवीय पहलुओं से उसका साक्षात्कार हो सके, इस हेतु अपने स्तर पर मुझसे जो बन पड़ा, वह मैंने इस बीच किया। मैंने अपने स्तर पर छोटे-छोटे जेस्चर से उसके हिंसात्मक स्वरूप में कमी लाने की हर संभव कोशिश की। बुध्द और अंगुलीमाल का समय बहुत अलग था। अभी के समय का चैलेंज अलग ही तरह का है। एक बचपन का दोस्त मुझसे कहा करता है कि मैं क्यों लोगों को इतना बर्दाश्त करता हूं, इस पर मुझे एक ही बात याद आती है - " सहने में जो आनंद है वो भोगने में कहाँ। "
इति।
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