उनका बचपन बहुत अधिक गरीबी, मुफलिसी में बिता। मिट्टी का घर रहा। खाने-पीने तक की समस्या रहती, ऐसी नौबत भी आ जाती थी। घर के सभी सदस्य दिहाड़ी से ही घर का खर्च चलाते थे। घोर संघर्ष और लगातार मेहनत से पक्के मकान तक का सफर उन्होंने तय किया। घर के मुखिया समान बेटे की एक सधी हुई सरकारी नौकरी भी लग गई। घर के पास नौकरी मिली, वह और सोने पे सुहागा। सुख समृध्दि का आलम यह कि मुखिया बेटे की सूझ-बूझ से धीरे-धीरे तीन मंजिला घर भी तान लिया, कार वगैरह व अन्य तमाम तरह की दुनियावी सुविधाएं। हर कोई उनका उदाहरण देता कि देखो कितने गरीब थे, कठोर संघर्ष से आज कहाँ तक की दूरी तय कर लिए। फिर एक दिन सुनने में आया कि मुखिया बेटे को ड्रीम11 की ऐसी लत लगी कि लाखों लाखों लुटा रहे हैं। जो लोग उनका उदाहरण देते रहे, आज वे कहते फिरते हैं कि भले इतनी संपत्ति है लेकिन ड्रीम11 तो सब चूस ले जा रहा है, जिन्हें एक समय में प्रेरणास्त्रोत माना जाता, आज जनमानस उनसे किसी भी तरह की प्रेरणा न लेने की अपील कर रहा है। जीवन में कुछ हो न हो धारण करने की क्षमता होना बहुत ही जरूरी हुआ। बाकि समय का फेर तो चलता रहता है।
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