Friday, 31 December 2021

Day 141 of all India solo winter ride


रायपुर से दिल्ली जाने के रास्ते कान्हा किसली के पास इस एक ढाबे में खाने के लिए रूका था। खाना खाने के बाद वापस जाने की तैयारी कर रहा था, जैकेट और अपने दस्ताने लगा ही रहा था कि मेरे बैग का कवर नीचे गिर गया। उस वक्त वहाँ एक बस रूकी हुई थी, शायद टूरिस्ट या शादी में जाने वाली बस रही होगी, परिवार के लोग थे। बच्चे युवा बूढ़े सभी थे, वहीं कुछ युवा मुझे तैयारी करते हुए देख रहे थे। एक 15-16 साल की लड़की बड़ी उत्सुकता से मुझे देख रही थी, जैसे ही मेरा बैग कवर नीचे गिरा, वह तुरंत मेरे पास आई और बैग कवर उठा कर मेरी बाइक पर रखकर वापस चली गई, मैं थैंक्यू बोला, पता नहीं उसने सुना भी या नहीं, तुरंत चली गई। बहुत ही सहज प्रतिक्रिया थी। यात्रा के दौरान ऐसी बहुत छोटी-छोटी चीजें पता नहीं क्यों मन मस्तिष्क में छप कर रह जाती हैं। कहने को तो ये बहुत ही सामान्य बात थी, बहुत ही सहज प्रतिक्रिया थी, लेकिन सहज बातें और सहज लोगों ने ही मुझे हमेशा से प्रभावित किया है।
मैं जब यहाँ रूका हुआ था, तो अपनी कुछ चीजों को लेकर थोड़ा परेशान था, इसलिए गाड़ी चलाने का उतना मन भी नहीं कर रहा था, इसलिए कुछ देर यहीं लेटा हुआ था, अकेले घूमने वाले ही इस मनोस्थिति को समझ सकते हैं, जब भी कभी लगता है कि हम देश दुनिया से पूरी तरह कट चुके हैं, अलग-थलग पड़ चुके हैं, जब हम बैचेनी महसूस करने लगते हैं, तो शायद कोई हमारे मनोभावों को देख रहा होता है, सुन रहा होता है, और फिर कुछ लोग ऐसे कुछ सेकेण्ड के लिए अपनी सहज प्रतिक्रिया से मन हल्का कर देते हैं, ऊर्जा दे जाते हैं, यात्रा सुखद बनाने में योगदान‌ दे जाते हैं।


1 comment:

  1. खुशिया चाहने वाले ,खुशियां ढूंढ ही लेते है और खुशियां भी ढूंढ़ लेती है। इस लिये इस छोटी सी भी घटना में आपने कुछ अच्छा ढूंढ़ लिया । 😊

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