Monday, 13 December 2021

किसानों की दूरदर्शिता -

किसान आंदोलन अपने आप पैदा हुआ आंदोलन था और यही इस आंदोलन की सबसे खास बात थी। इस आंदोलन में कभी कोई महानता वाला तत्व नहीं रहा है, कोई वाॅव फैक्टर नहीं रहा है, सेलिब्रिटी वाले तत्व नहीं रहे हैं, एकदम सामान्य और साधारण चीजें रही है। किसी प्रकार का कोई विशेष क्रांतिकारी नारा या संगीत देखने को नहीं मिला जो अमूमन दूसरे आंदोलनों में देखने को मिलता है। दशकों शताब्दियों पुराने गाने या कविताएँ यहाँ दोहराई नहीं जा रही थी, यहाँ किसानों के अपने गाने थे जो आंदोलन से ही किसानों के अपने ज्वलंत मुद्दों से ही पैदा हुए। कोई इंकलाबी क्रांतिकारी नारा नहीं लगाया गया, नारों के नाम पर भी वही मूल मुद्दों से जुड़े नारे रहे जैसे - किसान मजदूर एकता जिंदाबाद, भाईचारा जिंदाबाद आदि।
इस आंदोलन में एक नयापन था, सब कुछ एकदम नया, ताजा। पुराना कुछ भी नहीं था, हाँ मुद्दे तो पुराने थे, घुटन पुरानी थी लेकिन उसकी तासीर नई थी, उस घुटन को खत्म करने का तरीका नया था, इसलिए इस नई हवा ने सरकारों को हिला दिया, झुकने‌ पर मजबूर कर दिया। इस आंदोलन ने पुरानी सढ़ी गली हवा को कुछ हद तक साफ कर नई हवा के लिए जगह बनाने की कोशिश की है।
इस आंदोलन उस तरह से नहीं रहा कि 15 अगस्त या 26 जनवरी के आसपास एक दो दिन देशभक्ति वाला सुनकर देशभक्ति को जी लिया, हाथ के रोंगटे खड़े करके खुश हो लिया फिर अपने काम में लग गये, यह आंदोलन सतत् चल ही रहा है, लोगों के भीतर गहरे बैठ गया है, पानी के बुलबुले की तरह खत्म नहीं हुआ है, लोगों को एक गति दे गया है, उन्हें शांत कर मानवीय मूल्यों के बीज डाल रहा है साथ ही साथ उन्हें अन्याय के खिलाफ निडर होकर खड़े होने लायक हौसला दे रहा है।
किसानों की सूझबूझ, उनकी दूरदृष्टि को इस तस्वीर में लिखी इस छोटी सी लाइन से महसूस कीजिए।
किसानों का धन्यवाद।। 🙏🙏


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