किसान आंदोलन कितना अधिक पारदर्शी है इसका अंदाजा इसी से लगाइए कि अगर इस आंदोलन में कोई बाहर से यानि जो दिल्ली में नहीं है और दूसरे राज्य या देश से सीधे रूपयों का सहयोग करना चाहे तो नहीं कर सकता है। आज जब आनलाइन विकल्पों के बारे में पता किया तो मालूम पड़ा कि ऐसी कोई सुविधा ही नहीं है, और ये कितनी अच्छी बात है। सोचिए अगर आनलाइन फंड के कलेक्शन की सुविधा होती तो इसमें दुनिया भर के फंड की जाँच, इनकम टैक्स की जाँच और सरकार की तरफ से जो लांछन लगाये जाते वो अलग। आनलाइन माध्यम से दानदाता की नियत भी पता नहीं चलती। इस माध्यम से इस आंदोलन को ठीक-ठाक क्षति पहुंचने की संभावना थी। जब एक धर्म विशेष के झंडे को खलिस्तान पाकिस्तान कहकर दुष्प्रचार किया जा सकता है तो आनलाइन फंडिंग अगर होती तो इस पवित्र आंदोलन के लिए बहुत अधिक मुश्किल पैदा की जाती। इसीलिए सीधे कैश से डोनेशन देने की सुविधा है, इससे दान वाली पारदर्शिता भी बनी रहती है, और जो व्यक्ति दान देने आता है वह सिर्फ दान देने नहीं आता, वह आंदोलन को महसूस करके जाता है। आनलाइन माध्यम न होने के बावजूद लोगों के प्रेम आशीर्वाद से अभी तक किसी भी प्रकार की आर्थिक समस्या नहीं आई है। लोग दिल खोलकर दान दे रहे हैं। जनवरी की ठंड और इन विकट परिस्थितियों में 150 लोगों की मृत्यु के बावजूद उसी उत्साह से लगातार सड़कों पर डटे रहना, फंडिंग के लिए किसी भी प्रकार के आनलाइन माध्यमों का सहारा न लेना, और सरकार (और सरकार समर्थक आमजन) की तरफ से लगातार तमाम तरह की प्रताड़नाएँ झेलना, अपमान झेलना।
कितना कुछ हो रहा है, इसके बावजूद किसान आंदोलन में न जाने कौन सी ऐसी अदृश्य शक्ति है जिसने इसे बाँधकर रखा हुआ है, एक छोटी भी कोई हिंसा की घटना अभी तक किसी के द्वारा नहीं हुई है, ये हैरान कर देने वाली बात है। मानो सबको यह आंदोलन, इस आंदोलन की आबोहवा कुछ जीवन मूल्य दे रही हो, मानवता को पुनीत कर रही हो, सभी अनजाने सामाजिक मूल्यों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर रही हो, उमंगों को मधुर बना रही हो, लोगों को शांत कर रही हो, प्रबुद्ध बना रही हो, सारे भेद मिटाकर एकता के सूत्र में पिरो रही हो और एक सभ्यता का अवतरण कर लहरें उठाने की कोशिश कर रही हो। यकीनन देश के लिए समाज के लिए ऊंची चीज हो रही है।
सिंघु बार्डर में हर दिन पाँच दस नये टेंट लगते हुए देख रहा हूं, यही नजारा टिकरी बार्डर, शाहजहांपुर और गाजीपुर बार्डर का है। यानि जिस तेजी से आए दिन किसान आंदोलन में हजारों की संख्या में लोग आकर जुड़ रहे हैं, उसी तेजी से इस आंदोलन में नि:स्वार्थ भाव से मदद करने लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ती ही जा रही है।
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