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जी बैठिए
बताइए अपने बारे में,
जी, CV में जो नहीं लिख पाया, वो बताता हूं।और फिर मैंने वह सब कुछ बताया जो शायद हम CV में नहीं लिख पाते, एक भी फिजूल की बात नहीं की। नाम, स्कूल, कालेज ये सब के बारे में चर्चा ही नहीं की। पूरे 40 मिनट में 38 मिनट तो मैं ही बोलता रहा, कई बार ऐसा हुआ उनके पास सवाल ही नहीं होते और कई बार तो उनके और मेरे विचार मेल खा जाते थे फिर वे चुप हो जाते थे और मैं भी।
Que. - आप इतने साल बाद खुद को कहाँ देखते हैं?
जी इस बारे में मुझे सच में नहीं पता, लेकिन एक बात कहूंगा कि जो शायद पहले ही आपके लिखित पेपर में कह चुका हूं - भारत में दो तरह के लोग हैं एक जिनके लिए रोटी कपड़ा मकान बचपन से बुढ़ापे तक कोई बड़ा मुद्दा नहीं होता है, लेकिन वे आजीवन पूरी हिंसा के साथ इसका रोना रोते हैं। दूसरे वे लोग होते हैं जिनके लिए रोटी कपड़ा मकान और इसकी पूर्ति करना ही पूरा जीवन होता है, वे लोग आजीवन इसके अलावा कोई दूसरा लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाते। असल में मैं पहले कैटेगरी का हूं, और जब जीवन एक बार मिला है, तो कुछ न कुछ तो बेहतर करना ही होगा, इसलिए एक बार मिले इस जीवन को पूरी उपयोगिता के साथ जीने की इच्छा रखता हूं।
Que. - आपको नहीं लगता कि आपके जैसी सोच का व्यक्ति अगर प्रशासन में आ जाए तो लोगों का बहुत भला होगा?
जी, नहीं। तंत्र का हिस्सा बनकर मैं कब तक अपने अंदर इन चीजों को संभाल कर रख पाऊंगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। तंत्र में रहकर कहीं न कहीं उसकी खराबी मुझमें आएगी ही। हां ये हो सकता है कि बाकी लोगों से थोड़ा बेहतर काम करूंगा, लोग शायद तुलनात्मक रूप से मुझसे कम परेशान हों। लेकिन तंत्र का हिस्सा बनकर इंच मात्र भी मूलभूत सुधार संभव नहीं है। चीजें असंभव तो नहीं लेकिन असंभव की हद तक कठिन जरूर हैं।
Que. - आपने कहा कि लोगों के सहयोग से एक तालाब बना, पुल बना ये सब काम तो सरकार का है? फिर हमारी क्या जरूरत?
मेरी नजर में सरकार एक प्रबंधनकर्ता से ज्यादा और कुछ भी नहीं, और इससे ज्यादा उसे होना भी नहीं चाहिए, विकसित देशों में सरकार का हस्तक्षेप ना के बराबर होता है, जहाँ जनता जागरूक है, अपने मसले खुद निपटा लेती है, सरकार बस उचित प्रबंधन करता है, जहाँ ऐसा नहीं होता, सरकार निरंकुश होने लगती है।
Que. - आपने स्वरोजगार की बात कही, स्वरोजगार को थोड़ा विस्तार से बताइए?
स्वरोजगार, जैसा कि शब्द से ही स्पष्ट है, स्व यानि खुद से रोजगार। और गहरे में कहा जाए तो जहाँ हम हैं, वहीं के उपलब्ध संसाधनों से रोजगार पैदा करना, और उसे विस्तार देना, यही तो स्वरोजगार हुआ।
Que. - समझ लीजिए कि आपको फलां पद दे दिया जाए, आप क्या करना चाहेंगे?
जी, आप जिस पद के बारे में कह रहे हैं, सच कहूं मैं खुद को उसके योग्य नहीं समझता हूं, तो क्या ही करूंगा। बेहतर होगा एक साधारण से कार्यकर्ता की तरह काम करूं। ऐसा नहीं है कि मैंने जिस पहल की बात आपसे मैंने की, उसमें मैं नया हूं। और भी लोग ऐसे काम कर रहे हैं, कोशिश रहेगी कि मैं भी ऐसे किसी काम का हिस्सा बन जाऊं।
Que. - नौकरी और सिक्योर लाइफ क्या आप इसको थोड़ा सा explain करेंगे?
जी, ऐसा है कि मुझे लगता है जब तक इंसान जीवित है, उसके पास पैसे कमा लेने की ढेरों संभावनाएँ हैं। और लाइफ सिक्योरिटी का क्या है, आज है कल नहीं है। कोई इसकी गारंटी तो नहीं दे सकता, न तो सरकार न ही कोई प्राइवेट संस्था। हाँ, आराम और सहूलियत की गारंटी जरूर देती है। अपनी बात कहूं तो जब तक साँस चल रही है, स्वास्थ्य अच्छा है, तक तब लाइफ सिक्योर है।
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