भारत में आये दिन रेप होते हैं। कभी हिंसा की मात्रा अत्यधिक होने पर, कभी कुछ नये तरीके से इस घटना के घटित होने पर या अन्य किसी कारण से जब रेप होता है तो हम देखते हैं कि मामला जन-जन तक अपनी पहुंच बना लेता है। हमें खबरें मिलती है, हम अपने-अपने तरीके से संवेदना जाहिर करते हैं और रेप के कारणों को बिना समझे सख्त कानून की मांग करने लग जाते हैं। जबकि हमने कभी इस समस्या को जड़ से समझने का साहसिक प्रयास नहीं किया होता।
सामान्य समझ के आधार पर हम देखें तो रेप का मतलब हमारे लिए ये होता है कि जैसे--
- एक व्यक्ति ने किसी महिला को अकेले पाकर उसकी अनुमति के बिना, शारीरिक बल या हिंसा के माध्यम से उसकी अस्मत लूटी और भाग निकला,या फिर एक और पहलू ये कि जैसे लोगों की भीड़ ने नशे या आवेश में आकर अपने क्षणिक सुख के लिए किसी महिला को जबरन घेरा और जानवरों की तरह नोच डाला। इस तरह की जो भी घटनाएँ हमारे आसपास घटती है उसे हम रेप कहते हैं। और फिर अमुक व्यक्ति को सजा-ए-मौत दिलाने की मांग करने लग जाते हैं।
लेकिन ये सजा की माँग करने वाले लोग हैं कौन?
आप और हम।
हां आप और हम जिसने कभी ऐसी समस्याओं को जड़ से समझने का न तो कोई भगीरथ प्रयास किया और न ही इसके समाधान की ओर कभी ध्यान दिया। हमारे लिए रेप के मायने सिर्फ उतने ही हैं जितना ऊपर अभी लिखा हुआ है। असल में रेप की जड़ यहाँ ऐसे किसी एक घटना से जुड़े कारणों में है ही नहीं। रेप का जड़ हमारे आसपास गली मोहल्लों में होता है, आपके हमारे घर में इसका बीज तैयार होता है।
हम खुद आए दिन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी न किसी का रेप कर देते हैं इसलिए हमें इसका समाधान दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता या यूं कहें कि असंभव सा लगता है।
अब सवाल ये आता है कि भई हमने तो किसी के साथ जोर जबदस्ती की नहीं तो फिर हमसे कैसे रेप हो गया।
हां तो सुनिए ---
- रेप तब भी होता है जब एक लड़की को उसके मनमौजी अंदाज से, श्रृंगार के तरीकों से, लड़कों के साथ घूमने से, ज्यादा बोलने या कम बोलने से और ऐसे अन्य कई कारणों से संदेह किया जाता है, सवाल किया जाता है या तमाम तरह की अटकलें लगाई जाती है।
- रेप तब भी होता है जब रोड पर खड़ी हुई लड़की को एक इंसान के दर्जे से हटाते हुए हम आंखों से ही उसे खा जाते हैं और उसे इतना असहज कर देते हैं कि वह नजरें छिपाकर भागने लगती है।
- रेप तब भी होता है जब कोई महिला किसी एक अन्य महिला के शारीरिक बनावट को लेकर चर्चा करती है, उसके चाल चरित्र और पहनावे को लेकर विमर्श करती है। और ये महिलाएँ कौन होती हैं?
उत्तर बहुत ही स्पष्ट है- आपकी हमारी माताएँ, बहनें।
पुरुष निर्वस्त्र कर रेप करते हैं और महिलाएँ चरित्र की परतें छीलकर।
- रेप तब भी होता है जब महिलाएँ अपनी आत्मश्लाघा(अहं) और असुरक्षा के तुष्टीकरण के लिए बातों से ही लड़कियों की इज्जत लूट लेती हैं। इन महिलाओं पर दैवीय कृपा बरसती होगी तभी तो ये महिलाएँ इतनी दिमागदार होती हैं कि किसी लड़की या अन्य किसी महिला को बिना देखे भी उसका चरित्र का निर्धारण कर लेती हैं।
ऐसे रेप आए रोज होते रहते हैं लेकिन ये सब हमें कभी दिखाई नहीं देता क्योंकि हमने इसे कभी रेप, रेप छोड़िए हमने इन चीजों को कभी एक समस्या के तौर पर देखा ही नहीं। यानि जब कोई पेड़ जहरीले फल देता है तो हमें फल या डालियों को काटने में समय जाया न करते हुए क्यों नहीं सीधे जड़ उखाड़ने का प्रयास करना चाहिए। हां जड़ उखाड़ने में समय लग सकता है लेकिन अगर इससे हमें इस सामाजिक विद्रूपता से निजात मिलती है तो क्यों नहीं हमें इस ओर कदम बढ़ाना चाहिए।
Speechless..😶 Bht sahi mudda uthaya h aapne or use sahi dhang se pesh bhi kiya h..is par aapke vichar lajawab hai
ReplyDeletethanku you so much lalita for your concern. :-)
DeleteBhot khub likha h aapne ..apkI soch bhot achi h
ReplyDeletethanku toshu..it means a lot
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