Tuesday, 13 March 2018

- ऐसा लगा मानो किसी गाँव का प्रधान(सरपंच) आया हो -

                             ये तस्वीर अगस्त 2016 की है। मुनस्यारी,उत्तराखंड के दरकोट गाँव में पत्थर से निर्मित माँ भगवती मंदिर का उद्घाटन मुख्यमंत्री जी के द्वारा होना था, साथ ही आज दरकोट में मेला लगा था। मुख्यमंत्री जी अपने एक मंत्री के साथ दरकोट पहुंच चुके थे। मुझे भी हमारे दोस्त ने कहा कि चलो यार दरकोट होकर आते हैं, उधर एक जगह खाने का न्यौता भी है, आपको पतूर खिलाते हैं। "पतूर" एक प्रकार का पहाड़ी व्यंजन है। तो ये जो खाने के लिए निमंत्रण मिलता है, यह भी एक विशेष तरह की परंपरा है, इसका एक कोई नाम भी है, नाम भूल रहा हूं। तो इसमें होता यह है जहाँ जिस गाँव में मेला लगता है, वहाँ अगर आपके कोई रिश्तेदार हैं, उनके यहाँ आपके और आपके साथ जितने भी साथी आ रहे हों, चाहे दस, बीस, तीस लोग। सबके लिए भोजन की व्यवस्था रहती है।
उसी दिन मैंने पहली बार "तिमूर" भी खाया, तिमूर काली मिर्च की तरह दिखता है, उसका स्वाद कुछ ऐसा था जैसे किसी ने मुट्ठी भर लौंग मेरे मुंह में ठूंस दिया हो। यानि तिमूर खाने के बाद जो पूरा मुंह सुन्न हुआ वो अगले एक दो घंटे तक बना रहा, इस बीच अगर मैं कुछ खाता भी तो मुझे उसका स्वाद न मिल पाता।
                             दरकोट में आसपास के सभी गांवों से लोग इकट्ठे हो चुके थे। मंत्री जी के लिए एक छोटा सा स्टेज बना हुआ था, वहीं से उन्होंने जनता को संबोधित किया। संबोधन से पहले जब वे ढोल बजाते हुए जनता के बीच आए तो लोगों की प्रतिक्रिया कुछ ऐसी थी कि मानो अपने ही घर का व्यक्ति हो, सब अपने-अपने जगह से हाथ जोड़कर नमस्ते कर रहे थे, न तो सेल्फी लेने की होड़ दिखी न ही कैमरों की भीड़।
                             यूं लगा कि वाकई हिमनगरी मुनस्यारी में ही यह संभव है। और तो और मुख्यमंत्री जी के आसपास कोई खास सिक्योरिटी भी नहीं थी, ऐसा था कि कोई भी पास जाकर मिल ले, गले लगा ले। जब वे वापस भी गये तो एक पुरानी सी तवेरा में बैठकर गये, उस गाड़ी की खिड़कियां भी खुली थी।
उनका वो छोटा सा काफिला जब लोगों के बीच से गुजर रहा था तो लोगों की प्रतिक्रिया ऐसी थी मानो कोई साधारण सा व्यक्ति जा रहा हो।
मैं ये सब देखकर हैरान हो गया, मैंने अपने दोस्त से पूछा- ये क्या था?
उन्होंने बताया - यार यहाँ तो ऐसा ही है, यही यहां की संस्कृति हुई और क्या। मंत्री जी का बस चले तो वे यहीं रह जाएं, उन्हें मुनस्यारी और जोहार से इतना लगाव है कि यहाँ के हर त्यौहार,मेले में पहुंच ही जाते हैं।
                             दरकोट के इस मेले में अधिकतर लोग 10-10 किलोमीटर दूर से अपने सीएम को सुनने आए थे,कोई पैदल तो कोई गाड़ी में, असल में ये खुद से आने वाली भीड़ थी। उस दिन मौसम भी साफ था, पर अचानक हल्की बारिश शुरू हो गई, मुनस्यारी का मौसम भी अजीब है, कभी-कभी तो Accuweather वगैरह भी काम नहीं करता है, कभी भी कुछ भी हो जाता है। इसलिए इस फोटो को आप देखिए, अधिकतर लोगों के पास अपना छाता है। सीएम को सुनने की दिलचस्पी लोगों में कुछ ऐसी थी कि बारिश में भी अधिकतर लोग रूके रहे। और फिर जब भिगते हुए मैंने इस पूरे दृश्य को देखा तो तस्वीर लेने से खुद को रोक नहीं पाया।





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