Thursday, 23 February 2017

My Letter to Ankita-

प्रिय अंकिता,
सबसे पहले मैं तुम्हारी खुशहाली की मंगलकामना करता हूं कि तुम्हारी चोट जल्दी से ठीक हो जाए और तुम जल्द से जल्द शास्त्रीय नृत्य और संगीत की धारा में वापस लौट आओ। जब तुमने मुझे बताया था कि तुमने भरतनाट्यम, कुचीपुड़ी, मोहिनीअट्टम सीखा हुआ है, मुझे सुनकर यकीन न हुआ। मैं एक पल के लिए अवाक रह गया। आज तुमने बताया कि हिन्दुस्तानी क्लासिकल का कोर्स तुमने पूरा कर लिया है और अब Carnatic Classical सीख रही हो, साथ ही गिटार भी सीख रही हो। तुमने बताया कि अब से तो यही मेरी दुनिया है। तुमने ये भी बताया कि इंडियन क्लासिकल डांस और संगीत पर लोग हंसते हैं, उन्हें बोरियत होती है। हां सेन्सुउल और फूहड़ जो नहीं है भारी कपड़े जो पहनने पड़ते हैं, थोड़ा सभ्य बनना पड़ता है तो अधिकांश लोगों को तो ये बोर ही करेगा  
              "You know the ongoing perception is like,  they have no idea what are the ABC of Indian classics and without knowing the roots they are busy degrading our own great indian classical dance forms and now what they do..they are very curious about learning various forms of western classics like bachata, hiphop, salsa, zumba etc."
                तुम्हें सच कहूं तो ये अब आम बात है, तुम इस पर जरा भी ध्यान मत देना, लोग खोखले होते जा रहे हैं, उन्हें हो जाने दो, वैसे भी ये वैस्टर्न डांस ज्यादा दिन का नहीं है क्योंकि इसका अपना कोई साहित्य, इसकी कोई अपनी संस्कृति नहीं है। और पता है सबसे मजेदार बात क्या है, आजकल हर संडे सरकारें भी सड़कों पर जुंबा डांस कराने लगी हैं, सबको एक तरह का लिबास बांट दिया जाता है और खूब महफिल जमती है। शापिंग माल में तो आये दिन फ्लेश माब(flash mob) का आयोजन होना आम बात हो गई है। लेकिन तुम इन सब से कभी हतोत्साहित न होना, ये मत सोचना कि शास्त्रीय नृत्य और संगीत की महत्ता खत्म हो गई है, बल्कि मैं तो कहता हूं कि तुम पर एक बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है। तुम्हें आनी वाली पीढ़ियों तक इसे पहुंचाना है, अपनी पुरातन संस्कृति को नये हाथों में सौंपना है।
                तुम्हें पता है भरतनाट्यम को देवदासियों का नृत्य कहा जा रहा है और दक्षिण भारत में बड़े ही सुनियोजित तरीके से इसके मूल(Origination) को नष्ट करने की कोशिश हो रही है। Western Forces बड़ी चालाकी से ये काम कर रही हैं। पता है कुछ समय से ऐसा हुआ है कि चीजें बदली है, लोग विरोध करने लगे हैं, और तो और अपने बच्चों को शास्त्रीय नृत्य सीखाने के लिए आगे भी आ रहे हैं।
                 गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहन तुमने भी किया है, तुमने बताया कि तुम्हें सीखाने वाले गुरू एक लड़का है। पता है Western Forces ने यहां भी अपनी घटिया मानसिकता का परिचय दिया है। किसी एक घटना की तस्वीरें और जानकारी इकट्ठी कर वे इस पूरे गुरु-शिष्य परंपरा को कुछ इस तरीके से पेश करते हैं कि देखने वालों को ये लगेगा कि कोई नृत्यांगना बिना शोषित हुए नृत्य नहीं सीखती। मतलब नृत्य सीखाने के नाम पर देवदासियों की भांति बड़ी मात्रा में शोषण होता है वगैरह वगैरह। मैं ये बात समझ सकता हूं कि सुन के अटपटा लगता है, ऐसी चीजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। पर क्या करें ये साक्षात हमारे सामने हो रहा है, हमारी पुरातन संस्कृति, भाषा, बोली, नृत्य संगीत इन सब में कुछ न कुछ खामी निकालकर, इसे सढ़ा हुआ, पुराना माडल बताकर इसे जड़ से मिटाने का प्रयास किया जा रहा है।
                 सीधा-सीधा ऐसे समझें कि हम भले कितने महंगे प्लेट में खाना खा लें लेकिन एक जो पत्तल या केले के पत्ते में हम कभी-कभी शादी या फेस्टिवल में खाना परोसते हैं, हम अपनी इस संस्कृति को कभी छोड़ नहीं सकते। ये हमारी पहचान है, हमारा सब कुछ है।
खैर तुम समझ गई होगी कि मैं तुम्हें क्या कहना चाहता हूं। पता है मुझे न बहुत खुशी हुई जब तुमने कहा कि निकट भविष्य में तुम अपने बच्चों को शास्त्रीय नृत्य सीखाओगी। सच्चे मन से कहता हूं "अंकिता गर्व है तुम पर"।
जल्दी से पूरी तरह ठीक हो जाओ, खूब आगे बढ़ो, खूब तरक्‍की करो।
मेरी शुभकामनाएं।


Ankita during bharatnatyam performance




Ankita during Krishna leela Dance


Ankita Performing Kuchipudi




Ankita and his Guru


Ankita Got awarded by legendary singer Shri bala Subramanian in Hyderabad



Awarded in all india artist association Shimla for bharatnatyam
Renowned Artist Shri Sudarshan gaur ji standing on the left.

Singing Hindustani sugam sangeet in all india music and
dance competition conducted by kerala samajam

 

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