Saturday, 24 August 2024

खान-पान के तरीके

इंसान सभ्यता के विकास में जब जंगल से समाज की दूरी तय हुई। जब इंसान घर बनाकर रहने लगा, खेती पशुपालन करने लगा। इसी क्रम में भोजन करने के तौर-तरीके विकसित हुए। शाकाहारी और मांसाहारी खाने का वर्गीकरण हुआ। इन दोनों प्रकार के भोजन के तरीकों के प्रभाव को देखा गया। पुराने समय से ही लोगों ने सोने की वजह, खाना बनाने की जगह और निवृत होने की जगह में अच्छी खासी दूरी रखी। गांवों में आज भी घरों में अगर कहीं नाॅनवेज बनाते भी हैं तो घर अंदर के किचन में नहीं बनता है, बाहर बनता है, और इतनी दूरी रहती ही है कि उसकी आंच आबोहवा घर तक, घर के कमरों तक न आए। इन सब का फर्क पड़ता ही है। मैं खुद कभी कभार खा लेता हूं, आजकल तो वैसे बहुत कम‌ हो गया है। लेकिन इस बीच पिछले लगभग दो साल से यह एक प्रयोग करके देखा कि जहां रहते हैं, वहां आमिष भोजन न पकाया जाए। इसका बड़ा फायदा हुआ, सोच विचार के स्तर पर होता ही है। शायद पुराने लोगों ने यह सब करके देखा होगा तभी वे एक दूरी रखते थे। 

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