अनिल अंबानी जो एक तरह से घोषित फ्राॅड की कैटेगरी में रहा है। जिस पर 8800 करोड़ के हेरफेर के आरोप लगे। हाल फिलहाल में सेबी ने अनिल अंबानी पर सिक्योरिटीज मार्केट से 5 साल का बैन लगाया और 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। यानि जितना बड़े स्केल का अपराध उतनी ही कम सजा। सजा भी केवल ऊपरी दिखावे के लिए ताकि बहुसंख्य लोगों के भीतर न्याय को लेकर आस्था बनी रहे। वैसे आजकल ऐसी खबरें देखकर खुद पर हंसी आती है। ऐसा लगता है कि न्याय कानून जैसी चीजें इन जैसे लोगों के लिए बनी ही नहीं है। हम लोग भी कहां उलझे रहते हैं। सरे बाजार में कोई किसी का पर्स या चेन चुरा लेता है, या कुछ पैसे चुराकर कोई भागता है, उसकी सरे आम कुटाई होती है और फिर उसे महीनों जेल में सढ़ाया जाता है। ऐसे व्यक्ति के लिए कानून है, हवालात है। लेकिन हम सब की गाढ़ी कमाई से जाने वाले टैक्स का ही 8800 करोड़ गबन करने वाला सूटबूट पहना अमुक व्यक्ति हमें कभी अपराधी नहीं लगता है। क्योंकि वो सामूहिक लूट मचाता है, उसका लूट अदृश्य है, उसके द्वारा की गई लूट हमें किश्तों में मारती है, पूरी हमारी एक पीढ़ी को सामाजिक आर्थिक रूप से तोड़ देती है, हमारे पारिवारिक कलह का हमारे व्यक्तिगत मानसिक अवसाद का कारण बनती है। और ऐसे बड़े अपराधी द्वारा की जा रही लूट से पैदा हुआ निर्वात और उस निर्वात से जन्म लेती अस्थिरता ही तो ऐसे राह चलते छोटे अपराधियों को जन्म देती है। जिस दिन हम ऐसी बातों को समझ जाएंगे उस दिन हमें यह भी समझ आएगा कि नोटबंदी जीएसटी जैसे कदम भारत के आम नागरिकों के साथ किया जाने वाला सबसे भयावह रेप था जिसकी सुनवाई कभी नहीं होगी।
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