अभी साल भर पहले पहाड़ों में एक जगह घूमने गया था। वहां यंगस्टर्स का एक ग्रुप आया हुआ था, कुछ उसमें से आईटी सेक्टर में नौकरी वाले थे, एक का अपना कोचिंग सेंटर था, लेकिन उनमें से एक इंसान हटके था, उसके हाव-भाव भी थोड़े अलग ही थे। मैंने जब उसके काम के बारे में पूछा तो उसने बताया कि ट्रेडर हूं। यह शब्द सुनते ही मुझे काॅलेज के दिनों का मकान मालिक याद आ गया, जिनके यहां हम रहते थे। वह भी ट्रेडर था, एसीसी का सीमेंट और कुछ-कुछ बिल्डिंग मटेरियल बेचता था। मैंने भी लड़के को पूछा कि कौन से सीमेंट का काम चलता है। फिर उसने कहा कि अरे भाई आपने अलग समझ लिया, मैं सीमेंट खरीदी बिक्री वाला नहीं हूं, मैं शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करता हूं। उस दिन मुझे इस ज़मात के बारे में पता चला, इससे पहले सचमुच मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता था। धीरे-धीरे और कुछ लोगों से पता चला और खुद भी थोड़ी बहुत जानकारी ली तो समझ आया कि ये एक तरह का आनलाइन जुआ हुआ, जिसमें लोग सप्ताह के पांच दिन कम्प्यूटर के सामने लगे रहते हैं।
ट्रेडिंग के बारे में और विस्तार से जानकारी इकट्ठा करने पर यह भी पता चला कि कैसे बड़े सुनियोजित तरीके से शेयर मार्केट लोगों को जुआ खिलाती है, सरकार का भी समर्थन प्राप्त है। खुद प्रधानमंत्री गृहमंत्री और यहां तक की वित्तमंत्री भी लोगों को ट्रेडिंग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, कि फलां कंपनी के शेयर पर आप जुआ खेलिए, सरकार आराम से बैठे-बैठे उसमें खूब टैक्स वसूलती है। कुछ विश्वसनीय कंपनियों के शेयर खरीद कर रखने में या म्युचल फंड में पैसा लगाने में कोई खास समस्या नहीं अगर आपके पास सही जानकारी हो लेकिन ये ट्रेडिंग तो सरासर जुआ है। ताश के पत्ते की तरह किससे हिस्से कब कौन सा नंबर आएगा किसे मालूम है लेकिन लोग लगे पड़े हैं।
आनलाइन जुए के बहुत नुकसान हैं। आजकल के युवाओं में झटके से अमीर बनाने का गजब का भूत सवार है, हर दस में से एक युवा आज इस आनलाइन जुए की चपेट में आता जा रहा है। आनलाइन जुए से भयंकर तनाव आता है, चिढ़चिढ़ापन होता है, मानवीय संवेदना खत्म होती है। अपने आसपास बहुत से नौकरीपेशे सभ्रांत परिवारों के बच्चों को घर जमीन बिकवाते देख रहा हूं, कुछ एक ने तो आत्महत्या ही कर ली। क्या गजब समय चल रहा है, पूछो तो बड़े गर्व से कहते हैं - ट्रेडर हूं। और तनाव ऐसा कि 20 की उम्र में 35 के दिखने लगे हैं।
मैंने आजतक किसी ताश या पट्टी वाले जुए में विरले ही लोगों को आत्महत्या करते देखा है, लेकिन इस वाले धंधे में तनावग्रस्त होने वाले और आत्महत्या करने वालों की संख्या कहीं अधिक है, क्योंकि इसमें आपको आभासी माध्यम से रातों रात करोड़पति बनाने के सपने दिखाए जा रहे हैं, आपको सफल बनाने की घुट्टी पिलाई जा रही है, जबकि अगर आप प्रत्यक्ष बैठकर ताश का जुआ खेलते हैं वहां आपको ऐसी घुट्टी नहीं पिलाई जाती है, आपको पता रहता है कि ये तो विशुध्द जुआ है, क्राइम है, पकड़ा गये तो पुलिस कार्यवाही करेगी। लेकिन ड्रीम 11 जैसे एप्प में और शेयर मार्केट में ट्रेडिंग को कभी जुए की संज्ञा नहीं दी जाती है, जबकि वो तो सारे जुओं का बाप है, शायद इसलिए तो उसे सरकारी संरक्षण प्राप्त नहीं है? वैसे भी ताश के जुए का पैसा भारत के आम गरीब मध्यमवर्गीय लोगों के बीच ही घूमता रहता है लेकिन इसके ठीक विपरित ये तमाम आनलाइन जुए का पैसा बड़े उद्योगपतियों के पास पहुंचता है। इसलिए अगर किसी को जल्दी अमीर बनने का चस्का लगा हो तो बेहतर है कि वह नीचे लेवल पर ताश जुआ ये सब चुपके से कर ले, न कि किसी बड़े उद्योगपति को या यूं कहें कि सीधे सरकार को फायदा पहुंचाए।
इति।
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