Saturday, 15 June 2024

भारत को समझने के लिए लोकमानस से जुड़ी चीजों को स्वीकार करना जरूरी है -

पूरे विश्व में भारत का भूगोल सबसे अलग तरह का है। जब टेक्टानिक प्लेट अलग हुए, धरती अनेक जीवों के रहने के लिए तैयार हुई, इंसानों का उद्भव हुआ, जंगली और पशुवत तरीके से रहते हुए जब इंसान ने सभ्य होने तक की दूरी तय की, तब इंसान अनुकूलन खोजने लगा, वह ऐसी जगहों की तलाश में रहा जहां वह अच्छे से जीवन बिता सके। इसी क्रम में परिवहन के साधन तैयार हुए, लोग एक जगह से दूसरी जगह नापने लगे। सभ्यताएं विकसित हुई। लेकिन भारत इसमें एक ऐसा देश रहा जिसके हिस्से सर्वाधिक भौगोलिक विविधता आई। अपने उपमहाद्वीपीय भूगोल की बनिस्बत इस देश को सब कुछ नसीब हुआ, कुदरत की खूब नेमत बरसी। इसे एक लंबा समुद्री क्षेत्र मिला, उसमें पश्चिमी और पूर्वी घाट के जंगल पठार पहाड़ मिले। थार के विशाल गर्म मरूस्थल मिले तो वहीं लद्दाख का ठंडा मरूस्थल भी आया, उसी से जुड़ा हिमालय रूपी एक विशाल बर्फीला मस्तक मिला। हर तरह की नदियां मिली, खारे मीठे पानी की झील मिली, 3 बड़े मौसम मिले और साथ ही 3 और छोटे मौसम बोनस में मिले। कुल मिलाकर अपने शैशवस्था में अनेक सभ्यताओं के पलने बढ़ने के लिए भारत एक किसी मां के कोक की तरह था, अनेक सभ्यताएं यहां आई, पली बढ़ी। इसके ठीक विपरित आक्रमणकारी भी आए, अलग-अलग भूखंडों से आने वाले लोगों के लिए भारतभूमि किसी आश्चर्य से कम नहीं था, सबके लिए यह प्रयोगशाला रही। एक ऐसी प्रयोगशाला जहां सबने अपने स्तर पर अच्छे बुरे प्रयोग किए और साथ ही अपनी थोड़ी बहुत पहचान भी देते गये। एक लोकतांत्रिक देश के रूप में पहचान मिलने के बावजूद इस देश में 15-20 साल तक पुर्तगाली आराम से गोवा में शासन करते रहे, फ्रांसिसियों की काॅलोनी चलती रही, औरोविल नामक वैश्विक गांव भी यहीं बना, जहां दुनिया के 120 से अधिक देशों के लोग निवासरत हैं। 1964 के युध्द के बाद इसने तिब्बतियों को भारत के अलग-अलग कोनों में बसाया, दिल्ली ने तो नाइजीरिया वालों को अपना पड़ोसी ही बना गया, बांग्लादेशी तो किसी आश्रित देश के बाशिंदो की तरह आज भी भारत के हर कोने में है। यही इस देश का सोशल फैब्रिक है। तब जाकर इस देश को इतनी संस्कृतियां इतनी भाषाएं नसीब हुई। और तभी आज हम इसे विविधताओं का देश कह पाते हैं। 

भारत जैसे विविधताओं से जड़ित देश में कभी भी आप एकरैखिक होकर चीजों को नहीं देख सकते हैं, आपको मल्टी लेवल पर जाकर चीजों को देखना होता है। जैसे उदाहरण के लिए भले हम न्याय की बात करते हैं, समानता की बात करते हैं, सामाजिक न्याय की बात करते हैं, रंग जाति धर्म पंथ लिंग के आधार पर किसी प्रकार का विभेद न करने की बात करते हैं लेकिन बावजूद इसके कुछ चीजें ऐसी होती है जिसे आपको लोक में प्रचलित अवधारणाओं के अनुसार लेकर चलना होता है, वरना आपके सामने समस्या पैदा हो सकती है। 

उदाहरण के लिए जैसे अगर आप अहमदाबाद से इंदौर आ रहे हैं, तो आपको समझाइश दी जाती है कि अकेले सफर न किया जाए, खासकर रात के समय तो बिल्कुल भी नहीं, बकायदा पुलिस प्रशासन के बैरिकेट में लिखा होता है कि कानवाय में चलें। क्यों क्योंकि भील समुदाय की अपनी उग्रता के आप शिकार हो सकते हैं। ऐसा नहीं है कि पूरा समुदाय ऐसा करता है, लेकिन एक बड़ी संख्या जिसके हाथ आप लग गये, या तो आप पर तीर से हमले होंगे या फिर वे आपका हाथ पांव तोड़ेंगे, फिर आपको लूटेंगे। आप कहेंगे कि आज भी ऐसा होता है तो जी हां आज भी ऐसा होता है। 

छत्तीसगढ़ के ही एक जिले में ( इसी राज्य का हूं इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए नाम नहीं लिख रहा हूं ) कुछ इलाकों में आज भी पुलिस जाने से कतराती है, चुनाव कराने तक से डरती है, क्योंकि डर रहता है कि कब स्थानीय लोग बर्बरता में उतर कर कुछ न कर जाएं। जानकारी के लिए बता दूं कि वह नक्सल प्रभावित क्षेत्र नहीं है और छत्तीसगढ़ में महिलाओं को जलाने वाली सर्वाधिक घटनाएं उसी इलाके में होती है। 

ठीक इसी तरह पश्चिम बंगाल-झारखण्ड बार्डर में संथाल परगना के कुछ इलाको में रात में सफर करना ठीक नहीं माना जाता है, इसमें कोई पूर्वग्रह नहीं है, यह लोक का यथार्थ है जिसकी अनदेखी आप नहीं कर सकते। अभी कुछ महीने पहले ही एक स्पेनिश कपल जो बाइक में घूम रहे थे, उस इलाके में घूमते हुए एक स्थानीय व्यक्ति ने बिना पूछे जबरन आकर उनका खाना खा लिया था, इसी से उनको थोड़ा इलाके का हिंट मिल जाना चाहिए था, लेकिन वे नहीं समझ पाए। उन्होंने भारत को स्पेन समझते हुए उसी क्षेत्र में कैंपिंग किया, अंततः उनका कैंपिंग एक बुरे हादसे में तब्दील हो गया, 7-8 लोगों ने मिलकर पहले लड़के को पीटा, लड़की का रेप किया, कुछ लूटपाट भी की। अब इसमें क्या ही कहा जाए, क्या इससे भारत देश खराब हो जाएगा, नहीं बिल्कुल नहीं। आप भारतीय हों या विदेशी आपको खुद पहले जिस जगह में आप जा रहे हैं, वहां की वस्तुस्थिति इतिहास भूगोल के बारे में पता होना चाहिए, वरना जानकारी के अभाव में आप ऐसे अनहोनी को न्यौता दे जाते हैं। 

इसके अलावा पंजाब हरियाणा के लोग शेष भारत के लोगों को थोड़े तेवर वाले लग सकते हैं, क्योंकि शताब्दियों से उन‌ इलाकों ने आक्रांताओं से दो-दो हाथ किया है। हिमाचल का व्यक्ति उत्तराखण्ड वालों की तुलना में कम विनम्र मिलेगा, क्योंकि सेब खुबानी अखरोट से आ रहे पैसे से आर्थिक समृध्दि के साथ-साथ अकड़ भी विरासत में मिल जाती है। बिहार के व्यक्ति में आपको अजीब सी जीवटता देखने को मिलेगी, क्योंकि एक बड़े तबके ने पीढ़ियों तक खूब बाढ़ की विभीषिका झेली है, तो कहीं वहां के आम आदमी का एक खचाखच भरी जीप कमांडर में ऊपर बैठकर सफर करना भी उसके लिए जीवन की लक्जरी से कम नहीं। ऐसे न जाने‌ कितने उदाहरणों की एक लंबी फेहरिस्त है।

इस तरह भारतभूमि को इसके लोक में रचे बसे यथार्थ के आधार पर देखना जरूरी है, वरना बहुत सी चीजें आपके सामने घटित हो जाएंगी और आपको कभी समझ ही नहीं आएगा कि वास्तव में आखिर ऐसा क्यों हुआ?



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