लगभग 6-8 महीने पहले जब राज्य सरकार ने 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी की घोषणा की थी, तब इसका सब तरफ स्वागत किया गया, किसान हितैषी फैसला कहा गया, लेकिन एक कोई ऐसा नहीं रहा जो इसके दुष्प्रभावों को बता सके। अभी विपक्ष जब इसी को 21 क्विंटल तक लेकर जा रहा है, तब भी इसे त्यौरियां चढ़ाकर किसानों के हित में कहा जा रहा है।
मूल बात यह है कि कोई भी खेत, जिसमें आप बिना रासायनिक खाद के धान उगाएंगे वह एक एकड़ में 15 क्विंटल तक भी धान की उपज नहीं दे सकता है। यह तथ्य है। अब सोचिए 20 से 21 क्विंटल की रेस चल रही है। अब इससे यह होगा कि अधिक से अधिक उपज पाने के एवज में अंधाधुंध रासायनिक खाद डाले जाएंगे, मिट्टी जो पहले से जहर झेल रही है, उसे और अधिक जहरीला बनाने की कवायद जोरों शोरों पर होगी, धान के बीज बनने की गुणवत्ता पर भी असर होगा, कुल मिलाकर किसान पिसेगा, किसान क्या पिसेगा, जमीन पिसेगी। और अंत में उसकी जेब में थोड़े पैसे ज्यादा आ जाएंगे लेकिन बदले में आप हम बुजुर्ग बच्चे हम सभी की थाली में वही रासायनिक खाद युक्त अन्न परोसा जाएगा और इतनी हल्के स्तर की सौदेबाजी में हमारा स्वास्थ्य हमसे छीन जाएगा।
ऐसे महान फैसलों के साथ सत्ता संभालने वाले किसान हितैषी सरकारों को दंडवत् प्रणाम। 🙏
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