Friday, 24 February 2023

रायपुर बलौदाबाजार रोड - मौत की अंधी गली

मैंने 135 दिनों तक लगातार भारत के अनेक राज्यों में मोटरसाइकिल से यात्राएं की है। इसके अलावा भी पहले और बाद में भारत के अलग-अलग कोनों में मोटरसाइकिल चलाई है। अनजान रास्ते, कब कहाँ ब्रेकर होगा, खड्ढे होंगे किसी बात की जानकारी नहीं, फिर भी सफर बहुत अच्छा रहा। दिल्ली की बेतरतीब ट्रैफिक में भी मैं गाड़ी चलाने में अभ्यस्त हो गया। साढ़े चार महीने तक भारत घूमने के दौरान दो बार ऐसी नौबत आई जहाँ एकदम मौत को करीब से देखने जैसी स्थिति निर्मित हुई। वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से बलौदाबाजार जिले की ओर जाने वाली रोड में सप्ताह भर मोटरसाइकिल में आना जाना किया, उतने में ही दो से तीन बार मौत को करीब से देखने जैसी नौबत आ गई। अब आप इसी से अंदाजा लगाइए कि ये रोड कितनी खतरनाक होगी। जब मैं पहली बार इस रोड में दिन में सफर किया, तो कुछ एक साथियों ने कहा कि बहुत सर्पीले मोड़ हैं, संभल के जाना। पहली बार में जल्दबाजी में तेज गति से गया था तो मुझे कुछ ऐसा महसूस नहीं हुआ था, हां जम्मू कश्मीर के नेशनल हाईवे 1A का अनुभव लिया हुआ था, तो कुछ वैसी रेश ड्राइविंग जरूर दिखी थी। इसके बाद एक दिन शाम ढलने के पश्चात जब मैं उस रास्ते गया तो मुझे तब समझ आया कि मेरे दोस्त जिन्होंने भारत घूमने के दौरान कभी सलाह नहीं दी, वे इस सड़क में संभल के चलने‌ की सलाह क्यों दे रहे थे। ईमान से कह रहा हूं उस दिन पहली बार मैंने डर के धीरे गाड़ी चलाई थी।

इस सड़क‌ में आए दिन गंभीर दुर्घटना होती है, मतलब कोई एक दिन ऐसा नहीं छूटता होगा जिस दिन कोई दुर्घटना न होती हो। मैं तो कहता हूं इस सड़क में दुर्घटना से प्रति सप्ताह एक मृत्यु का औसत भी निकल जाना है। कल बीती रात ट्रक और पिकअप की टक्कर में 11 लोगों की मौत हो गई। प्रधानमंत्री जी ने भी इस घटना को लेकर शोक जताया है। इस सड़क में होने वाली दुर्घटनाओं में मालवाहक पिकअप गाड़ियाँ ही अधिकतर देखने को मिली हैं, कभी इनकी टक्कर दुपहिया वाहन से होती है, तो कभी ट्रक से तो कभी कारचालकों से। इसके बाद दूसरी बड़ी संख्या बस वालों की भी है, जिन्हें इन खतरनाक सड़कों में भी जल्दी गंतव्य तक सवारी पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है। दुर्घटना में भी दिन की अपेक्षा रात में होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या अधिक है। 

रायपुर से पलारी होते हुए बलौदाबाजार तक की इस सड़क में पूरे रास्ते भर इंसानी बसाहट है, सड़क किनारे छोटे-छोटे कस्बे हैं, सड़क संकरी है और ट्रैफिक का दबाव बहुत ज्यादा है। मैदानी इलाका होने के बावजूद सड़क के अपने मोड़ तो दुर्घटना का एक कारण हैं ही, लेकिन बड़ा कारण सड़क का संकरा होना और इंसानी बसाहट है। दूसरा बड़ा कारण यह कि ये पूरा क्षेत्र इंडस्ट्रियल बेल्ट में आता है जिस कारण से मालवाहक गाड़ियाँ बेखौफ द्रुतगति से चलती हैं। विकल्प के तौर पर एक दूसरा रास्ता भी है, जो 4 लेन है, डिवाईडर भी है, अच्छी सड़क है। लेकिन 15 किलोमीटर अतिरिक्त तय करना पड़ता है और उस सड़क में टोल भी देना पड़ता है, इस कारण से सभी मालवाहक गाड़ियाँ ट्रक आदि आवागमन के लिए उस रास्ते में जाने से बचते हैं। 

समाधान की बात करें तो सड़क मार्ग चौड़ीकरण के अलावा इस समस्या का और कोई दूसरा स्थाई समाधान नजर नहीं आता है, और इंसानी बसाहट में, उसमें भी औद्योगिक क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण का काम करना अपने आप में टेढ़ी खीर है। बाकी देखिए, कुछ चीजें समय ही अपने आप ठीक करता है, इसलिए इस समस्या को भी समय पर छोड़ दिया जाए। तब तक पीड़ितों के लिए ओम शांति। 🙏

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