Friday, 17 February 2023

Mèmoire de Jaisalmer

 जैसलमेर में इस जगह में लगभग एक सप्ताह के आसपास रूकना हुआ। यहाँ प्रतिदिन का किराया खाने की थाली के रेट से भी सस्ता था। खाने की स्वादिष्ट थाली, जिसकी तस्वीर अपलोड की हुई है, उसका मूल्य 300 रूपया था। कमरा यानि बंक बैड जिसमें मेरे अलावा और कोई नहीं था, उसकी भी सुंदरता आप तस्वीरों में देख सकते हैं। 

यह सब इसलिए आज याद आ रहा है क्योंकि अभी कुछ दिन पहले एक दोस्त छत्तीसगढ़ में ही कहीं परिवार के साथ गया था, एक दिन का किराया वही 5000 था, उसने कहा कि रेट सही था, सब बढ़िया था, अच्छी सुविधा थी, मजा आया आदि आदि, मैंने भी हां कह दी और बात वहीं खत्म हो गयी, क्योंकि दोस्त की बात सही भी है, यहाँ मिलने वाली hospitality के लिहाज से रेट सही था। मुझे mémoire de jaisalmer याद आया छत्तीसगढ़ के एकलौते 7 स्टार रेस्तराँ की hospitality, जिसे कभी याद करने का मन नहीं होता, असल में वहाँ हमारा खाना सर्व करने वाले ने एक दूसरे टेबल का आर्डर जिसमें शराब थी, वह साथ में एक ही ट्रे में ला दिया था। कोई और होता बढ़िया से अंग्रेजीदां बनकर नाराज हो जाता। खैर, मुझे तो हंसी ही आ गयी थी, अनुभव और जानने सीखने का भूखा इंसान क्या ही नाराज होता। छत्तीसगढ़ में रेस्तरां से लेकर रिसार्ट या फिर टूरिज्म की बात करें तो Hospitality एक ऐसी चीज है जहाँ आपको निराशा हाथ लग सकती है, खासकर तब और ज्यादा जब आपने वास्तव में Hospitality चीज क्या होती है, इसे देखा जिया हो। बाहर आप जाएंगे, छोटे-छोटे रेस्तरां में भी ये चीज मिल जाती है। आप पर है, आप कितना महसूस करते हैं, एक बड़े परिप्रेक्ष्य में ये बात कह रहा हूं कि यहाँ आपको सुंदर कमरे और कुर्सियाँ वगैरह मिल जाएंगी, खाना भी स्वादिष्ट मिल जाएगा, इन सबके पीछे रेट भी माशाअल्लाह लेकिन इसके बावजूद Hospitality की उम्मीद ना ही करें तो बेहतर। 

जैसलमेर में जहाँ मैं रूका था, उस कमरे की सुंदरता और सफाई लाजवाब थी, बेडिंग भी बहुत ही आरामदायक, बाथरूम भी बड़ा सा था, उसके दरवाजे की खूबसूरती और नक्काशी भी लाजवाब थी, जिसे आप तस्वीरों में देख सकते हैं। रूफटाॅप ( जहाँ खाने के लिए बैठने की भी व्यवस्था थी ) के तो क्या ही कहने, वहाँ से पूरा जैसलमेर दिखता था, क्या ही गजब की मन मोहने वाली सुंदरता। मैंने उनके यहाँ सिर्फ एक दिन ही उनकी 300 रूपये की थाली खाई जो कि बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट थी, एकदम पैसा वसूल। बाकी दिन रोज बाहर घूम-घूमकर मैं अलग-अलग जगह का खाना खाता रहा, पीने के पानी के लिए भी जो वाटर कैन होटल वाले अपने पीने के लिए खरीद लाते, उसी से अपना गुजारा कर लेता, इस सबके बावजूद उनका व्यवहार मेरे लिए बहुत ही मित्रतापूर्ण रहा, घूमने फिरने से लेकर अन्य कोई भी सहयोग की बात हो, वे तत्पर रहे, जबकि उस समय 2020 में कोरोना ने होटल इंडस्ट्री को तबाह कर दिया था, उनकी Hopitality इतनी सही लगी, इतना घर जैसा अपनापन महसूस हुआ था कि मैं उनके यहाँ लंबा रूक गया था। 

"घूमना एक आर्ट है, एक लक्जरी है, सबके बस का नहीं है। वहीं कुछ लोगों के लिए लक्जरी का भोग ही घूमना है, दोनों बहुत अलग बातें हैं।"

बाकी आप तस्वीरें देखकर अपना खून जलाइए, क्योंकि जगह का नाम मैं नहीं बताने वाला हूं। 














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