Sunday, 11 December 2022

अश्वघोष बनिए

अश्वघोष का जन्म अयोध्या में माना जाता है। बौध्द महाकवि के रूप में विख्यात अश्वघोष के व्यक्तित्व के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं मिलती है, लेकिन इनका जो सबसे बड़ा योगदान रहा वो यह था कि इन्होंने गौतम बुध्द को वैश्विक पटल पर स्थापित किया‌। बुध्दचरित और बुध्द के जीवन से जुड़े अन्य ग्रंथ इन्होंने ही लिखे, अच्छे से डाक्यूमेंटेशन का काम किया। तभी जाकर आज हम बुध्द को जानते हैं। बुध्द के आज अस्तित्व में होने में अश्वघोष जैसे महाकवियों का बहुत बड़ा योगदान है। अश्वघोष न होते तो बुध्द की ख्याति होती ही नहीं। अश्वघोष ने डाक्यूमेंटेशन का काम न किया होता तो आज बुध्द की तमाम बातों से हम वंचित ही रह जाते। तेनजिंग नोरके माउंट एवरेस्ट चढ़ने वाला पहला आदमी बना, लेकिन क्या पता उससे पहले भी चढ़ाई करने वाला कोई होगा और उसने उस बात को कभी लोगों के बीच रखा ही नहीं होगा, यह सोचकर कि ये भी कोई बताने वाली चीज है। ऐसे ही होता है। धतूरे के फल में जहर होता है यह खाकर बताने वाला कौन था, हमें नहीं मालूम, क्योंकि डाक्यूमेंट नहीं किया गया। दुनिया में जिन लोगों के भीतर थोड़ी समझदारी रही है उन्होंने हमेशा अपनी चीजों का डाक्यूमेंटेशन का काम किया है, चाहे आप उसमें एक छोटे से उदाहरण के रूप में फ्रेम की हुई फैमिली फोटो को ही ले लीजिए, जिसमें नीचे सबके नाम लिखे हुए होते हैं। क्रिस्टोफर कोलंबस ने अमेरिका खोजा और वास्को डि गामा ने भारत, इससे पहले भी इन भू-भागों का अस्तित्व था लेकिन इन्होंने उस खोज को ऐसा डाक्यूमेंट किया कि हमेशा के लिए दर्ज हो गये। बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें गुमनामी से इतना लगाव होता है कि आते हैं और चुपचाप चले जाते हैं, कभी उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। जो भी कोई कुछ बेहतर कर रहा है, उसे अपनी चीजों का लेखा-जोखा तैयार रखना ही चाहिए। यह डिजिटलीकरण और सामान्यीकरण का युग है। अभी ऐसा हो रहा है कि आप जो काम कर रहे हैं, कोई दूसरा आपका 10% काम भी नहीं कर रहा होता है लेकिन वो व्यक्ति डाक्यूमेंटेशन के काम में इतना पारंगत होता है कि आपसे आगे निकल जाता है, आप पीछे रह जाते हैं और खुद के भीतर कमियाँ खोजने लग जाते हैं कि आखिर क्या चूक हुई, कहाँ कमी रह गई। अंततः आपको निराशा घेरने लगती है, तमाम तरह की नकारात्मकता आप पर हावी होने लगती है। दस प्रतिशत काम करने वाला अपने काम को सौ प्रतिशत बनाकर दिखा देता है, लेकिन आप शत प्रतिशत काम करने के बावजूद उस काम का दस प्रतिशत भी दिखा नहीं पाते हैं। कमी सिर्फ और सिर्फ डाक्यूमेंटेशन ना करने की है। आप काम तो करते ही हैं, और अगर आप अपने ही उस काम‌ को दस्तावेज के रूप में सहेज लें, तो इसमें क्या गलत है, आपको निराशा नहीं घेरेगी, आप अनावश्यक मानसिक अपवंचनाओं से बच जाएंगे और बदले में आपके पास अपने काम का एक दस्तावेज भी होगा। जिस तरह सरकारें मार्च के अंत में अपना हिसाब-किताब करती है, उसी तरह हम भी यह काम करें। हर उस व्यक्ति को जिसे थोड़ा भी यह लगता है कि वह जीवन में कुछ बेहतर कर रहा है उसे साल के अंत में पूरे साल का क्या हासिल रहा, इसे डाक्यूमेंट करना ही चाहिए, अपने भले के लिए करें। महाकवि अश्वघोष, कल्हण, टोडरमल इन लोगों ने यही काम किया था तभी हमारे पास आज एक विशद इतिहास है।

1 comment: