Sunday, 25 December 2022

स्त्रियों की वर्तमान स्थिति में पोथी पुराण की भूमिका -

स्त्रियों की आज जो स्थिति है, उसका कारण पीछे का एक लंबा इतिहास रहा है। जब भी आप स्त्रियों पर हो रहे अत्याचार/शोषण की खबर सुनें या जब भी आपकी बहन मित्र पत्नी माता को कोई घूरे या बुरी नजर से देखे तो इतिहास पर एक झलक जरूर डाल लीजिएगा क्योंकि कारण वहीं छुपा हुआ है। प्राचीन काल के श्रुति परंपरा से लेकर आज हमने डिजिटल युग तक की दूरी तय कर ली है। भोजपत्र से स्मार्टफोन तक हम पहुंचे हैं, लेकिन कुछ चीजें जस की तस हैं। वैसे भी एक मानसिकता के बनने में और उसे बदलने में दशकों सदियों का समय लग जाता है। अब जैसा पढ़ेगा इंडिया, वैसा बनेगा इंडिया।

इतिहास की कुछ झलकियाँ पढ़ लीजिए -

मनुस्मृति :
(अध्याय-9, श्लोक-45 ) - पति पत्नी को छोड़ सकता है, गिरवी रख सकता है, बेच सकता है.

ऐतरेय ब्राह्मण 
(3/24/27) वही नारी उत्तम है जो पुत्र को जन्म दे। 
(35/5/2/47) पत्नी एक से अधिक पति ग्रहण नहीं कर सकती, लेकिन पति चाहे कितनी भी पत्नियां रखे। 

आपस्तब 
(1/10/51/52) बोधयान धर्म सूत्र (2/4/6) शतपथ ब्राह्मण (5/2/3/14) जो नारी अपुत्र है उसे त्याग देना चाहिए। 

तैत्तिरीय संहिता 
(6/6/4/3) पत्नी आजादी की हकदार नहीं है। 

शतपथ ब्राह्मण 
(9/6) केवल सुन्दर पत्नी ही अपने पति का प्रेम पाने की अधिकारिणी है। 

बृहदारण्यक उपनिषद् 
(6/4/7) यदि पत्नी सम्भोग के लिए तैयार न हो तो उसे खुश करने का प्रयास करो। यदि फिर भी न माने तो उसे पीट-पीट कर वश में करो।

मैत्रायणी संहिता 
(3/8/3) नारी अशुभ है। यज्ञ के समय नारी, कुत्ते व शूद्र को नहीं देखना चाहिए। अर्थात् नारी और शूद्र कुत्ते के समान हैं। 
(1/10/11) नारी तो एक पात्र (बरतन) समान है। 

महाभारत 
(12/40/1) नारी से बढ़कर अशुभ कुछ नहीं है। इनके प्रति मन में कोई ममता नहीं होनी चाहिए। 
(6/33/32) पिछले जन्मों के पाप से नारी का जन्म होता है । 

मनुस्मृति 
(5/157) विधवा का विवाह करना घोर पाप है। 

विष्णुस्मृति
स्त्री को सती होने के लिए उकसाया गया है।

शंख स्मृति
दहेज देने के लिए प्रेरित किया गया है। 

स्कन्द पुराण
नारी के विधवा होने पर उसके बाल काट दो, सफेद कपड़े पहना दो और उसको खाना केवल इतना दो कि वह जीवित रह सके। उसका पुनः विवाह करना पाप है। इसी कारण सती प्रथा का प्रचलन हुआ। विधवा औरत ने सोचा कि इससे अच्छा तो पति के साथ ही जलकर मरना।

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