तस्वीर में दिख रही प्रोफाइल जिसकी है, यह बहुत ऊँचे दर्जे का Satirist है, हिन्दी अंग्रेजी दोनों भाषाओं में गजब की पकड़ रखता है, ह्यूमर भी ऐसा कि भारत में इस लेवल के चुनिंदा लोग ही हैं। ट्विटर में इसके साढ़े सात लाख से अधिक फाॅलोवर हैं, और करोड़ों तक की रीच है, फिर भी इसके पास ब्लूटिक नहीं है, पता है क्यों? क्योंकि इसके पास पहचान वाला, रसूख वाला प्रिविलेज नहीं है। वहीं जिसके पास ब्लूटिक है, वह अपने आप में ब्रांड होता है, तमाम तरह की प्रिविलेज उसे मिल जाती है। कई ऐसे हजार दो हजार फाॅलोवर वाले अयोग्य, कुपढ़, मड़गिल्ले, भाषाई दरिद्रता से लबरेज लोग आपको मिल जाएंगे, जिन्हें ब्लूटिक मिला हुआ है, क्योंकि वे प्रिविलेज क्लास से आते हैं। एलाॅन मस्क ने इसी सामंती व्यवस्था को ध्वस्त किया है और सबको एक पटल पर लाकर रख दिया है। दुनिया भर की सरकारें कागज में समानता के अधिकार को परिभाषित पुर्नपरिभाषित करती रहती हैं, एलाॅन मस्क ने धरातल पर झटके में काम करके दिखा दिया है कि समानता कैसे लाई जाती है, लोकतंत्र को सही मायनों में कैसे जिया जाता है।
No comments:
Post a Comment