छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल फुगड़ी के लाभ-
छत्तीसगढ़ के परंपरागत खेलों में से फुगड़ी एक ऐसा खेल है जिसे खेलने वाले के पैर से लेकर सिर तक फिट हो सकता है। हालांकि इसे बच्चे ही ज्यादातर खेलते हैं लेकिन यदि इसे बड़े भी खेलें तो इसका लाभ ले सकते हैं।
फुगड़ी को छत्तीसगढ़ का भरपूर मनोरंजन वाला खेल कहा जाता है। फुगड़ी, शब्द छत्तीसगढ़ के फुदकना से बना है। जिसका अर्थ होता है उछलना, कूदना। जिसमें बच्चों द्वारा जमीन में उकड़ू बैठकर तेजी से और एक लय के साथ उछलते हुए हाथ व पांव को बारी-बारी से आगे पीछे चलाया जाता है। बच्चियां इसे घर में घर के बाहर गली में बाग बगीचे नदी किनारे खेत खलियान गली चौबारे कहीं भी पूरे खुशी और मनोरंजन के साथ खेलती हैं।
फुगड़ी छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलो में से ऐसा खेल है, जिसमें साजो सामान, मैदान, भारीभरकम धन राशि या विशेष किस्म के खिलाडियों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस खेल में भरपूर मनोरंजन के साथ एक संपूर्ण शारीरिक व्यायाम भी शामिल होता है।
शरीर के अलग-अलग हिस्सों में इसके प्रभाव और लाभ की बात करें तो इससे पैर की अंगुली से लेकर सिर तक के हर अंगो का सम्पूर्ण व्यायाम होता है। हाथ, पांव, अंगुली, पंजा, घुटना, कोहनी, पेट, पीठ, हड्डी, आँख जैसे सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है। तेज सांस चलने की वजह से फेफड़े, मुंह, गले का भी व्यायाम होता है। इसका प्रतिदिन अभ्यास करने से खून की व्याधि, पेट, आँख संबंधी व्याधियाँ दूर होती है।
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