Sunday, 16 January 2022

उसके भीतर हिमालय बसता है -

हिमालय सी मजबूती है उसमें,
चट्टान सा दृढ़ ह्रदय लेकर चलती है,
जैसी क्षणभंगुरता और भोलापन,
जैसी शीतलता और एकाकीपन हिमालय के पास है, 
वैसा सब उसके पास भी है, 
जैसी सह्रदयता हिमालय में है,
वैसी उसमें भी है,
कठोरता और कोमलता का अद्भुत सम्मिश्रण है वो।
जब टूटती है उसकी चोटियाँ,
जब आता है शीतल हवाओं का प्रकोप,
जब गिरती है मजबूत चट्टानें,
फिर भी वह अडिग खड़ी रहती है,
फिर से एक लंबी साँस लेकर,
अपनी जड़ों को मजबूत करती जाती है।
जब तक जीवन का अस्तित्व है, तब तक,
निराशा रूपी बादल छंटनी करती रहेगी तब तक,
सामने दुःखों का पहाड़ भी क्यों न आ जाए,
वह खिलती रहेगी अनंत काल तक।।

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