Friday, 9 July 2021

बैंगन वाली मैगी -

जम्बूद्वीप का राष्ट्रीय भोज मैगी वैसे तो हर जगह अलग-अलग तरीके से बनाया जाता है, पाँच छ:ह तरीके मुझे खुद आते हैं, लेकिन मैगी में बैंगन भी डालते हैं ये मैंने पहली बार देखा। धनौल्टी में खाई गई मैगी की यह तस्वीर प्रतीकात्मक है, इसका बैंगन वाली मैगी से कोई संबंध नहीं है।

तो हुआ यूं कि उस दिन मैं दिल्ली से आगरा जा रहा था, सिर्फ ताजमहल देखने नहीं, आगरा देखने जा रहा था, बहुत सारा पेठा भी तो खाना था। आगरा पहुंचने के बाद अगली सुबह नाश्ता करने एक जगह रूका। मेरी हमेशा से आदत रही है कि खान-पान को लेकर बहुत ज्यादा नखरे नहीं रहते हैं, जो जैसा मिला चुपचाप खा लिया। शरीर भी बिना नखरा किए हर तरह का खाना पचा लेता है। तो एक जगह कहीं बैठ गया तो जो‌ ठीकठाक मिल गया, खा लेता हूं, कौन फिर दूसरी जगह जाए, समय बर्बाद करे, ऊर्जा बर्बाद करे। तो ऐसे ही एक रेस्टोरेंट में बैठा था, मैन्यू देखा तो मैंने कहा - आलू पराठा बन जाएगा क्या? अब पता नहीं मेरा यह सवाल उस रेस्टोरेंट के मालिक और उसके वर्कर तक अलग-अलग तरीके से पहुंच गया होगा। मेरे इतना कहने पर वर्कर आया, उसने‌ कहा - हाँ बन जाएगा। मैंने कहा - अच्छा ठीक है रूको बताता हूं। फिर मैंने उसे दो मिनट बाद बुलाकर कहा - एक वैज मैगी बना दो। वह चला गया।

कुछ देर बाद मैं क्या देखता हूं कि मेरे टेबल के सामने आलू पराठा है। 

मैंने कहा - भाई मैगी कही थी, आलू पराठा का बस पूछा था। 

मालिक ने उसे जोर का डांटा और कहने लगा - अबे! ज्यादा सुनता है क्या, चल मैगी बना। 

मैंने मालिक को कहा - कोई समस्या नहीं, पराठे भी छोड़ जाओ वो भी खा लूंगा, अगर यह नहीं निकलेगा तो। 

मालिक ने‌ कहा - नहीं, ठीक है। मैगी बन जाएगी।

कुछ देर बाद मेरी वैज मैगी बनकर आई। उसकी तस्वीर तो मैं नहीं ले पाया था, लेकिन उसका जो हुलिया था, यहाँ लिखकर बता रहा हूं। थाली के शेप की प्लेट में फैला हुआ था। पीला, हरा, लाल, भूरा, बैंगनी क्या रंग नहीं था उस मैगी में। चम्म्च से कुरेदने पर पता चला कि उसमें सिर्फ बैंगन ही नहीं है बल्कि चुकंदर, हरा मटर, प्याज और पत्तागोभी भी है, इन सब्जियों ने मैगी के साथ उबलते हुए गलते हुए क्या कहर ढाया होगा, कैसा रस छोड़ा होगा, अंदाजा लगाइए। स्वाद का तो अब क्या ही कहूं मैं, आज भी याद करता हूं तो ऐसा लगता है जैसे कोई मेरे स्वाद कलिकाओं को नोच रहा है, फिर भी मैंने उन रंग बिरंगे असास्वादिक तत्वों को हटाकर थोड़ी बहुत मैगी खा ली, अब भूख भी लगी थी, पराठा भी वापस जा चुका था, दुबारा बोलने का मन भी नहीं किया, खान-पान को लेकर नखरे ना के बराबर ही रहते हैं लेकिन उस दिन तो परीक्षा ही हो गई थी। बाकी उत्तराखण्ड हिमाचल के पहाड़ों में बनने वाली वैज मैगी की बात ही कुछ और है। और रही बात मैगी के प्रकार की तो आप मुझे लैमन मैगी बनाने का कोनॅस्यर कह सकते हैं। ताजी मूली की टापिंग्स वाली मैगी की रेसेपी की चर्चा कभी और।।


Veg maggi in Dhanoulti, Uttarakhand


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