Thursday, 15 June 2017

~ Himalaya Mysteries ~

हिमालय के ऊपरी इलाकों में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो एक खास किस्म की ऊर्जा से संचालित हैं। जब लोग दस-बीस किलोमीटर की चढ़ाई करके जब ऐसी जगहों पर पहुंचते हैं। तो अचानक ही वे महसूस करते हैं कि उनकी सफर की सारी थकान मिट गई। लोग इस भ्रम में रहते हैं कि उस जगह विशेष की खूबसूरती के कारण ऐसा हो रहा है।
लेकिन वजह तो कुछ और ही है।
असल में जब कोई एक लंबी चढ़ाई कर ऐसे ऊपरी क्षेत्रों में जाता है, तो उसकी भूख,प्यास थकान सब झटके में मिट जाती है। और जैसे ही वो उस जगह से नीचे उतरता है यानि उस जगह से दूर होता है,तो फिर से थकान पैर दर्द और बाकी चीजें दिमाग पर हावी होने लगती है। क्या सिर्फ उस जगह की सुंदरता ही एकमात्र वजह है, नहीं ऐसा नहीं है। असल में कारण छुपा है, उस जगह में हजारों सालों से स्थापित पत्थरों में। कहा जाता है कि पत्थरों की स्मरण क्षमता सबसे अधिक होती है, ऐसा इसलिए कि जो वस्तु अपनी प्रकृति में जितनी ठोस होती है, उसकी स्मरण-शक्ति उतनी तीव्र होती है। इसलिए हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में पत्थर की बनी छोटी-छोटी मूर्तियों की पूजा की जाती है, क्योंकि पत्थरों में असीमित ऊर्जा ग्रहण करने की क्षमता होती है।
न जाने हिमालय के ऊपरी क्षेत्रों में स्थापित पत्थरों में कितनी स्मरण-शक्ति है, क्योंकि इनके पास जाने पर ऐसा प्रतीत होता है कि ये सालों से असीमित मात्रा में ऊर्जा स्पंदित कर रहे हैं। इसलिए तो इतनी चढ़ाई चढ़ने के बाद भी हम इन जगहों में पहुंचने के बाद एक खास किस्म की सकारात्मक ऊर्जा से संचालित होने लगते हैं। सारी थकान किनारे हो जाती है, और हमारे पांव अपने आप चलने दौड़ने लगते हैं, और हमें चाहकर भी वहां रुकने, थमने या आराम करने का मन नहीं करता, हम प्रकृति की गोद में खेलने लगते हैं।


 

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