Tuesday, 16 September 2025

एक तीर दो निशान

एक राजा था। उसके ख़िलाफ़ एक सूबे के किसानों ने लंबे समय तक आंदोलन किया था। जनता नाराज़ थी। राजा को अपनी सत्ता जाने का डर भी था, अपनी सत्ता बचाने के लिए राजा कुछ भी करने को तैयार था। एक बार राजा ने उसी सूबे में बारिश के पहले ही बाँध का पानी रोककर रख दिया। जैसे ही थोड़ी ज़्यादा बारिश हुई भयानक बाढ़ आई। सब कुछ चौपट। वहीं उस दौरान एक दूसरे सूबे में चुनाव था, उस सूबे के सभी प्रवासी मजदूर बाढ़ वाले सूबे में ही खेतों में काम करते थे, बाढ़ की वजह से सभी अपने सूबे में लौट आए। इसी बीच दोनों सूबों के मध्य भेदभाव पैदा करने और प्रवासी बनाम स्थानीय के तत्व को मजबूती प्रदान करने के लिए रेप, हिंसा और मारपीट का सफल प्रयोग गया। ये प्रवासी राजा के ही समर्थक थे जिन्होंने राजा को पुनः राजगद्दी में तिलक कराने में अपना समर्थन दिया। कुछ इस तरह प्रतापी राजा ने एक तीर से दो निशाना साध लिया, जनता मुग्ध हो गई।

अस्वीकरण : इस काल्पनिक कहानी का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। अगर कोई संबंध पाया जाता है तो इसे केवल संयोग माना जाएगा।

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