Sunday, 11 June 2023

फंसे रहना ही दुनिया की रीत है

A - कहीं घूम नहीं रहे।
B - इस भीषण गर्मी में कौन घूमे।
A - क्या नया कर रहे फिर?
B - कुछ भी नहीं।
A - फिल्में, किताबें?
B - वो भी नहीं। बस थोड़ा बहुत इंटरनेट।
A - पक्के किसान हो गये हो।
B - वो कैसे?
A - कुछ भी नहीं कर रहे।
B - हमेशा क्यों कुछ करना है।
A - कुछ करते रहना भी जरूरी हुआ जीवन में।
B - रूक जाना भी जरूरी हुआ जब नहीं रूकने से कुछ खास अंतर न पड़ता हो।
A - हां, एक किसान गर्मी के कुछ महीने यही करता है।
B - बिल्कुल, ये एक चीज तो हर किसी को अपनाने की कोशिश करनी चाहिए।
A - फिर भी लोग तो लगे रहते हैं।
B - नहीं लगे रहेंगे तो बैचेनी चबा कर उन्हें खा जानी है।
A - बैचेनी दूर करने के लिए क्या क्या जो करते हैं लोग‌।
B - व्यस्त रहते हैं, और व्यस्त रखने के ढेरों विकल्प व्यवस्था ने, बाजार ने तैयार रखे ही हैं।
A - कभी ये सोचा नहीं। कितना जटिल है यह सब। 
B - क्या ही कहें, हम सब फंसे हुए हैं।
A - बाबा, फंसे रहना ही दुनिया की रीत है।
B - ये भी ठीक है।

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