Wednesday, 21 October 2020

पुनर्विवाह -

A - तो क्या उसके बाद दुबारा शादी करने का विचार नहीं आया? 
B - सच बताऊँ?
A - बता..
B - मैं आजकल सोच ही नहीं पाती हूं।
A - पर क्यों?
B - समाज का तो पता ही है, दुबारा संभव नहीं।
A - वो ठीक है, मैंने मन का कहा।
B - अब विवाह संस्थान से दूर रहना ही ठीक लगता।
A - ये भी ठीक है, तुम्हारे यहाँ दुबारा ना जुड़ने की ढील भी है।
B - सही कहा, धन्य हो ऐसी प्रथाओं का जिनके‌ कारण यह संभव हो रहा।
A - पूजनीय बना दे तू इन प्रथाओं को।
B - हेहे, और क्या, जातिवादी तो नहीं हूं औरों की तरह।
A - अब ये बात कहाँ से आ गई?
B - कैसी बात कर रहा, गहरे से जुड़ी हुई है।
A - लेकिन इसका विवाह संस्थान से क्या संबंध?
B - लड़कियों में शादी के तुरंत बाद ये डिसआर्डर ज्यादा देखने में आ रहा..
A - जातिवाद का? वो भी शादी के बाद?
B - हाँ जी, शादी होते ही हार्मोनल बदलाव की तरह जातिबोध होने लगता।
A - बावा, ये नया था।
B - नया क्या, हमें खुल के जीना भी न आया यार।
A - सही बात।

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