छत्तीसगढ़ शासन नगर निगम के माध्यम से शहरी इलाकों में राशन वितरण कर रही है। आप एक फोन कीजिए, आपके घर तक राशन पहुंचा दिया जाएगा। तो हुआ यूं कि कल एक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे दोस्त से बात हुई। वह फिलहाल शहर में अपने किराए के कमरे में ही है, घर नहीं गया है। बता रहा था कि उसके वार्ड में भी राशन बाँटने की प्रक्रिया नगर निगम द्वारा संचालित की जा रही थी। पार्षद ने आकर एक नंबर दे दिया कि इस नंबर पर फोन कर आप अपना नाम, पता और आधार कार्ड का नंबर रजिस्टर करवा लें, कुछ एक दिन बाद गाड़ी आएगी और राशन दे जाएगी। अब खेल यह है कि पूरे एक वार्ड के लिए एक ही नंबर है, संपर्क के लिए वह एक ही व्यक्ति है जो कि फोन भी नहीं उठाता है। अब दोस्त जो है आज के सामाजिक पैटर्न के हिसाब से पढ़ा-लिखा है, इतना पढ़ा-लिखा है कि अपने हिस्से का राशन लेकर ही मानेगा। लाॅकडाउन में खाली समय भी है, तो पीछे ही लग गया, फोन पर फोन लगाता ही रहा। ऐसा करते हुए उसने चार बार निगम से राशन ले लिया। उसने बताया कि चार बार में उसे लगभग कुल 1300 रूपए का राशन मिला है, जिसमें 20 किलो चावल, 4 किलो आटा, 2 लीटर तेल और आलू है, ध्यान रहे कि मेरा दोस्त उतना जरूरतमंद नहीं है फिर भी उसने बराबर राशन समेटा है। अब जब उसने बाहर आस पड़ोस के लोगों से राशन मिलने के बारे में पूछा तो पता चला कि अधिकतर लोगों को राशन मिला ही नहीं है। शायद उन लोगों ने एक दो बार फोन मिलाया होगा फिर जाने दिया होगा। दोस्त ने बताया कि जितना राशन उसने इकट्ठा किया, उसने सारा कुछ जरूरतमंदों को जाकर दे दिया। साथ ही दोस्त ने एक बड़ी बात कही - " सरकार मुफ्त में सेवा दे रही है, लोग ही बेवकूफ हैं, लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। "
आमजन को हमेशा की तरह बेवकूफ घोषित होता देखकर मेरे मन में कितने ही प्रश्न उठने शुरू हो गये। मैंने कहा -
- क्या हर कोई तुम्हारे इतना समझदार है जिसको सरकारी तंत्र की लूपहोल्स, खामियाँ पता है?
- हर कोई क्या तुम्हारी तरह उस व्यक्ति को फोन करने के लिए पीछे पड़ सकता है?
- अगर तुम राशन पा लेते हो और कोई दूसरा तुम्हारी तरह ऐसा नहीं कर पाता है, इसका अर्थ यह कैसे हो गया कि तुम ज्यादा समझदार और जागरूक हो गये और बाकी बचे वे लोग बेवकूफ हो गये? क्या नगर निगम की इसमें कोई गलती नहीं, उनकी कोई जवाबदेहिता नहीं?
- जब सरकार मुफ्त में ही दे रही है तो क्या सही तरीके से बिना भेदभाव के घर पहुंचाने की उनकी जिम्मेदारी नहीं देनी चाहिए?
- क्या फोन करने का सिस्टम इसलिए नहीं बना है कि राशन के नाम पर लूट मचाई जा सके?
- जो अनभिज्ञ हैं, उनके हिस्से का सामान न देकर उन्हें कब तक बेवकूफ घोषित करके उनका अपमान किया जाएगा?
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