Monday, 16 March 2020

One Long Drive

She - ठीक है हम चलते हैं, आपको कहीं छोड़ना है?
He - नहीं, कहीं नहीं।
She - बोलो हम छोड़ दें, कहाँ जाना हैै?
He - पास में ही है।
She - नहीं बताइए छोड़ देते हैं, कहीं जाना है तो।
He - नहीं, यही पास में ही है।
She - नहीं बोलिए, छोड़ देते।
He - यहीं पास में ही तो है, थोड़ा सा पैदल चलना है।
She - ठीक है फिर, हम चलते हैं।
He - ठीक है।
She - Bye take care
He - Bye take care.

-- बच्चे हिंसा करना माता-पिता से ही सीखते हैं --

आज सुबह एक लड़ाई देखने को मिली। दोनों पक्षों ने‌ पहले खूब जमकर बहस की, चूंकि महिलाएँ थी वह भी उम्र 50 के करीब इसलिए उम्मीद नहीं थी कि बात मारपीट तक चली जाएगी। तो हुआ यूं कि एक बंगाली आंटी जो पचास पार की होंगी, उन्हें उनकी प्रतिद्वंद्वी बिहारी आंटी जो चालीस पार की होंगी उन्होंने जमकर कूट दिया, कुहनी से पीठ पर लगातार इतना मार दिया कि बंगाली आंटी हाँफते हुए जमीन पर लेट गईं, मारपीट के दौरान जब बिहारी आंटी उनकी धुलाई कर रही थी, तो उनका लगभग 10 साल का बेटा उन्हें रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन माँ कुटाई के मोड में थी, कुछ देर बाद जब दोनों आंटी थक गये तो अपने-अपने घर को चले गये। सब कुछ हम देहरी से देख रहे थे, सही गलत क्या है वही जानें? चलो ये तो हुई मारपीट की सामान्य सी बात जो आए दिन भारत में कहीं न कहीं देखने को‌ मिल ही जाती है।

अब हुआ यूं कि आधे घंटे बाद हम किसी काम से बाहर निकले थे, वापस घर की ओर लौटते वक्त जब हम उस बिहारी आंटी के घर से गुजर रहे थे तो मैं उस बच्चे को देखकर एक पल के लिए हैरान रह गया। वो अपने घर के आँगन में ही खेल रहा था और कुहनी को हवा में ही मारने जैसा अभ्यास कर रहा था, उसका ये एक्शन ठीक वैसा ही था जैसा उसकी माताजी का मारपीट करते वक्त था। ध्यान रहे कि ये वही बच्चा था जिसने कुछ देर पहले अपनी उसी माँ को हिंसा करने से रोकने का असफल प्रयास किया था। बच्चों का सबसे बड़ा स्कूल उनका अपना घर और आसपास का परिवेश होता है, वहाँ बच्चे जैसा देखते हैं, जिस तरीके से देखते हैं, वैसा ही सीखते हैं।


Friday, 13 March 2020

Decoding languages in india

How to say "Where are you" in different north and central indian languages -

हिन्दी - तुम कहाँ हो?
छत्तीसगढ़ी - कांहां हस तैं?
उड़िया - तमे कउठी?
बंगाली - तुमि कोथाया?
पंजाबी - कित्थे हो तुस्सी?
मराठी - तू कुठे आहेस?
राजस्थानी - कठे हों सा?
गढ़वाली/कुमाऊँनी - तीमी/तुम कख/कन छौ/छ

कन्नड़ - इलिदरा

एक दक्षिण भारत की भाषा, शब्द तो छोड़िए, वर्ण ही पूरा अलग, ऊपर की आठ भाषाओं से दूर-दूर तक कोई मेल नहीं, उत्तर और मध्य भारत के व्यक्ति के लिए दक्षिण भारत की भाषाओं को सीखना समझना अपेक्षाकृत कठिन क्यों हो जाता है वर्णों से ही स्पष्ट है। 😜

Thursday, 5 March 2020

Tribals of Eastern Odisha -

                                देहुरी यानी खड़िया जनजाति के लोग कोल जनजाति और संथाली जनजाति की तुलना में कहीं अधिक विनम्र लोग मालूम हुए। संथाली समुदाय तो हर जगह ठीक-ठाक वायरल भी हुआ है, जनजातियों में आर्थिक सामाजिक रूप से सबसे अधिक मजबूत हैं, संख्याबल भी बाकी समुदायों से कहीं अधिक है, कला साहित्य गीत संगीत सब में आगे हैं, संथाली गानों में यूट्यूब में लाखों व्यू देखने को मिल जाएंगे। इनकी अपनी अलग किस्म की हठधर्मिता है जो बाकी और जनजातियों में देखने को नहीं मिली। संथालियों की अपनी एक भाषा है जिसे 'ओलचिकि' कहते हैं, ठीक इसी तरह कोल जनजाति की 'ओरांगचिति' नाम की अपनी भाषा है लेकिन इन सबसे अलग देहुरी(खड़िया) जनजाति की अपनी कोई भाषा नहीं है, ये जहाँ भी रहते हैं, उस स्थान विशेष की भाषा को अपना लेते हैं, और यह इस बात का प्रमाण है कि खड़िया जनजाति के लोग घुमन्तु सरीखे होते हैं, बदलते समय के साथ अब यह भी एक जगह स्थायी रूप से रहने लगे हैं, इसलिए इनके समुदाय में सर्वाधिक आर्थिक पिछड़ापन है, विशिष्टता के मामले में पीछे रह जाने की वजह से भी ये लोकमानस में वायरल नहीं हो पाते, कोई इन पर कहानी लेख लिखने या डाक्यूमेंट्री बनाने उतना नहीं आता है, खड़िया जनजाति संख्याबल में धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। इन सब कारणों के बाद भी सबसे अधिक आत्मीयता इन्हीं के साथ महसूस होती है। एक चीज जो इन तीनों समुदायों में समान रूप से विद्यमान है वो यह कि ये तीनों अपने बच्चों को फुटबाल की तरह मारते हैं। खैर, मारपीट की यह परंपरा तो हमारे भारत के लगभग सभी समाजों में है।

Women from Kol Tribe

Santhali tribe women

Santhali tribe boy


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