Monday, 24 July 2017

पाना भवन - बादनी गांव

                           प्रत्येक किसान अपने खेत का वैज्ञानिक होता है और वो खेत उसकी प्रयोगशाला। किसान की इस प्रयोगशाला से धरती को, पर्यावरण को, व्यक्ति विशेष को कोई खतरा नहीं, कोई नुकसान नहीं। अब चूंकि किसान अपनी जरूरत के अनुसार धरती का पोषण करता है शोषण नहीं ( अगर आज बाजार के दबाव को हटा कर देखा जाए तो), तो उसका यह काम वाकई धरती को बचाने का एक धरातलीय प्रयास है। किसान का यह विज्ञान कार्ल मार्क्स के कथन "गणित विज्ञान की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति है" से भी कहीं आगे है।
मजेदार बात ये भी कि किसान का यह वैज्...ञानिक पहलू एकपक्षीय है क्योंकि उसके विज्ञान में सिर्फ वरदान का पक्ष है अभिशाप का पक्ष नगण्य है।

नोट:- इनके गांव तक जाने के लिए कोई रोड नहीं है, पैदल खड़े पहाड़ चढ़कर ही पहुंचा जा सकता है।


गौशाला


प्रसाधन और स्नानागार की भी सुविधा है


 आंगन


दादी पशुओं के लिए चारा लाद कर ले जाती हुई, यह चारा वो चार-पांच किलोमीटर दूर जंगल से लेकर आती हैं।


पाना जी के घर का एक खूबसूरत सा कमरा- 1


पाना जी के घर का एक खूबसूरत सा कमरा- 2


पाना जी की भतीजी


पाना जी के पिता मुनस्यारी तहसील के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने एयरफोर्स ज्वाइन किया था। साथ ही इन्होंने पैराशूट से गोरीपार से मुनस्यारी पैराग्लाउडिंग की थी जो कि अपने आप में एक कीर्तिमान है।


चिलकोट(मुनस्यारी) की दुर्गम पहाड़ियों में दो पागल किसान। जो हमारे साथ में हैं वे बादनी गांव के हैं जिन्होंने आर्ड्रिनेंस फैक्ट्री की नौकरी छोड़ी, पहाड़ लौटे और किसानी का फैसला लिया।
पाना भवन

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