Friday, 19 May 2017

~ आंटीजी को पत्र ~

आंटी जी,
आपके बेटे ने दसवीं की परीक्षा दी है। वो पिछली बार फेल हो गया था। और फिर क्या हुआ आप भी जानती हैं, ट्रक में बैठ के महीने भर के लिए घर से भाग गया। वापस आया तो फिर वही ताने और मार से उसका स्वागत किया गया। आप भी क्या करेंगी, आप खुद ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है, न तो जमीनी समझ है न ही अपने बच्चे की काउंसलिंग करने की कोई जानकारी है। वो क्या सोचता है, क्या करना चाहता है, ये आपको नहीं पता, और इत्तफाक से मुझे भी नहीं पता। बेशर्मों की तरह आप लोगों से सुनता है, मार खाता है, कुल मिला के निर्लज्ज हो चुका है।
और हां शराब, सिगरेट बराबर पी रहा है।
आपको भी पता ही होगा कि वो ये सब कर रहा है, लेकिन आपने प्रत्यक्ष रूप से उसे पकड़ा नहीं तो आप भी पढ़ाई के नाम से उसे डांट लगा कर काम चला रही हैं।

मैंने उसे महीने भर मुफ्त में पढ़ाया और आपने मुझे कभी-कभार अपने घर में खाने का न्यौता दिया, बस काफी है इतना। इस बीच मैंने उसे रगड़ा, खरोंचा, उसके अंदर झांका, कि कुछ तो काम का बाहर निकले पर अभी फिलहाल सब धुंधला है। लेकिन ये बात स्पष्ट है कि आपके बेटे की पढ़ाई में थोड़ी भी रूचि नहीं है, इस बात को आप गांठ बांध लीजिए।
वो कभी-कभी धंधा-बिजनेस करने की बात छेड़ते रहता है, वो भी मजाक में। लेकिन मुझे वहां आशा की किरण दिखाई देती है। लोग बच्चों को शिक्षा देने की बात करते हैं, लेकिन मैं आज आपसे कहना चाहता हूं कि आप उसकी पढ़ाई छुड़वा दीजिए। फालतू पैसे व्यर्थ मत करिए, उसका पढ़ने का मन थोड़ा भी नहीं है।

सुनिए,
आज आपके शहर में हूं, कल कहीं और रहूंगा, मेरा कोई निजी स्वार्थ तो है नहीं, इसलिए मुझे आपके बेटे से उसकी पढ़ाई से कोई मतलब नहीं है, लेकिन आपको जमीनी हकीकत बताना मेरा दायित्व है। आपका बेटा एकदम खोखला है, खासकर पढ़ाई के मामले में एकदम डब्बा। उसे जोड़ घटाना तक ढंग से नहीं आता।
मेरी राय में आप उसे अभी से बिजनेस लाइन में डाल दीजिए, पूरा एक रूपांतरण हो जाएगा, खाली बैठे शराब सिगरेट कर रहा है, कुछ तो कर्त्तव्यबोध आएगा। कमाने का एक दायित्व हमेशा रहेगा तो शायद कल को नशा पानी भी एक सीमा में रहे।
हां खींचतान करके 12th तक ले जाना चाहती हैं तो ठीक है, एक टैग रहेगा कि चलो बारहवीं के बाद ही पढ़ाई छोड़कर काम धाम में लग गया।

और रही बात कि उसके इस बार के दसवीं के पेपर की, इसमें कोई शक नहीं कि इस बार फिर से वो फेल हो जाए, गिरते-पड़ते पास हो भी जाए तो भी कोई मतलब नहीं है।
मैं इस बात की गारंटी दे नहीं सकता कि महीने भर मेरे से पढ़के वो दसवीं में पास हो जाएगा, वैसे भी मैं कोई सब्जेक्ट स्पेश्लिस्ट तो हूं नहीं लेकिन मैं इस बात की गारंटी लेता हूं कि अगर वो फेल हो गया तो भी इस बार वो घर से भागने वाला काम नहीं करेगा।

पढ़ाई से इतर मैंने उसमें जीने की, आगे बढ़ने की लालसा भर दी है, मेरा योगदान सिर्फ इतना सा है।

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