मां नंदा को उनकी ससुराल भेजने की यात्रा है राजजात। मां नंदा को भगवान शिव की पत्नी माना जाता है और कैलाश (हिमालय) भगवान शिव का निवास। मान्यता है कि एक बार नंदा अपने मायके आई थीं। लेकिन किन्हीं कारणों से वह 12 वर्ष तक ससुराल नहीं जा सकीं। बाद में उन्हें आदर-सत्कार के साथ ससुराल भेजा गया। चमोली जिले में पट्टी चांदपुर और श्रीगुरु क्षेत्र को मां नंदा का मायका और बधाण क्षेत्र (नंदाक क्षेत्र) को उनकी ससुराल माना जाता है। एशिया की सबसे लंबी पैदल यात्रा और गढ़वाल-कुमाऊं की सांस्कृतिक विरासत श्रीनंदा राजजात अपने में कई रहस्य और रोमांच को संजोए है।
कैसे होगी यात्रा -
- 18 अगस्त से शुरू होकर 06 सितंबर, 14 तक चलेगी यात्रा,
- चमोली के नौटी से यात्रा उच्च हिमालयी क्षेत्र होमकुंड पहुंचती है,
- राजजात का समापन कार्यक्रम 07 सितंबर को नौटी में होगा,
- 20 दिन में बीस पड़ावों से होकर गुजरते हैं राजजात के यात्री,
- 280 किमी की यह यात्रा कई निर्जन पड़ावों से होकर गुजरती है,
- आमतौर पर हर 12 वर्ष पर होती है,
- इस यात्रा को हिमालयी महाकुंभ के नाम से भी जानते हैं,
- राजजात गढ़वाल-कुमाऊं के सांस्कृतिक मिलन का भी प्रतीक है,
- जगह-जगह से डोलियां आकर इस यात्रा में शामिल होती हैं।
कैसे होगी यात्रा -
- 18 अगस्त से शुरू होकर 06 सितंबर, 14 तक चलेगी यात्रा,
- चमोली के नौटी से यात्रा उच्च हिमालयी क्षेत्र होमकुंड पहुंचती है,
- राजजात का समापन कार्यक्रम 07 सितंबर को नौटी में होगा,
- 20 दिन में बीस पड़ावों से होकर गुजरते हैं राजजात के यात्री,
- 280 किमी की यह यात्रा कई निर्जन पड़ावों से होकर गुजरती है,
- आमतौर पर हर 12 वर्ष पर होती है,
- इस यात्रा को हिमालयी महाकुंभ के नाम से भी जानते हैं,
- राजजात गढ़वाल-कुमाऊं के सांस्कृतिक मिलन का भी प्रतीक है,
- जगह-जगह से डोलियां आकर इस यात्रा में शामिल होती हैं।
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