Tuesday, 30 July 2019

Life started as a Fellow

नहीं बदला है मैंने अपने जीने का अंदाज,
कल भी वैसा ही था,
आज भी वैसा ही हूं,
बस पहले मैं खूब समय दिया करता था,
लेकिन अब समय को समय देने की जिम्मेदारी आन पड़ी है।
एक नये सफर पर आरूढ़ हुआ हूं,
मेरी नियति आज यह है,
कि किसी ने मेरा समय छीनने का प्रयास किया है,
और उस प्रयास में वह सफल भी हुआ है,
या यूं कहें कि किसी ने मुझे एक चाकरी दे दी है।
या समय के फेर के सामने शीश झुकाते,
मैंने एक चाकरी को स्वीकार कर लिया है,
और बदले में बस वह मेरा समय चाहता है,
समय से कीमती दुनिया में कुछ और है ही क्या।
देखो, आज किसी ने मेरी सबसे कीमती चीज मुझसे छीन ली,
लेकिन मैं भी प्रण लेता हूं कि साँस छुटते तक वैसा ही रहूंगा।
समय के इस खेल में भले कितनी मुश्किलें आएँ,
मुफलिसी के दौर में भी खुद को संभालूंगा, बचाऊँगा।
किसी को मौका नहीं दूँगा कि वह मुझको मुझसे छीन ले।
प्रण लेता हूं कि अपना एक हिस्सा हमेशा तुम्हारे लिए जीवित रखूंगा।
सच कहूं मैं इस समयदान से बहुत खुश हूं,
एक नयी ऊर्जा का प्रवाह तो हुआ ही है।
तुम भी समय के इस खेल को समझना,
अधीर न हो जाना, थोड़ा धैर्य रखना,
तुम्हारा धैर्य मेरे हिस्से की ताकत बनेगा।
और एक बात हमेशा याद रखना,
बदलाव भले ही शुरूआत में कुछ तकलीफें देता है,
लेकिन इसका अंत हमेशा सुखद होता है।


No comments:

Post a Comment