Tuesday, 13 February 2018

~ कोल्डड्रिंक और कोलेस्ट्राल ~

                                  90% भारतीय ना‌नवेज खाने के साथ कोल्डड्रिंक पीते हैं। मानसिकता बनी हुई है कि खाना अच्छा से पचेगा, गैस नहीं बनेगा वगैरह वगैरह, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होता, सिर्फ और सिर्फ कोलेस्ट्राल बढ़ता है।
आज का समय ऐसा है कि यूथ में अधिकतर लोग नानवेज पसंद करते हैं, नानवेज की उपलब्धता और इसका ट्रेंड भी ऐसा है कि कई लोग सप्ताह में तीन से चार दिन नानवेज ही खाते हैं।
                                 वैसे भी प्रतिदिन बाहर का कुछ खाना खाने वालों की संख्या में इतना जबरदस्त इजाफा हुआ है कि जो नानवेज नहीं खाते उनमें से भी अधिकांश लोग वेज फूड के नाम पर चायनिज, सैंडविच, पिज्जा, बर्गर आदि खाते हैं और इसमें भी वे कोल्डड्रिंक, साफ्टड्रिंक, कोल्ड काॅफी का कोम्बो घुसेड़ देते हैं। जबकि इसमें भी ठीक वैसा ही नुकसान होता है जैसे कोल्डड्रिंक और नानवेज साथ में लेने से होता है।
देखा जाए तो अभी के समय में 15-25 आयु वर्ग के अधिकतर युवाओं के मोटापे की एक बड़ी वजह यही है।

Monday, 5 February 2018

- The Munsyari Song ~

                            पहाड़ों की सबसे खास बात जो है वो ये कि अधिकतर पहाड़ी गांवों एवं शहरों के नाम पर बहुत से गाने बने हुए हैं जो उस शहर या गांव का प्रतिबिम्ब होते हैं। इन गानों की एक और अच्छी बात ये है कि आपको थोड़ा भी फूहड़पन देखने को नहीं मिलेगा। यूं कहें कि अगर आप पहाड़ आए और आपने पहाड़ी गाने नहीं सुने तो समझिए आपका पहाड़ आना व्यर्थ ही हुआ, बस आए और चले गए वाली बात होगी बल।
                           हिमनगरी मुनस्यारी के नाम पर तो दर्जनों गाने बने हैं लेकिन ये एक गाना ऐसा है कि मुनस्यारी में जब भी कहीं शादी या कोई उत्सव होता है तो ये गाना बजता ही है, इस कुमाउंनी गाने की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें मुनस्यारी की सड़कें, पेड़-पौधे, रंग-बिरंगे फूल, हरे-भरे बुग्याल, झरने, नदियाँ, सुंदर खेत, पत्थरों से बने मंदिर, घरों की वास्तुकला, और यहां के त्यौहार, यहां का खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाज और और सामने महान हिमालय,
इस गाने में मुनस्यारी की पूरी संस्कृति समाहित है।



Saturday, 3 February 2018

~ छोटे भाई की इंटरनेट सक्रियता ~

                           कल मैं तीन साल बाद अपने एक छोटे भाई से मिला। वो 11th क्लास में है। क्लास 1 से लगातार टापर रहा है। स्पोर्ट्स और कल्चरल एक्टिविटी में भी बढ़िया। अभी वो एक अच्छे इंग्लिश स्कूल में पढ़ता है, इंग्लिश स्कूल में पढ़ने के बावजूद हिन्दी में भी गजब की पकड़ है। कल जब मैं उससे मिला तो वो कोई साउथ इंडियन मूवी देख रहा था, मैंने पहले उसका हालचाल पूछा और फिर वही पढ़ाई कैसी चल रही है जैसे एक दो सवाल। फिर कुछ सेकेंड के लिए मैं सोचने लग गया कि अपने से दस साल छोटे भाई से अब मैं क्या बात करूं। मेरी इस उलझन को उसी ने दूर कर दिया, उसने मूवी देखना बंद कर दिया और फिर उसने मुझसे पूछा कि भैया आपने पद्मावत मूवी देखी क्या?

मैंने कहा - नहीं मैं controversial मूवीज कभी नहीं देखता।
फिर उसने मुस्कुराते हुए पूछा - भैया आपने इस पर भी कुछ लिखा है क्या?

छोटे भाई के इस सवाल को सुनकर मैं हैरान रह गया। हैरानी इसलिए भी है कि कुछ निजी कारणों से फेसबुक में मैंने अपने लगभग सभी रिश्तेदारों को या तो ब्लाक करके रखा है या अनफ्रेंड करके रखा है।
मैंने कभी सोचा ही नहीं कि मेरा छोटा भाई ऐसे चोरी छिपे मेरी लिखी दो चार बातें बिना मुझे फ्रेंड रिक्वैस्ट भेजे पढ़ लेता है और मुझे पता भी नहीं चलने देता। कितना सुखद है ये।
मुझे अभी तक यही लगता था कि जब मेरे अपनी उम्र के अधिकतर दोस्त मेरी लिखी कुछ बातें ऐसे हव्वे में लेते हैं तो एक स्कूल का बच्चा कहाँ से ये देश दुनिया की बातें पढ़ेगा।असंभव सा है।
लेकिन वो पढ़ता है। वो चीजों को समझने का प्रयास करता है कि आखिर नुक्ता क्या है, पेंच कहाँ फंसा है।
फेसबुक की एक चीज तो गजब है, वो ये कि आप दो चार लाइन भी कुछ अच्छा लिखते हैं, ईमानदारी और मेहनत से लिखते हैं, बिना किसी पूर्वाग्रह के लिखते हैं और सबसे जरूरी चीज कि क्लिष्ट शब्दों से बचते हुए सरल भाषा में लिखते हैं तो हर कोई पढ़ता है।
इंटरनेट की इस दुनिया में हमारी एक एक गतिविधि बहुत मायने रखती है। देखा जाए तो आने वाली पीढ़ी हमारी एक-एक गतिविधि पर नजर रख रही है, वो हमें देख रही है, हमसे सीख रही है, हमारे सही और गलत का बराबर मूल्यांकन कर रही है। कल जाकर जब उनके बातों में वजन होगा, जब वे बोलकर हमें सुनने को विवश करेंगे तो वे हमें चैलेंज भी करेंगे कि बस भी करिए इतना रायता मत फैलाइए, बहुत हुआ।
वैसे इतनी बड़ी बात कहने के पीछे एक वजह है।

जब अपने भाई से मेरी बात हो रही थी तो मैंने ऐसे ही उसे बताया कि तुझे पता है दुनिया का जो दूसरा सबसे अमीर आदमी है न वो 1400 वर्ड्स/मिनट पढ़ लेता है।
उसने कहा - अच्छा वारेन बफेट।
फिर उसने मुझसे ही सवाल कर लिया कि वारेन बफेट और बिल गेट्स का इंटरव्यू देखा है क्या आपने?
मैंने कहा - नहीं। वैसे क्या है उसमें? अमीर बनने के टिप्स दिए हैं क्या उन्होंने?
उसने बताया - नहीं, वे अपनी सारी संपत्ति को अपने ट्रस्ट में देने जा रहे हैं। इस बारे में है।
बताइए एक 11th क्लास का बच्चा इंटरनेट में ये सब देखता है।
सोचिए एक 11th क्लास का स्टूडेंट जब इंटरनेट का इस्तेमाल करता है तब वो क्या खोजता होगा, आप और हम क्या वहां तक सोच सकते हैं?
चलिए इस बात को एक दूसरे तरीके से लेते हैं एक 11th क्लास के बच्चे को आप इंटरनेट में क्या खोजने को कहेंगे या इंटरनेट से क्या कुछ सीखने को प्रेरित करेंगे?
"वेल! एक्चुवली वी डोंट इवन नो हाऊ टू यूस दि ब्लडी इंटरनेट"

मेरे छोटे भाई के पास उसका अपना स्मार्टफोन है, अनलिमिटेड नेट है, लेकिन वो उस 4G फोन को अपने पैरों की धूल समझता है, ध्यान ही नहीं देता। दोस्तों के साथ कहीं खेलने जाता है, घूमने जाता है या उनके घर पढ़ने जाता है तो उसका फोन घर में ही पड़ा रहता है।
अब अपने छोटे भाई के बारे में मेरे मन में जो थोड़ी बहुत शंका थी वो भी दूर हो गई, चूंकि मेरे पास अपना 4g फोन नहीं है (वैसे कभी जरूरत भी महसूस नहीं हुई) तो मैं उसके फोन में यूट्यूब में ऐसे ही कुछ सर्च कर रहा था कि मेरी नजर Search History पर पड़ी, उसमें education, cricket, football और कुछ एक keywords थे, लेकिन कोई भी फालतू या भड़कीली चीज देखने को नहीं मिली।
सचमुच हमें इन बच्चों से सीखना चाहिए। हम सबको अपने अपने फोन के Search history में जाकर देखना चाहिए कि क्या सच में हम इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं या इंटरनेट हमारा इस्तेमाल करता है।

छोटे भाई!
मुझे तुम पर गर्व है और मुझे उम्मीद है कि कभी न कभी तुम मुझे सर्च करके मेरी लिखी ये बातें जरूर पढ़ रहे होगे।
मंगलकामनाओं के साथ...
- तुम्हारा बड़ा भाई।