कुछ युवा घर की जिम्मेदारियों का वहन इसलिए भी करते हैं ताकि आगे चलकर अपनी बदमाशियों को जस्टिफाई कर सकें।
59 एप्प में से एक भी एप्प मेरे फोन में नहीं है, लेकिन मेरा फोन एक चाइनीज कंपनी का है।
सबसे बड़े डेटा चोर ये प्रतियोगी परीक्षा वाले हैं जिनके कारण लाॅटरी वाले काॅल आते थे।
एप्प बैन कर रहे, यहाँ इंसान पूरा का पूरा एक चाइनिस फोन यूज कर रहा उससे डेटा चोरी नहीं होगा, वाह क्या लाॅजिक है।
वे हमारे लोगों को घुस कर मार जाते हैं और हम उनका एप्प बैन करने की नौटंकी करते हैं।
Former CM Raman singh- Cali Cartel
Bhupesh Baghel- Medellin Cartel
बस इतना फर्क है।
छत्तीसगढ़ में किधर ये "डैडी" वाला तकिया कलाम चलता है, जानने की उत्सुकता है बस। क्योंकि ये मामा भांचा रोगहा मरहा ये सब सुना है, लेकिन ये डैडी?
भारत में कोरोना की वजह से सबसे ज्यादा Education Industry प्रभावित हुआ है।
रोचक जानकारी और ज्ञानवर्धक बातें लिखने वालों से कहीं बेहतर पनवाड़ी के चाचा लोग हैं।
ब्लाॅक अनब्लाॅक करना बंद हुआ यानि रिश्तों का अंत हुआ।
कवि- माथा चूमना आत्मा चूमने जैसा है।
कवियित्री- चाटकर सीधे मोक्ष क्यों नहीं पा लेते।
कुछ कवि अपने पीछे कविताएँ छोड़ जाते हैं और कुछ जीवन भर का अवसाद, सड़न और ढेरों मकान।
सद्गुरु जैसे बाबा रामरहीम और आसाराम जैसे बाबाओं से कहीं अधिक समाज के लिए खतरनाक है।
हम भारतीय इंसान को दूर से देखकर ही बता देते हैं कि वो अच्छे घर का है या बुरे घर का है.
हिन्दी साहित्यकार - क्या तुम इस बार की सर्दियों में मेरा कंबल बनाना पसंद करोगी?
शिष्या - मैं सोच रही हूं कि आपकी लिखी किताबें जलाकर आपको ताप दे जाऊँ।
अंग्रेजी में लेखन करने वाले कुछ लोग हिन्दी वालों का जितना सम्मान करते हैं, उतना हिन्दी लेखन वाले कभी नहीं कर पाते हैं। हिन्दी के साथ यह एक बहुत बड़ी समस्या है।
"पढ़ा-लिखा होकर उसने ऐसा गलत काम कर दिया।" कभी-कभी समझ नहीं आता है कि ये किसी गलत काम या सही काम का पढ़े-लिखे और अनपढ़ होने से संबंध क्या है?
योगगुरू - साल भर पिज्जा बर्गर खाने वाले आज योग करता हुआ फोटो अपलोड करके ज्ञान देंगे।
शिष्य - ठीक है फिर आज आप पिज्जा, बर्गर खाएंगे।
ऐसा है, ग्रहण तब से लगा हुआ है जब हम सबने मिलकर थाली बजाई थी।
हिंदी की दुर्गति के लिए अंग्रेजी नहीं, हिन्दी के मठाधीश कहीं अधिक जिम्मेदार हैं।
किराए के पैसों के लालच में जब तक लोग घर बनाते रहेंगे, रेत माफिया पैदा होते रहेंगे।
बच्चों को अगर मारेंगे नहीं तो वे बिगड़ जाएंगे।अधिकांशत: आज भी इस बात को सही मानते है।
चाइनीज फूड के शौकीन लोग चाहें तो चीन के विरोधस्वरूप वासेपुर फिल्म के पीयूष मिश्रा की तरह खुद को कोड़े मार लें।
हमारे यहाँ बच्चों को देश का भविष्य भी कहा जाता है और उन्हें जमकर कूटा भी जाता है।
माता-पिता इतने क्यूट होते हैं कि वे भलाई के नाम पर बच्चों से बहुत कुछ करा जाते हैं।
खुदखुशी करने वाले अगर कायर हैं तो ये आजीवन खोखली जिंदगी जीने वाले कहाँ से बहादुर हैं?
ये सही समय है कि अब हम यह सहजता से स्वीकार लें कि हमारे बीच का लगभग हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी मानसिक समस्या से ग्रसित है।
मुँह में मास्क और हाथ में सेनेटाइजर, शरीर के बाकी हिस्सों से कोरोना फैलाने का प्रमाणपत्र है।
वाम विचारधाराओं के चक्कर में भारतीय युवा दो तरीकों से तबाह होते हैं - पहले वे जो क्राँति के नाम पर भिखारियों की तरह जीवन यापन करते हैं, दूसरे वे जो इसके ठीक उलट सिंगल माल्ट पीते यूटोपिया के सपने देखते हैं।
रिश्तों की शुरूआत भले झूठ से हुई हो, लेकिन उनका अंत हमेशा सच के साथ ही होता है।
सफलता का बाजार व्यापक है, जिन्हें जरूरत नहीं यह वहाँ भी जाकर उन्हें असफल दिखाता है।
विशिष्ट बनने का सामाजिक दबाव एक समय के बाद सफलता प्रेमियों को अवसाद में ढकेल देता है।
भारत में एक हाथी से कहीं अधिक वीभत्सता से इंसानों को मारा जाता है। #lockdown
शिकारी समाज ने हाथी के सूंड में बम फोड़ा है। राज्य को घेरने में ऊर्जा व्यर्थ मत करिए।
छात्रों को पास करके "जनरल प्रमोशन" शब्द तो ऐसे जोड़ा जा रहा जैसे वे सरकारी नौकर थे।
ये कैसी "आत्मनिर्भरता" है, जो पहले "PM Cares Fund" बनाके खुद ही पैसे माँगती है।
विरोध जताना ही है तो हमारी तरह चीर-फाड़ कीजिए, काला फोटो लगा के क्या ही कर लीजिएगा।
मौत 1 हो या हजार, सरकारें कैसे जस्टिफाई कर ले रही हैं? - A Govt. Corona Warrior
इंजीनियरिंग वालों को फोकट पास नहीं किया जाएगा, उन्हें फर्रा लेकर ही पेपर दिलाना होगा।
आॅड-ईवन की तरह अब लेफ्ट-राइट दुकानें खुल रही। मतलब कितना मनोरंजन कराओगे प्रभु।
चलो मान लिया जी, कोरोना से बड़ा खतरा चीन, नेपाल और पाकिस्तान हैं। अब युध्द करा ही दो।
सरकार धार्मिक स्थलों को अगले 6 माह बंद रखे, मैं अपनी कमाई का 50% देने को तैयार हूं।