Tuesday, 30 June 2015
Monday, 29 June 2015
Enchanting Himalayas
आज मैं आपको एक जंतर देता हूं-
क्या आप खुद को जानना चाहते हैं?
खुद की खोज करना चाहते हैं?
अब अपना नाम धर्म सब भूल जाइए.. कुछ गर्म कपड़ों के साथ बैग पैक करिए और कुछ दिन के लिए हिमालय जाइए लेकिन एक शर्त है कि अकेले ही जाएं और ध्यान रहे की घूमने के मकसद से ना जाएं। अब हिमालय तो बहुत विस्तृत है कहाँ जाएं ये सवाल तो मन में आना स्वाभाविक है.. तो कश्मीर हिमालय, नेपाल हिमालय और केदारनाथ(गढ़वाल हिमालय) इन सबसे परहेज करिए.. भेढ़चाल में व्यर्थ के पैसे मत बहाइए..कुमाऊं हिमालय के लिए निकल जाइए.. आखिर कुमाऊँ ही क्यों..इसकी पीछे की वजह वहाँ जाने के बाद समझ आ जायेगी दिल्ली से काठगोदाम के लिए ट्रेन पकड़िए..फिर बड़े सबेरे काठगोदाम से मुनस्यारी के लिए बस या लोकल ट्रेवल कंपनी की गाड़ी पकड़ लीजिए.. एक बस सेवा दिल्ली (आनंद विहार,ISBT) से मुनस्यारी को जाती है..इससे पहुंचने में 2,3 दिन लग जाते हैं और जून के आखिरी हफ्ते में ही आएं.. इस समय प्रकृति अपने सारे रंग दिखाती है...आपको बारिश भी मिलेगी भू-स्खलन भी मिलेगा..काली ,सरयु और गोरी नदी अपने चरम पर मिलेगी बर्फीला मौसम और किस्मत अच्छी रही तो छोटे-मोटे भूकंप के झटके.. इच्छा प्रबल हो तो ही आएं क्योंकि हिमालय आपको मानसिक/शारीरिक/आध्यात्मिक सभी तरीकों से तोड़ने को तैयार खड़ा है।
अब सवाल आता है आखिर इतना खतरा क्यों पालें?
वो इसलिए की जितनी आग लगाएंगे उतना ही तापने को मिलेगा... अब मुनस्यारी आइए वहां एक दिन रूककर अपने अगले पड़ाव हिमालय में बसे भारत के सुदूर अंतिम गांव मिलम के लिए ट्रेकिंग करिए,यह पैदल सफर लगभग 55 किलोमीटर का है रास्ते में जोहार घाटी है वहां ITBP का एक छोटा सा कैम्प है और इक्के-दुक्के घर हैं, एक दिन वहां रूकिए रास्ते में कहीं कहीं पहाड़ी खाना मिल जायेगा पर खाने का सामान रखकर चलिए और टैन्ट लेकर जाइए और आगे मिलम के लिए निकल जाइए कुछ दिन वहाँ बिता के आइए।
अपने सुविधानुसार 55 किलोमीटर की इस कठिन यात्रा को कम भी कर सकते हैं और ध्यान रहे चढ़ाई में जितना कम हो सके उतना कम ही बर्फ में चले धंसने का खतरा बराबर बना रहता है एक अच्छी बात ये है कि वहां बर्फ तो हैं ही पर मौसम उतना ठंडा नहीं रहता..
एक बार जाकर हो के आइए आपने अभी तक जितना कुछ पढ़ा है जितनों को जाना है माना है समझा है चाहे वए जओ भी हों वए सब आपके कटघरे में होंगे और आपका मन उनसे रह रह के सवाल करेगा और सारी शंकाएँ ध्वस्त हो जायेंगी। इन सबके बाद फिर आपको जो मिलेगा वो अवर्णनीय होगा
क्या आप खुद को जानना चाहते हैं?
खुद की खोज करना चाहते हैं?
अब अपना नाम धर्म सब भूल जाइए.. कुछ गर्म कपड़ों के साथ बैग पैक करिए और कुछ दिन के लिए हिमालय जाइए लेकिन एक शर्त है कि अकेले ही जाएं और ध्यान रहे की घूमने के मकसद से ना जाएं। अब हिमालय तो बहुत विस्तृत है कहाँ जाएं ये सवाल तो मन में आना स्वाभाविक है.. तो कश्मीर हिमालय, नेपाल हिमालय और केदारनाथ(गढ़वाल हिमालय) इन सबसे परहेज करिए.. भेढ़चाल में व्यर्थ के पैसे मत बहाइए..कुमाऊं हिमालय के लिए निकल जाइए.. आखिर कुमाऊँ ही क्यों..इसकी पीछे की वजह वहाँ जाने के बाद समझ आ जायेगी दिल्ली से काठगोदाम के लिए ट्रेन पकड़िए..फिर बड़े सबेरे काठगोदाम से मुनस्यारी के लिए बस या लोकल ट्रेवल कंपनी की गाड़ी पकड़ लीजिए.. एक बस सेवा दिल्ली (आनंद विहार,ISBT) से मुनस्यारी को जाती है..इससे पहुंचने में 2,3 दिन लग जाते हैं और जून के आखिरी हफ्ते में ही आएं.. इस समय प्रकृति अपने सारे रंग दिखाती है...आपको बारिश भी मिलेगी भू-स्खलन भी मिलेगा..काली ,सरयु और गोरी नदी अपने चरम पर मिलेगी बर्फीला मौसम और किस्मत अच्छी रही तो छोटे-मोटे भूकंप के झटके.. इच्छा प्रबल हो तो ही आएं क्योंकि हिमालय आपको मानसिक/शारीरिक/आध्यात्मिक सभी तरीकों से तोड़ने को तैयार खड़ा है।
अब सवाल आता है आखिर इतना खतरा क्यों पालें?
वो इसलिए की जितनी आग लगाएंगे उतना ही तापने को मिलेगा... अब मुनस्यारी आइए वहां एक दिन रूककर अपने अगले पड़ाव हिमालय में बसे भारत के सुदूर अंतिम गांव मिलम के लिए ट्रेकिंग करिए,यह पैदल सफर लगभग 55 किलोमीटर का है रास्ते में जोहार घाटी है वहां ITBP का एक छोटा सा कैम्प है और इक्के-दुक्के घर हैं, एक दिन वहां रूकिए रास्ते में कहीं कहीं पहाड़ी खाना मिल जायेगा पर खाने का सामान रखकर चलिए और टैन्ट लेकर जाइए और आगे मिलम के लिए निकल जाइए कुछ दिन वहाँ बिता के आइए।
अपने सुविधानुसार 55 किलोमीटर की इस कठिन यात्रा को कम भी कर सकते हैं और ध्यान रहे चढ़ाई में जितना कम हो सके उतना कम ही बर्फ में चले धंसने का खतरा बराबर बना रहता है एक अच्छी बात ये है कि वहां बर्फ तो हैं ही पर मौसम उतना ठंडा नहीं रहता..
एक बार जाकर हो के आइए आपने अभी तक जितना कुछ पढ़ा है जितनों को जाना है माना है समझा है चाहे वए जओ भी हों वए सब आपके कटघरे में होंगे और आपका मन उनसे रह रह के सवाल करेगा और सारी शंकाएँ ध्वस्त हो जायेंगी। इन सबके बाद फिर आपको जो मिलेगा वो अवर्णनीय होगा
Monday, 22 June 2015
CCET BHILAI SABKO RULAI
Janemaan teri yaad me. .
Wo dard na payi. .
CCET BHILAI SABKO RULAI. ..
Kar lo dopahr ko sambhar,
chawal fry se goad bharai..
CCET BHILAI SABKO RULAI. ..
Sutta wale, khopcha dhundhte reh gaye. .
Naa mila khopcha. .Naa mili rihaii. .
CCET BHILAI SABKO RULAI. ..
Jail ki feeling me jiye ja rahe hain. .
Kaisi hai ye tanhai...
CCET BHILAI SABKO RULAI...
ho gaye aane jane k waande,
aur badh gayi khaane pine ki mahengaayi...
ccet bhilai sabko rulai
lunch me jao canteen ya librery as ur choice,
lecture me bathrum lagi to
karna padta h compromise...
lagatar lecture ka overdose hum chadhate h,
faculty to jaise hume gun point pe padhate h....
is jail se kab hogi hamari rihaayi,
ccet bhilai sabko rulai...
helmet to hamse naa ho payega bhai...
ccet bhilai sabko rulai...
apne likhne ki isi kala se tumhare maan ke ghav gehre karegi sai...
ccet bhilai sabko rulai...
hum yahan shabdon ke teer chodne nahi aaye...
hum to yaha karne aaye the engg. ki padhai...
ccet bhilai sabko rulai
khuda jaane kaisa dil h apka...
ki ajtak uska melting point naa samjh sake bhai...
kuch ache rules banao to hum milke denge duhai...
ccet bhilai sabko rulai...
hamare sentiments ko bhi sun liya karo oo harzai..
kyun ki CCET BHILAI SABKO RULAI....
Wo dard na payi. .
CCET BHILAI SABKO RULAI. ..
Kar lo dopahr ko sambhar,
chawal fry se goad bharai..
CCET BHILAI SABKO RULAI. ..
Sutta wale, khopcha dhundhte reh gaye. .
Naa mila khopcha. .Naa mili rihaii. .
CCET BHILAI SABKO RULAI. ..
Jail ki feeling me jiye ja rahe hain. .
Kaisi hai ye tanhai...
CCET BHILAI SABKO RULAI...
ho gaye aane jane k waande,
aur badh gayi khaane pine ki mahengaayi...
ccet bhilai sabko rulai
lunch me jao canteen ya librery as ur choice,
lecture me bathrum lagi to
karna padta h compromise...
lagatar lecture ka overdose hum chadhate h,
faculty to jaise hume gun point pe padhate h....
is jail se kab hogi hamari rihaayi,
ccet bhilai sabko rulai...
helmet to hamse naa ho payega bhai...
ccet bhilai sabko rulai...
apne likhne ki isi kala se tumhare maan ke ghav gehre karegi sai...
ccet bhilai sabko rulai...
hum yahan shabdon ke teer chodne nahi aaye...
hum to yaha karne aaye the engg. ki padhai...
ccet bhilai sabko rulai
khuda jaane kaisa dil h apka...
ki ajtak uska melting point naa samjh sake bhai...
kuch ache rules banao to hum milke denge duhai...
ccet bhilai sabko rulai...
hamare sentiments ko bhi sun liya karo oo harzai..
kyun ki CCET BHILAI SABKO RULAI....
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